पी. चिदंबरम ने सोनिया का सारा खेल बिगाड़ दिया। अभी तो किसानों के कर्ज माफ नहीं हुए। अभी तो छटे वेतन आयोग की सिफारिशें लागू नहीं हुई। महंगाई का फन कांग्रेस को डसना शुरू हो चुका। दोनों कदमों से कांग्रेस को चुनावी उम्मीद थी। अब दोनों कदमों से महंगाई और बढ़ेगी। जब छटे वेतन आयोग की सिफारिश लागू हुई। तो अपन ने 25 मार्च को लिखा ही था- 'तनख्वाहें बढ़ेंगी तो जीना होगा और हराम।' कांग्रेस के दफ्तर में अब यही डर सताने लगा। पर सोनिया को अब कर्नाटक का डर। कर्नाटक के चुनावों का एलान बस आज-कल में। बारह-सत्रह नहीं तो सोलह-इक्कीस समझिए। चुनाव मई में ही होंगे। अब कांग्रेसी चिदंबरम के कुप्रबंधन को कोसने लगे। चिदंबरम का लोकलुभावन बजट आया। तो सोनिया बाग-ओ-बाग थी। राहुल को बजट पर बहस में उतारा गया। चिदंबरम ने राहुल की बातों पर गौर नहीं किया।
तो अपन को हैरानी हुई। कांग्रेसी राजकुमार के सामने किसी चिदंबरम की क्या औकात। पर जिस बजट से एनडीए की नींद उड़ी थी। उसी बजट ने अब कांग्रेस की नींद उड़ा दी। महीने भर के अंदर बना-बनाया माहौल बिगड़ गया। चिदंबरम अनाड़ी फाइनेंस मिनिस्टर साबित हुए। अपन ने कल लिखा ही था- चिदंबरम की दो बातें गलत हुई। महंगाई पर जल्द काबू पाने वाली। होम लोन के कर्ज का ब्याज घटने वाली। यानी चिदंबरम का अर्थव्यवस्था पर कोई जोर नहीं। अपने लालू यादव ने केबिनेट कमेटी में अच्छी खाट खड़ी की। बात केबिनेट कमेटी की चली। तो बताते जाएं- सरकार के उठाए कदम लेफ्ट को नहीं जंचे। सीपीआई के डी. राजा बोले- 'देरी से उठाए गए मामूली कदम।' प्रकाश करात को भी ठंडा नहीं कर पाए बंदोबस्त। बोले- 'सरकार को रास्ता नहीं सूझ रहा। एक कदम लेफ्ट के साथ चलती दिखेगी। तो दूसरा कदम दक्षिणपंथियों के साथ।' उनने साफ कहा- 'खुदरा बाजार में एफडीआई का बिल पास नहीं होने देंगे। वायदा बाजार लेफ्ट को कतई मंजूर नहीं।' आपको याद होगा- खुदरा बाजार में एफडीआई का आर्डिनेंस हो चुका। लेफ्ट अपनी बात पर कायम रहा। तो संसद में सरकार की भद पिटेगी। सीपीएम की कोयम्बटूर मीटिंग में तीसरे दिन तेवर और तीखे हुए। पीडीएस को लेकर प्रस्ताव पास हुआ। पीडीएस का कांग्रेसी गोरखधंधा बताते जाएं। चिदंबरम ने सबसे ज्यादा हमला पीडीएस पर किया। पिछले तीन सालों का औसत निकाल राशन जारी करवाया। तीन साल पहले राशन की दुकान जैसे ही रेट थे मार्केट में। सो आम आदमी राशन की दुकान पर नहीं गया। अब बाजार में दोगुने रेट। केबिनेट कमेटी के कदमों पर बीजेपी ने कहा- 'बहुत देरी से उठाया, वह भी मामूली कदम। आम आदमी को कोई राहत नहीं मिलनी।' आम आदमी की बात चली। तो अपन बताते जाएं। अपने एक पाठक संजय बेंगाणी ने लिखा- 'कांग्रेस का हाथ ... आम आदमी के साथ।' मौजूदा महंगाई पर इससे बड़ा कटाक्ष और नहीं हो सकता। पर अपनी एक पाठक रीटा ने अपना दर्द उड़ेला। उसने लिखा- 'कांग्रेस का हाथ, आम आदमी के गले पर।' यही असलियत। अनाड़ी हैं प्रकाश जावड़ेकर। बोले- 'यह कांग्रेस सरकार का आर्थिक कुप्रबंधन।' अपन से पूछो। तो यह कुप्रबंधन नहीं। अलबत्ता महंगाई और कांग्रेस का चोली-दामन का साथ। आप इतिहास उठाकर देख लें। जब-जब कांग्रेस आई, महंगाई साथ लाई। याद करो वाजपेयी के दिन। छह साल महंगाई दुबकी रही। लूट-खसूट तो तभी शुरू हुई, जब कांग्रेस सत्ता में आई। पर बात जावड़ेकर की। बोले- 'अपना कुप्रबंध छुपाने के लिए दुनियाभर में महंगाई का रोना रो रही है कांग्रेस। पर दुनिया में कहीं इतनी महंगाई नहीं बढ़ी। जितनी पिछले दिनों भारत में बढ़ी।' याद है- मोइली ने चीन का उदाहरण दिया था। लेफ्ट तो चुप्पी साधे रहा। पर बीजेपी ने जवाब दिया। अब महंगाई पर कांग्रेस को वामपंथी 'लेफ्ट' से घेरेंगे। बीजेपी 'राईट' से। बीजेपी सात अप्रेल को आंदोलन शुरू करेगी। लेफ्टिए सत्रह अप्रेल से।
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