अपन संसद सत्र पर लिखते-लिखते भूल न जाएं। सो पहले बता दें। गोपीनाथ मुंडे राजस्थान के प्रभारी बने रहेंगे। चुनाव से पहले प्रभारी बदलने का संकट खत्म। शुक्रवार को मुंडे-आडवाणी में लंबी गुफ्तगू हुई। इसमें यह तय हुआ। आप अंदाजा लगा सकते हैं। अब आडवाणी-राजनाथ का तालमेल बैठने लगा। आडवाणी अब राज्यों पर भी निगाह रखेंगे। वैसे फिलहाल आडवाणी की नजर बजट सत्र पर। मनमोहन-सोनिया की घेराबंदी होगी। तीन मुद्दे अहम। महंगाई, आतंकवाद और महिला आरक्षण। महिला आरक्षण का मुद्दा आडवाणी ने रणनीति के तहत पकड़ा। सत्र से ठीक पहले महिला रैली से मुद्दा भाजपा के पाले में।
लालू के रहते महिला आरक्षण सोनिया-मनमोहन के बस में नहीं। सो सोनिया महिलाओं के लिए बजट में ही कुछ करवाएंगी। जहां तक बात महंगाई की। तो चिदंबरम का जोर उसे रोकने पर ही होगा। पर महंगाई लेफ्ट का भी मुद्दा। यों लेफ्ट का बड़ा मुद्दा एटमी करार। अमेरिकी राजदूत अपने मनमोहन को मई तक की मोहलत दे गए। उधर ओबामा-हिलेरी ने भी कहना शुरू कर दिया- 'डेमोक्रेट सरकार बनी। तो एटमी करार पर फिर से विचार होगा।' सो मई की मोहलत से पहले का वक्त बेहद अहम। बजट सत्र में सरकार कई बार डांवाडोल दिखेगी। कभी महंगाई के मुद्दे पर। कभी किसानों की दुर्दशा के मुद्दे पर। कभी एटमी करार पर। तो कभी आतंकवाद के मुद्दे पर। आतंकवाद का नया रूप सामने आ चुका। संसद पर हमले में पढ़े-लिखे सामने थे। अब बाकी आतंकी वारदातों में भी पढ़े-लिखे। पढ़े-लिखे भी डॉक्टर-इंजीनियर। सो बेरोजगारी-गरीबी-अनपढ़ता आतंकवाद की वजह नहीं। सच्चर कमेटी की रपट गलत साबित हुई। पर सच्चर कमेटी इस सत्र में यूपीए के लिए अहम। अल्पसंख्यकों को लॉलीपाप इसी सत्र में देना होगा। आगे कुछ नहीं। वोटों का ध्रूवीकरण बजट सत्र से ही शुरू हो जाएगा। यूपीए के लिए अल्पसंख्यक अहम। तो बीजेपी के लिए अल्पसंख्यक तुष्टिकरण विरोध। बात तुष्टिकरण की चली। तो एक नया किस्सा बता दें। आंध्र प्रदेश के इसाई कांग्रेसी सीएम राजशेखर रेड्डी ने नया तुष्टिकरण किया। उनने प्रदेश के इसाईयों को इस्राइल जाने पर सब्सिडी दे दी। इस्राइल इसाईयों के लिए अहम धार्मिक स्थान। सो बजट सत्र में बजट के अलावा भी बहुत कुछ। सोमवार की शुरूआत ही अच्छी हो जाए, तो गनीमत। सोमवार को प्रतिभा पाटील सेंट्रल हाल में अभिभाषण का श्रीगणेश करेंगी। प्रतिभा पाटील महाराष्ट्र की बहू। मराठी मानुस के नाम पर बाल ठाकरे ने भी समर्थन किया था। मराठी अस्मिता के लिए ठाकरे ने ठाकुर छोड़ दिया। अब उसी मराठी अस्मिता से यूपीए के घटकों का टकराव। महाराष्ट्र में राज ठाकरे के वर्करों की उत्तर भारतीयों से भिड़ंत हुई। तो लालू-पासवान के दबाव में ही राज गिरफ्तार हुए। लालू ने तो केबिनेट में कह दिया था- 'क्या आप चाहते हैं, दिल्ली में मराठियों की पिटाई हो। आप तब राज ठाकरे पर कार्रवाई करेंगे।' राज ठाकरे की गिरफ्तारी तो हुई। पर महाराष्ट्र में कांग्रेस की समस्या बढ़ गई। क्षेत्रवाद की यह लड़ाई अभी खत्म नहीं हुई। जल्दी से होगी भी नहीं। शुक्रवार को बिहार एसेंबली में जो हुआ। वह तो आपने देखा-पढ़ा होगा ही। जैसे अपनी राष्ट्रपति महाराष्ट्र की। वैसे बिहार के गवर्नर आर एस गवई महाराष्ट्र के। सो गवर्नर के अभिभाषण में महाराष्ट्र का मामला उठा। जमकर हंगामा हुआ। शकुनी चौधरी ने गवर्नर रामकिशन सूर्यभान गवई से कहा- 'बाल ठाकरे और राज ठाकरे के खिलाफ देशद्रोह का मुकदमा चलवाएं।' यह बात सिर्फ लालूवादी शकुनी चौधरी ने नहीं कही। अलबत्ता एनडीए के एमएलए भी आवाज उठाने लगे। यों किसी ने सुना या नहीं। रिकार्ड हुआ या नहीं। पर इलेक्ट्रानिक मीडिया पर खबर चली- आरजेडी सांसदों ने 'महाराष्ट्रियन गवर्नर गो बैक' नारे लगाए। पर बात संसद के सेंट्रल हाल की। अपन सिर्फ अंदाजा नहीं लगा रहे। आशंका भी जाहिर नहीं कर रहे। अलबत्ता बिहारी सांसदों की ओर से हंगामे की पूरी तैयारी। शुक्रवार से ही सरकार को इसकी भनक। सो शनिवार को सरकार शांत करने में जुट गई। अपने दासमुंशी से लेकर पृथ्वीराज चव्हाण तक। शिवराज पाटिल से लेकर मुरली देवड़ा तक। सबका एक ही एजेंडा- 'सेंट्रल हाल में प्रतिभा ताई का श्रीगणेश शुभ हो।'
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