इक्कीसवीं सदी में जाने वाले अचानक सोलहवीं सदी में दिखे। तो अपने पांवों तले से जमीन निकल गई। अपने मनमोहन सिंह का जवाब नहीं। पता नहीं कहां से लाकर लॉ कमिशन का चेयरमैन बनाया। एआर लक्ष्मणन ने बुधवार को अपने हंसराज भारद्वाज को रिपोर्ट सौंपी। तो मनमोहन के केबिनेट मंत्रियों की हवाईयां उड़ गई। रिपोर्ट कहती है- 'लड़कों को 18 साल का होने पर शादी का हक मिले।' अपने वाजपेयी बजरिया लॉ कमिशन ही उम्र बढ़ाकर गए थे। अब मनमोहन सिंह ने अपने लॉ कमिशन की रिपोर्ट मानी। तो अपन इक्कीसवीं सदी में नहीं। अलबत्ता सोलहवीं में ही जाएंगे। वाजपेयी जमाने में महिला आयोग की अध्यक्ष थी पूर्णिमा आडवाणी। रिपोर्ट देख पूर्णिमा भड़की हुई थी। पूर्णिमा के समय में भी शादी के लिए लड़की की उम्र अट्ठारह। लड़के की उम्र कम से कम इक्कीस तय हुई थी।
सिर्फ पूर्णिमा ही क्यों। अपनी रेणुका चौधरी तो आपे से बाहर हो गई। आई थी कांग्रेस दफ्तर में चिदंबरम को आम आदमी का बजट समझाने। पर आम आदमी से जुड़ी लॉ कमिशन की रिपोर्ट वाली खबर वहीं पर मिली। तो बोली- 'मैं इस सिफारिश का जमकर विरोध करूंगी।' वैसे बजट की बात चल ही पड़ी। तो बता दें- कांग्रेस दफ्तर में चिदंबरम को सामने बिठाकर आम आदमी का मंत्र दिया गया। समझाया गया- 'अब ज्यादा वक्त नहीं। बीती ताहि बिसार दे। आगे की सुध ले। आयकर रियायत सीमा बढ़ाई जाए। होम लोन आम आदमी के लेने लायक बनाया जाए। एससी-एसटी को एक लाख तक होम लोन तो कम से कम ब्याज में मिले। किसानों के कर्ज माफ वाली राधाकृष्ण-स्वामीनाथन रिपोर्टो पर भी गौर किया जाए।' बात होम लोन की चली। तो याद करा दें- वाजपेयी गए। तो ब्याज दर सवा सात फीसदी थी। अब साढ़े दस फीसदी। डेढ़ गुना ब्याज हो गया। जिनने दस साल के लिए लोन लिया था। अब चौदह साल में चुकाएंगे। अपने मनमोहन-सोनिया रोजगार गारंटी का ढोल बजाते नहीं थकते। पर अपन बताते जाएं। मनमोहन-सोनिया राज में बेरोजगारी पांच फीसदी बढ़ गई। खैर अपन बात चिदंबरम पर दहाड़े मारती कांग्रेस की नहीं कर रहे। अपन बात कर रहे हैं कांग्रेस सरकार के लॉ कमिशन की। यों 44 पेज की रिपोर्ट में कहा गया- 'शादी के बावजूद सोलह साल से कम की लड़की से संभोग को बलात्कार माना जाए।' कानून में खामी है। पर खामी इस तरह दूर होगी। कोई अनपढ़ भी नहीं सोच सकता। अपन अपनी 1860 की आईपीसी देखें। तो कहा गया है- 'लड़की सोलह साल से कम हो। तो मर्जी से या बिना मर्जी के बलात्कार ही माना जाएगा।' कानून में एक खामी। मौजूदा कानून के मुताबिक- 'पत्नी अगर पंद्रह साल से ऊपर हो। तो संभोग बलात्कार नहीं माना जाएगा।' यह है धारा 375 अपने आईपीसी में। वैसे तो जब अपन ने बाल विवाह पर कानूनी रोक लगा दी। जब अपन ने लड़की के लिए शादी की उम्र 18 साल तय कर दी। तो पंद्रह और सोलह साल वाला कानून बेमाने। लॉ कमिशन कानून की यह खामी दूर करने का सुझाव देता। तो बात समझ में आती। पर लॉ कमिशन तो उल्टे पांव चल पड़ा। लॉ कमिशन के चेयरमैन भले ही एआर लक्ष्मणन। पर सिफारिश में सबसे ज्यादा भूमिका कीर्ति सिंह की। जो बुधवार को टीवी चैनलों पर सिफारिश की पैरवी करती दिखीं। कीर्ति सिंह लॉ कमिशन की मेंबर। ताकि सनद रहे सो बताते जाएं। कीर्ति सिंह का बैकग्राउंड लेफ्ट विचारधारा। लेफ्ट की सिफारिश पर ही लॉ कमिशन की मेंबर बनी होगी। रिकार्ड के लिए बता दें- कीर्ति सिंह अखिल भारतीय जनवादी महिला समिति की कानूनी कनविनर थी। इसीलिए लेफ्ट ने बुधवार को तो हायतौबा नहीं मचाई। वरना आसमान सिर पर उठा लेते।
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