पवार के लंच में भी नहीं हो पाई 'पावर' की बंदरबांट

Publsihed: 30.Oct.2009, 10:28

पाकिस्तान ने हिलेरी क्लिंटन से कहा- 'भारत को समग्र बात के लिए राजी करो।' मनमोहन सिंह ने श्रीनगर में कहा- 'किसी के दबाव में कोई बात नहीं होगी। पाक पहले आतंकवाद पर नकेल डाले। तभी बात होगी।' यों दबी जुबान में उनने कह दिया- 'यह शर्त नहीं।' मनमोहन तलवार की धार पर। शर्म-अल-शेख में कहा था- 'आतंकवाद बातचीत में बाधा नहीं बनना चाहिए।' पर दिल्ली में सोनिया का दबाव बना। तो संसद में कहा-'आतंकवाद रुके, तो बातचीत होगी।' अब दोनों बातों का संतुलन रखना पड़ता है मनमोहन को। बात समग्र बातचीत की। तो मनमोहन के लिए आसान बात नहीं। सोनिया गांधी का फच्चर न होता। तो मनमोहन शुरू करा चुके होते।

फिलहाल सोनिया का जोर महाराष्ट्र की समग्र बातचीत पर। जहां दिग्विजय सिंह के अड़ियल रवैये ने बात बिगाड़ दी। अजीत पवार की धमकी से कांग्रेस की चूलें हिल गई। वैसे अजीत पवार के दावे में दम नहीं। चारों तरफ से खंडन हुआ। पर कांग्रेस आलाकमान के होश उड़ गए। पहले बात अजीत पवार की। उनने दावा किया- 'मुझे बीजेपी-शिवसेना से सीएम बनने की पेशकश थी। मेरे साथ 35-40 एमएलए भी। पर मैंने पेशकश ठुकरा दी।' वैसे यह धमकी कांग्रेस को नहीं। धमकी अंकल शरद पवार को। जिनने भतीजे को नजरअंदाज कर छगन भुजबल को डिप्टी सीएम चुना। भतीजे के बयान से एनसीपी में जोरदार खलबली मची। भुजबल बोले- 'शिवसेना-बीजेपी से कोई गठबंधन नहीं होगा।' नीतिन गडकरी बोले- 'हमने तो पेशकश ही नहीं की।' पवार ने खुद शिवसेना से पता किया। कोई पेशकश नहीं थी। सो उनने अपनी तरफ से सफाई दी। पर अंदर की बात- 'अजीत पवार को डेढ़ साल बाद डिप्टी सीएम बनाने का लालीपॉप मिल गया।' सो एनसीपी टूटने का सवाल नहीं। पर अजीत पवार के बयान से कांग्रेस की घिग्गी बंध गई। गुरुवार को कांग्रेस की धमक वैसी नहीं थी। जैसे बुधवार तक दिग्विजय सिंह दिखा रहे थे। कांग्रेस ने 81 सीटें क्या जीती। लगी थी पवार को डिकटेट करने। एनसीपी से होम, फाइनेंस, पावर, पीडब्ल्यूडी की मांग रख दी। साथ ही स्पीकर पद भी। दिग्गी राजा ने ताल ठोककर कहा- 'होम, फाइनेंस, पावर तो लेकर रहेंगे।' पर गुरुवार का बदलाव देखिए। अड़ियल दिग्गी राजा बातचीत से बाहर हो गए। सोनिया के नए दूत हैं- अहमद पटेल। अहमद पटेल के बारे में बता दें। वह मीडिया को जलेबियां खिलाने के माहिर। बात खूब करेंगे। जलेबी की तरह घुमा-घुमाकर बताएंगे। पर राजनीतिक सौदेबाजी के पत्ते नहीं खोलेंगे। सो गुरुवार को पवार के पावर लंच में एंटनी के साथ दिग्गी की जगह अहमद पटेल थे। पवार के साथ बैठे थे प्रफुल्ल पटेल। पटेल के बारे में बताते जाएं। वह बातचीत टूटने कतई नहीं देंगे। बात टूटी तो उनका मंत्री पद जाएगा। पर बात लंच पर 'पावर' बांटने की। दो घंटे लंच टेबल पर बैठे चारों। एंटनी-अहमद ने 81 सीटें जीतने पर पार्टी का दबाव समझाया। कहा- 'होम, फाइनेंस, पावर, पीडब्ल्यूडी, ट्रांसफर हो जाएं। तो ठीक रहे।' अपन याद दिला दें। पिछली बार एनसीपी की 71 सीटें थी। कांग्रेसी 69 सीटें जीते थे। तो पवार ने सीएम पद के बदले तीन नए मंत्रालय लिए थे। पावर, लेबर, फोरेस्ट-इनवायरमेंट। पवार वह तीनों लौटाने को राजी। पर होम, फाइनेंस, स्पीकर पद नहीं। यह तो 99 के फार्मूले में मिले थे। जब एनसीपी-कांग्रेस आमने सामने लड़कर जीते थे। सो दो घंटे की बात में कुछ नहीं निकला। पर आखिर में एक मजेदार बात बताते जाएं। अशोक चव्हाण दिल्ली में थे। फिर भी लंच मीटिंग का न्योता नहीं था। अपन ने चव्हाण से पूछा- 'कब निकलेगा शपथ का महुर्त।' वह बेचारे क्या बताते। हफ्तेभर से इंतजार कर रहे। बोले- 'एक-दो दिन लगेंगे।' पर एक दो नहीं, तीन-चार दिन लगेंगे। गुरुवार को सोनिया कश्मीर में थी। आज एंटनी-अहमद मिलकर लंच मीटिंग की रपट देंगे। फिर दूसरे दौर की बात होगी। फिर तीसरा दौर भी होगा। दो तक लटकेगी शपथ।

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