मंदी में थरूर का नया टि्वटर मंत्र

Publsihed: 03.Oct.2009, 09:57

गांधी जयंती पर यों तो खबरों का अकाल सा था। सिवा दो खबरों के। एक तो कर्नाटक-आंध्र में बाढ़ की। दूसरी बिहार में नक्सली हिंसा पर लालू के राजनीतिक तीरों की। पर दिन गांधी जयंती का था। सो अपन गांधी की ही बात करें। तो सरकार को भी गांधी की याद आ ही गई। ग्रामीण रोजगार योजना अब गांधी के नाम होगी। वरना तो गांधी के नाम पर इंदिरा, राजीव, सोनिया, प्रियंका और राहुल ही थे। अपन पक्के तौर पर तो नहीं कह सकते। पर कनाट प्लेस का नाम महात्मा गांधी के नाम पर होता। तो शायद चल निकलता। वैसे भी देशभर के हर कस्बे में एक गांधी मैदान। एक गांधी चौक। पर दिल्ली में गांधी के नाम पर एक गांधी समाधि। दूसरा पूर्वी दिल्ली का गांधी नगर।

पर मणिशंकर अय्यर को भूत सवार हुआ। तो उनने नरसिंह राव के शासनकाल में गांधी मां-बेटे को याद किया। कनाट प्लेस का बाहरी सर्कल इंदिरा के नाम। अंदर वाला राजीव के नाम। मणिशंकर इस बार भी मंत्री होते। तो अंदरूनी सर्कल के पार्क का नाम राहुल पर रखवा देते। खैर अपन बात कर रहे थे ग्रामीण रोजगार की। सीपी जोशी ने यह कोई बुरा काम नहीं किया। बस अब गांधी के नाम की इज्जत रखें। रोजगार योजना को भ्रष्टाचार से मुक्त कराएं। वैसे गांधी जयंती पर इस बार संघियों ने भी गांधी को याद किया। विश्व हिंदू परिषद ने गौ-ग्राम संस्कृति चेतना यात्रा शुरू कर दी। गांधी को बकरियों के साथ गाय भी बहुत प्यारी थी। शीला पूजन यात्रा के बाद वीएचपी की यह पहली यात्रा। शिमला में यात्रा की शुरूआत सीएम धूमल ने की। तो गौरक्षा की अहमियत पर बोले। पर अपन बात कर रहे थे खबरों के अकाल की। खगडिया में नक्सली हिंसा कम गंभीर खबर नहीं। पर अपने राजनीतिबाज कब मौतों पर गंभीर हुए। मौतों पर राजनीति का पुराना रिवाज। सो लालू यादव ने मौतों का ठीकरा नीतिश के सिर फोड़ दिया। लालू से अपन और उम्मीद भी क्या करते। बात मौतों की चली। तो मौत का तांडव कर्नाटक-आंध्र में दिखा। दोनों राज्यों में भयंकर बाढ़ ने सौ से ज्यादा जानें ले ली। कर्नाटक के हालात ज्यादा खराब। आंध्र के नए-नए सीएम रोसैया ने हेलीकाप्टरों से कई जानें बचाई। पर कर्नाटक के खराब मौसम में हेलीकाप्टरों का उड़ना भी आसान नहीं। खराब मौसम में उड़ान से अपन ने वाईएसआर का हादसा देखा ही। सो येदुरप्पा अहतियात बरतते रहे। पर राजनीति करने वालों को तो बहाना चाहिए। जगनमोहन को सीएम न बनाने की प्राकृतिक नाराजगी बता डाला। पर अपन गांधी पर लौट चलें। गांधी जयंती की छुट्टी न होती। तो अपन को राजनीतिक खबरों की कमी न रहती। नेता लोग कुछ न कुछ बोलते ही। छुट्टी के आलम में राजनीतिक खबरों का अकाल रहा। तो अपन को छुट्टी का माहौल बेहद अखरा। सो ऐसे में अपन को एक बंदे की बात बहुत अच्छी लगी। वह बंदा है शशि थरूर। शशि न तो भारत में पैदा हुए। न भारत में पले-बढ़े। सो रोज-रोज की छुट्टियों से परेशान होना ही था। यों तो थरूर भी सुबह गांधी की समाधि पर गए। सर्वधर्म सभा की श्रध्दांजलि में बैठे। पर छुट्टी खली। तो अपना टि्वटर खाता खोलकर मन की बात लिख दी। उनने गुरुवार रात की घटना का जिक्र किया। गुरुवार रात वह हामिद अंसारी के घर डिनर पर थे। जो वियतनाम के उपराष्ट्रपति ग्यूयेन के सम्मान में था। बात गांधी जयंती की चली। तो ग्यूयेन ने थरूर को बताया- 'भारत में जो दर्जा गांधी का। वियतनाम में वही दर्जा हो-चि-मिन्ह का। पर हो-चि-मिन्ह के जन्मदिन पर छुट्टी नहीं होती। वर्किंग डे है हो-चि-मिन्ह का जन्मदिन।' सो थरूर चाहते हैं गांधी जयंती पर बंद हो छुट्टी। ख्याल बुरा नहीं।

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