गुड गवर्नेंस के जनूनी सीएम का ऐसे चले जाना

Publsihed: 03.Sep.2009, 21:29

बात स्पीड हादसों की। कुछ सड़क हादसे। तो कुछ हवाई हादसे। दो नेता तो ट्रेन में कत्ल कर दिए गए। दीन दयाल उपाध्याय तब जनसंघ के अध्यक्ष थे। ललित नारायण मिश्र तो तब खुद रेलमंत्री थे। राजेश पायलट, साहिब सिंह वर्मा सड़क पर स्पीड के सवार शिकार हुए। तो संजय गांधी, माधवराव सिंधिया, बालयोगी, ओपी जिंदल-सुरेंद्र सिंह हवाई हादसों के। अब राजशेखर रेड्डी। राजेश पायलट खुद की स्पीड ड्राइविंग का शिकार हुए। तो राजशेखर भी गुड गवर्नेंस के जुनून का शिकार हुए। बुधवार को वह हेलीकाप्टर पर चढ़े। तो मौसम ठीक नहीं था। बारीश हो रही थी। सीएम हवाई दौरे पर जा रहे होंगे। तो मौसम विभाग से पूछताछ जरूर हुई होगी। पर राजशेखर ने दौरे पर निकलना ठान लिया। दौरे पर निकलने से ठीक पहले उनने कहा- 'मैं हर महीने दो-तीन गांवों में अचानक जाया करूंगा। देखूंगा सरकारी योजनाओं पर जमीनी अमल कितना?' यह था गुड गवर्नेंस का जनून।

बीजेपी चीफ राजनाथ सिंह ने श्रध्दांजलि दी। तो राजशेखर के गुड गवर्नेंस की तारीफ की। पर बात हवाई हादसे की। यों तो यह हवाई हादसा संजय, सिंधिया, सुरेंद्र सिंह से मिलता-जुलता। पर अपन को याद आता है नौ अप्रेल 1992 का हादसा। रूस के बने हवाई जहाज पर सवार हुए थे यासर अराफात। सुडान से लीबिया जा रहे थे। लीबिया के ऊपर से गुजर रहे थे। तभी रेत के तूफान ने आ घेरा था। यों पायलट ने एटीसी को तूफान की जानकारी दे दी थी। पर उसके बाद सब संपर्क टूट गए। लीबिया की वायुसेना को जहाज का मलबा दिखाई दिया। तो फौरन बचाव टीमें भेजी गई। बारह घंटे बाद जब पहली टीम पहुंची। तो पाया कि जहाज पर सवार तेरह में से दस लोग जिंदा थे। दोनों पायलट और एक तकनीशियन मारा गया था। पर अराफात और उसका सारा स्टाफ जिंदा था। पर अराफात और उनके सुरक्षा अधिकारी के पास संपर्क का जरिया नहीं था। सो बारह घंटे कोई संपर्क नहीं हुआ। अब आपने देखा है- जिस हेलीकाप्टर पर राजशेखर रेड्डी थे। उसमें सेटेलाइट फोन नहीं था। तो क्या सुरक्षा के नियम बदले जाने चाहिए? क्या आम लोगों की तरह वीआईपी के मोबाइल बंद रहने चाहिए? क्या सुरक्षा अधिकारी के पास कम्युनिकेशन का कोई बंदोबस्त नहीं होना चाहिए? अब हादसा हुआ है। तो इन सवालों के जवाब भी ढूंढने पड़ेंगे। पर फिलहाल सवाल आंध्र प्रदेश के सीएम का। अब कौन होगा राजशेखर रेड्डी का उत्तराधिकारी। कोनिजेटी रोसैया सबसे सीनियर मंत्री। सो फिलहाल चीफ मिनिस्टर हो गए। पर क्या सोनिया 76 साल के रोसैया को सीएम बना रहने देंगी? पर अब सोनिया का नहीं, राहुल का जमाना। तो क्या राजशेखर रेड्डी के बेटे जगन्न मोहन रेड्डी सीएम होंगे? बता दें- लाश मिलने की खबर आई। तो रोसैया की रहनुमाई में हुई केबिनेट ने प्रस्ताव पास किया- 'जगन्न को सीएम बनाया जाए।' जगन्न बाप और दादा की तरह राजनीतिज्ञ नहीं। राजशेखर तो कालेज के दिनों से पालिटिक्स में थे। पर जगन्न का राजनीतिक कैरियर सौ दिन का। सौ दिन पहले हुए चुनाव में पहली बार एमपी बने। तो क्या राजीव गांधी की तरह कदम रखते ही सीएम हो जाएंगे? जो पहली बार एमपी थे। इंदिरा की हत्या हुई। तो पीएम हो गए। तब भी केबिनेट का प्रस्ताव था। अब भी केबिनेट का प्रस्ताव। फिलहाल तो रोसैया सीएम हो गए। पर राजशेखर के समर्थकों ने दस्तखत शुरू कर दिए। यों तो कांग्रेस के 156 एमएलए। पर ज्यादा नहीं। तो जगन्न रेड्डी के समर्थन में 120 दस्तखत तो होंगे ही। पर सवाल फिर वही। क्या सोनिया हैदराबाद में वही दोहराएंगी। जो 1984 में दिल्ली में हुआ। या अभी कुर्सी पर कोई खड़ाऊं रखी जाएगी। जगन्न को दो-एक साल बाद हैदराबाद की कुर्सी सौंपी जाएगी। तब तक जगन्न केंद्र में स्टेट मिनिस्टर की ट्रेनिंग लें। वैसे जगन्न एमबीए पास बिजनेसमैन। देखते-देखते 'साक्षी' मीडिया की सल्तनत खड़ी कर दी। पर अभी राम नहीं, तो भरत कौन? क्या तब तक रोसैया ही। या जयपाल रेड्डी। सत्तर पार जनार्दन रेड्डी के दिन अब कहां बहुरेंगे।

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