नीतीश का नोटबंदी पर समर्थन करने पर कांग्रेस बेहद खफा है. बिहार की साझा सरकार में कांग्रेस भी शामिल है. इसलिए बिहार की कांग्रेस विचित्र स्थिति में खडी है. जहाँ एक तरफ राज्य सरकार नोटबंदी का समर्थन कर रही है ,वही कांगेस के नेता राहुल गांधी नोटबंधी विरोध का नेतृत्व कर रहे हैं. अब नीतिश कुमार ने कल लालू यादव से मुलाकात कर के उन्हे भी नोटबंदी के समर्थन के लिए राजी कर के कांग्रेस को अकेले मझधार में छोड दिया है.
बिहार चुनाव के समय महागठबंधन की ओर से सीएम पद के लिए नीतीश के नाम पर सहमति में कांग्रेस की ज्यादा भूमिका रही थी. कांग्रेस ने ही लालू यादव को इसके लिए तैयार किया था. ऐसे में नीतीश के नोटबंदी को लेकर बदले सुर से कांग्रेस को बड़ा झटका लगा है. कांग्रेस का मानना है कि नीतिश कुमार खुद को भावी प्रधानमंत्री के तौर पर अपनी छवि चमकाने के लिए नोटबंदी का समर्थन कर रहे हैं. नीतीश कुमार के बदलते हुए तेवरों से नाराज कांग्रेस ने कहा है कि महागठबंधन की ओर से प्रधानमंत्री पद के लिए केवल एक ही उम्मीदवार है. कांग्रेस का कहना है कि नीताश असल में साल 2019 में होने वाले लोकसभा चुनाव को दिमाग में रखते हुए ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नोटबंदी के फैसले का समर्थन कर रहे हैं.
गठबंधन में खुद को असहज महसूस करेते हुए कांग्रेस के नेताओ ने अलग होने के संकेत देने शुरु कर दिए हैं. कांग्रेस के एक वरिष्ठ नेता ने कहा कि नोटबंदी के खिलाफ चल रहे विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व राहुल गांधी कर रहे हैं और हमें हमारे एक मजबूत नेता की ओर से बड़ा झटका मिला है. इससे पार्टी को काफी दुख हुआ है. उन्होंने कहा कि एक ही गठबंधन से दो बड़े नेता ( नीतीश कुमार और राहुल गांधी) आम चुनाव में प्रधानमंत्री पद के दावेदार बनकर बिहार की जनता से वोट नहीं मांग सकते.
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