अजय सेतिया / क्या मंत्रिमंडल फेरबदल के बाद मोदी सरकार का स्वरूप ही बदल जाएगा | कुछ ऐसी अटकले राजनीतिक गलियारों में शुरू हो गई हैं | खबर है कि गृह, रक्षा, वित्त और रेल मंत्रालयों में भी बदलाव होगा | बीच में खबरें थी कि नरेंद्र मोदी अब हर मुद्दे पर अरुण जेटली को विशवास में नहीं लेते, लेकिन हाल ही की कुछ घटनाओं ने इस ख़बरों को बेबुनियाद साबित किया है | मनोहर परिकर जब गोवा के मुख्यमंत्री बन कर गए तो अरुण जेटली को वित्त के साथ साथ रक्षा मंत्रालय फिर से दिया गया | अब जबकि एक हफ्ते के भीतर मंत्रिमंडल में फेरबदल के संकेत मिल रहे हैं , तो ख़बरें आ रहीं है कि नरेंद्र मोदी पिछले दबावों से बाहर निकल कर मंत्रिमंडल बनाएंगे | सवा तीन साल पहले जब सरकार बनी थी, तब राजनाथ सिंह पार्टी के अध्यक्ष थे , इस लिए उन्हें गृह मंत्री का दूसरा बड़ा पद देना मोदी की मजबूरी थी | नरेंद्र मोदी ने भाजपा के अध्यक्ष पद पर अपने करीबी अमित शाह को बिठाने के लिए राजनाथ सिंह को गृहमंत्री बना दिया था , हालाकि सभी जानते हैं कि गृहमंत्री पद पर वः उनकी पसंद नहीं थे | अमित शाह के राज्यसभा सदस्य बनाने पर अटकलें थी कि राजनाथ सिंह की जगह पर अमित शाह को गृहमंत्री और जेपी नड्डा या भूपेन्द्र यादव को पार्टी अध्यक्ष बनाया जा सकता है | जेपी नड्डा विद्ध्यार्थी परिषद के पूर्णकालिक और भूपेन्द्र यादव छात्र जीवन में विद्ध्यार्थी परिषद की विश्वविध्यालय स्तर की शाखा के अध्यक्ष रहे हैं | जेपी नड्डा का पार्टी में विस्त्रत आधार है, जबकि भूपेन्द्र यादव का पार्टी में आधार सिर्फ अरुण जेतली हैं | लेकिन ये अटकलें पूरी तरह बेबुनियाद थीं, क्योंकि 2019 के लोकसभा चुनाव तक नरेंद्र मोदी किसी भी अन्य के हाथ में पार्टी की बागडौर नहीं सौंपेगे | पार्टी के तिक्त बंटवारे में अध्यक्ष की अहम् भूमिका हो जाती है और नरेंद्र मोदी किसी अन्य पर भरोसा नहीं कर सकते | अमित शाह गुजरात के विधायक थे और गुजरात विधानसभा का कार्यकाल इसी साल खत्म हो रहा है | पार्टी का राष्ट्रीय अध्यक्ष विधानसभा का चुनाव तो नहीं लड़ सकता, इसलिए उन्होंने राज्यसभा में आने का फैसला किया | वैसे भी पार्टी अध्यक्ष को राज्यसभा में लाने की परम्परा रही है | सिर्फ नितिन गडकरी ने यह कहते हुए राज्यसभा में आने से इनकार कर दिया था कि वह चुनाव जीत कर संसद में आएँगे | लेकिन यह अटकल सही दिखाई देती है कि नरेंद्र मोदी गृहमंत्रालय अब अपने किसी ख़ास वफादार के साथ में सौंपना चाहते हैं | अमित शाह के बाद मोदी जिस पर भरोसा करते हैं , वह अरुण जेटली हैं, इसलिए गृहमंत्री पद के लिए अब नया नाम अरुण जेटली का चल रहा है, जब कि राजनाथ सिंह को रक्षामंत्री बनाए जाने की अटकलें हैं | लेकिन मोदी के सामने सब से बड़ी अडचन आरएसएस है, अरुण जेटली संघ की पसंद नहीं हैं | इस लिए नरेंद्र मोदी ने रणनीति के तहत अरुण जेटली को हाल ही में केरल भेजा था , जब वहा वामपंथियों ने संघ के एक स्वयसेवक की हत्या की थी | कायदे से वहां गृह मंत्री या गृह राज्य मंत्री को जाना चाहिए था, लेकिन नरेंद्र मोदी ने वित्तमंत्री अरुण जेटली को भेजा | इसे उन्हें संघ के करीब लाने की रणनीति के तौर पर देखा गया | अरुण जेटली को अगर गृह मंत्री बनाया जाता है तो रक्षा मंत्री के साथ वित्तमंत्री भी नया लाया जाएगा | ख़बरें हैं कि नरेंद्र मोदी का रेलमंत्री प्रभु पर विशवास पहले से भी ज्यादा बढ़ा है , उन्होंने जिस चालाकी से बिना बजट में दर्शाए ट्रेन का किराया कई गुना बढ़ा दिया और कोई बड़ा विरोध भी नहीं हुआ , उस से उनकी वित्त प्रबंधन की योग्यता साबित हो गई है | इसलिए अटकल है कि सुरेश प्रभु को वित्त मंत्री पद पर बिठाया जा सकता है | अगर ऐसा होता है तो रेल मंत्री नया ढूंढना होगा | वैसे रेल, सड़क और परिवहन को एक मंत्रालय के अधीन लाने की बड़ी योजना पर भी विचार हो रहा है , लेकिन उस में अभी समय लगा , तो भी नितिन गडकरी को रेलमंत्रालय सौंपा जा सकता है | वैसे भी इस साल से रेल मंत्रालय का अलग बजट तो बंद हो ही चुका है |
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