लखनऊ: उत्तर प्रदेश में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव और समाजवादी पार्टी (सपा) के प्रदेश अध्यक्ष व कद्दावर मंत्री शिवपाल सिंह यादव के बीच चल रहा विवाद अब चरम की ओर बढ़ता दिख रहा है. एक तरफ शिव पाल ने कल कहा था कि वह इस्तीफा देने को तैयार हैं और दूसरी ओर आज अखिलेश के खास एमएलसी उदयवीर को पार्टी से 6 साल के लिए निकाल दिया.जब कि अखिलेश यादव की पहले ही शर्त है कि उन के सभी समर्थको की बर्खास्तगी रद्द की जाए . शिव पाल के ताज़ा हमले के मुख्यमंत्री अखिलेश यादव दूसरे दिन भी बैठक में नहीं पहुंचे, जबकि शिवपाल ने स्वयं उन्हें आमंत्रित किया था। कार्यकारिणी की इस महत्वपूर्ण बैठक में पार्टी प्रमुख मुलायम सिंह यादव भी नहीं आए।
शिवपाल ने पार्टी कार्यालय में शनिवार को कार्यकारिणी की बैठक बुलाई थी। उन्होंने इसके लिए मुख्यमंत्री को भी आमंत्रित किया था, लेकिन वह बैठक में नहीं आए। शुक्रवार को जिलाध्यक्षों की बैठक में भी वह नहीं शरीक हुए थे। बाद में उन्होंने जिलाध्यक्षों को अपने सरकारी आवास पर बुलाकर उनके साथ अलग से बैठक की थी।
कार्यकारिणी की बैठक से पहले शनिवार को पार्टी के वरिष्ठ नेता परिवार में सुलह कराने के प्रयास में मुलायम के आवास पर सुबह से ही जुटे थे। इन नेताओं में राज्यसभा सांसद बेनी प्रसाद वर्मा, रेवती रमण सिंह, नरेश अग्रवाल और विधानसभा अध्यक्ष माता प्रसाद पांडेय प्रमुख रहे. मुलायम से वार्ता के दौरान वहां शिवपाल भी मौजूद रहे। थोड़ी देर बाद वह वहां से निकलकर पार्टी कार्यालय चले गए और कार्यकारिणी की बैठक की अध्यक्षता की। इस बैठक में मुख्यमंत्री अखिलेश यादव के न पहुंचने पर कार्यकारिणी के सदस्यों में बड़ी उहापोह की स्थिति रही।
इस बीच मुख्यमंत्री ने अपने आवास पर पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेताओं और मंत्रियों के साथ मंथन किया. शुक्रवार को भी उन्होंने कई मंत्रियों के साथ बैठक की थी. इस दौरान उन्होंने पार्टी के गिर रहे ग्राफ के लिए केंद्रीय नेतृत्व को जिम्मेदार ठहराया। कैबिनेट मंत्री गायत्री प्रसाद प्रजापति भी शनिवार को मुख्यमंत्री आवास पहुंचे थे, लेकिन अखिलेश ने उनसे मिलने से मना कर दिया।
सपा में मचे घमासान के बीच अब सबकी नजर उन दो बैठकों पर है, जो रविवार और सोमवार को होने वाली हैं। दरअसल, मुलायम ने 24 अक्टूबर को पार्टी के सभी विधायकों की बैठक बुलाई है, लेकिन मुख्यमंत्री ने इससे ठीक एक दिन पहले रविवार को ही सभी एमएलए और एमएलसी की बैठक बुलाई
अखिलेश के खास उदयवीर सिंह ने बुधवार को ही सपा अध्यक्ष मुलायम सिंह यादव को चिट्ठी लिखकर इस बात की मांग की थी कि वे खुद पार्टी के संरक्षक बनें और अपनी कुर्सी (वर्तमान में राष्ट्रीय अध्यक्ष) अपने बेटे सीएम अखिलेश को सौंप दें। उदयवीर सिंह के इस कदम के बाद माना जा रहा था कि पत्र को लिखने के लिए एमएलसी उदयवीर सिंह गाज गिरनी तय है।
वहीं एक बार फिर से मतभेद खुलकर सामने आ गया है। उदयवीर सिंह के पत्र पर एमएलसी आशु मलिक ने निशान साधते हुए उनपर चापलूसी करने का आरोप लगाया था। सपा से निकाले जाने के बाद सपा एसएलसी उदयवीर सिंह ने कहा कि अगर एक फादर या पिता संरक्षक है तो इसमें क्या गलत है। मुलायम सिंह जी के संरक्षण में ही पार्टी चल रही है। पिता संरक्षक ही होता है।
अगर किसी को सेनापति बना दिया गया है तो उसको सभी हक़ मिलने चाहिए। बड़े और छोटे नेता की बात नहीं है। समाजवादी पार्टी में अपनी बात रखने का सबको हक़ है। वहीं उन्होंने कहा कि नेताजी जो फैसला करेंगे वो मैं मानूंगा। मैंने जो भी लिखा उस पर कायम हूं। अखिलेश जी के साथ जो हुआ वह गलत है। मैंने जो भी लिखा वह सही है। ऐसा पहले भी हुआ है कि पार्टी में लोगों को निकाला गया है। लेकिन बाद में गलती का एहसास हुआ तो वापस भी लिया गया। लेटर लिखने का कोई अफ़सोस नहीं है। पार्टी का समर्पित कार्यकर्ता हूं.
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