अजय सेतिया/ मुलायम सिंह ने समाजवादी पार्टी के महागठबंधन बना कर उत्तरप्रदेश विधानसभा के चुनाव मैदान में उतरने की सम्भावना को क्यो नकारा है. क्या यह सोची समझी गई नई रणनीति का हिस्सा है. बावजूद इस के कि नीतिश कुमार ने भी गठबंधन में शामिल होने से इंकार किया है, नीतिश कुमार की उत्तरप्रदेश में दिलचस्पी कम नहीं हुई है.
राजनीतिक विशेषज्ञो का मानना है कि अगर सपा का अजित सिंह के साथ गठबंधन हो तो मुस्लिम वोट अपने आप मायावती के साथ चले जाएंगे, जिस से मुलायम को गठबंधन का चुनावी नुकसान होगा. कारण यह है कि पिछले 3-4 साल में पश्चिम उत्तरप्रदेश में जितने भी साम्प्रदायिक दंगे हुए, वे जाटो और मुस्लिमो के बीच हुए. इस लिए अगर जाट महागठबंधन के नाम पर मुलायम के साथ आते हैं तो मुस्लमान नाराज हो कर मातावती के साथ जाएंगे.
इस लिए अब रणनीति यह हो रही है कि नीतिश कुमार पश्चिम उत्तरप्रदेश में अजित सिंह को भाजपा के साथ जाने से रोके, अगर अजित सिंह और भाजपा का गठबंधन हो गया तो पश्चिम उत्तरप्रदेश में बसपा और सपा दोनो का सफाया हो जाएगा. इस लिए अजित सिंह को रोकने के लिए नीतिश कुमार की मदद ली जा रही है. नीतिश कुमार पश्चिम उत्तरप्र्देश में अजित सिंह के साथ गठबंधन कर के अजित सिंह को भाजपा से ज्यादा सीटे दिलाने में मदद करे, इस से जहाँ एक तरफ भाजपा का नुकसान किया जा सकेगा ,वही बाद में जरुरत पडने पर अजित सिंह से समझौता किया जा सकेगा.
सपा के गठबंधन में शामिल नहीं होने के फैसले के बाद बिहार के मुख्यमंत्री और जनता दल (युनाइटेड) के अध्यक्ष नीतीश कुमार अगले महीने दिसम्बर में उत्तरप्रदेश का दौरा करेंगे. जद (यू) के प्रधान महासचिव क़े सी़ त्यागी ने बुधवार को कहा, “नीतीश कुमार फिलहाल निश्चय यात्रा में व्यस्त हैं, इसलिए नवंबर महीने में उत्तर प्रदेश में उनकी सभाएं आयोजित करना संभव नहीं है. दिसंबर में फिर से सभाओं का दौर शुरू हो सकता है. ये सभाएं पहले बुंदेलखंड और अवध के इलाकों में आयोजित होंगी।”हालांकि उन्होंने स्पष्ट किया कि अभी सभाओं के आयोजन की कोई तारीख निश्चित नहीं की गई है.
उल्लेखनीय है कि जद (यू) का शुरु में रणनीतिक प्रयास था कि उत्तर प्रदेश में अगले वर्ष होने वाले विधानसभा चुनाव में बिहार की तर्ज पर धर्मनिरपेक्ष दलों का एक महागठबंधन बने, लेकिन सपा प्रमुख मुलायम सिंह यादव ने अकेले चुनावी मैदान में उतरने की घोषणा कर दी है. अब संभावना है कि जद (यू), राष्ट्रीय लोक दल (रालोद) के साथ मैदान में उतरेगी. गौरतलब है कि कुछ महीने पूर्व नीतीश लगातार उत्तर प्रदेश का दौरा कर कई सभाओं को संबोधित कर चुके हैं.
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