संघ, राफेल और शस्त्र पूजा का रिश्ता

Publsihed: 08.Oct.2019, 14:32

अजय सेतिया / राष्ट्रीय स्वय सेवक संघ के सरसंघ चालक 1925 से ही शस्त्र पूजा कर के हिन्दू राष्ट्र को सम्बोधित करते रहे हैं | संघ का गठन विजय दशमी के दिन ही हुआ था | जब से संघ का कार्यक्षेत्र बढ़ने लगा , तब से ख़ास किस्म के मीडिया की निगाह गई और संघ की शस्त्र पूजा पर सवाल उठाए जाने लगे | आरोप यह था कि संघ अपने विरोधियों के खिलाफ हथियारों का इस्तेमाल करता है , इस लिए हर साल शस्त्र पूजा करता है | पर संघ ने अपने विरोधियों की आलोचना से पीछा छुडाने के लिए रामायण काल के पूर्व से चली आ रही हिंदुओं की शस्त्र पूजा की परम्परा को कभी बंद नहीं किया | अटल बिहारी बाजपेयी की सरकार बनने के बाद तो सरसंघ चालक के विजय दशमी पर होने वाले सम्बोधन पर भी मीडिया की निगाह टिकने लगी है |

इस बार भी सरसंघ चालक मोहन भागवत ने नागपुर के संघ कार्यालय में शस्त्र पूजा कर के स्वय सेवकों के माध्यम से देश को सम्बोधित किया | देश को सम्बोधन इसलिए , क्योंकि उन्होंने पिछले एक साल या उस से भी ज्यादा समय से संघ पर लगाए गए आरोपों का जवाब दिया है | जैसे उन्होंने एक तरफ माब लिंचिंग का विरोध करते हुए कहा कि ऐसा करने वालों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई होनी चाहिए , तो दूसरी तरफ उन्होंने यह भी कहा कि ऐसी घटनाएं भारतीय परम्परा का हिस्सा नहीं है , इसलिए माब लिंचिंग जैसा कोई शब्द भारतीय परम्परा में कहीं नहीं मिलेगा | यह शब्द वेस्ट से आयातित है, जहां माब लिंचिंग होती रही है | संघ के स्वय सेवकों का तो ऐसी घटनाओं से जुड़े होने का सवाल ही नहीं | इस तरह की छुटपुट घटनाओं का भारत को विदेशों में बदनाम करने के लिए इस्तेमाल किया जा रहा है | यह तो था सरसंघ चालक का वामपंथी टोले को जवाब , जो इस तरह की घटनाओं में संघ का हाथ बताता रहा है |

पर अपन शस्त्र पूजा की मूल बात पर आते हैं | रामायण में कहा गया है कि भगवान राम ने लंका पर चढाई करने से पहले शस्त्र पूजा की थी , इस का मतलब है कि हिन्दुओं में शस्त्र पूजा का प्रावधान पहले से था | अब यह स्पष्ट नहीं कि वह युद्ध से पहले की जाती थी , या बाद में , लेकिन रामायण काल के बाद दशहरे वाले दिन वार्षिक शस्त्र पूजा का प्रचलन शुरू हो गया | आश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को विजयादशमी मनाई जाती | इसी दिन भगवान राम ने लंका के राजा रावण पर विजय प्राप्त की थी | विजया दशमी को आसुरी शक्तियों पर देवता की विजय के रूप में मनाया जाता है | हिन्दू समाज इस बार की विजया दशमी को आशा की निगाह से देख रहा कि विदेशी आक्राताओं की ओर से ढहाए गए भगवान श्री राम के मंदिर के पुनर्निर्माण का उन का सपना पूरा होगा |

रामायण काल से क्योंकि विजया दशमी पर शस्त्र पूजा की परम्परा बन गई, इसलिए भारतीय सेना भी विजय दशमी पर शस्त्र पूजा करती है | यह अलग बात है कि भारतीय सेना के विजया दशमी पर शस्त्र पूजा की तरफ सेक्यूलर जमात का ध्यान नहीं गया | मजेदार बात यह है कि इस बार विजया दशमी के दिन ही वायुसेना दिवस भी पड गया | अब जब संघ परम्परा को मानने वाली मोदी सरकार ने अब तक का सब से घातक राफेल विमान विजया दशमी वाले दिन हासिल करने का फैसला किया और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने शस्त्र पूजा के साथ विमान हासिल किया है तो कुछ लोगों के कान जरुर खड़े हुए होंगे | राफेल और उस पर लगे शस्त्रों में ऐसी क्षमता है कि वह बिना सीमा पार किए ही बालाकोट जैसी सर्जिकल स्ट्राईक कर सकता है | राफेल 4.5वीं पीढ़ी का विमान है जिसमें राडार की नजर  से बच निकलने की तरकीब है | कांग्रेस 2019 का चुनाव राफेल पर सवार हो कर ही हारी थी , क्योंकि राहुल गांधी राफेल विमान खरीदी में घोटाला बता रहे थे , लेकिन भारत की जनता ने माना कि वह वह किसी साजिश के तहत राफेल विमानों की सप्लाई रुकवा कर देश को कमजोर करना चाहते हैं | चुनाव हारने के बाद उन्होंने कभी अपनी जुबान से राफेल शब्द ही नहीं निकाला |

 

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