बोफोर्स से बेहतर 145 एम-777 हॉवित्जर तोपों का आर्डर

Publsihed: 20.Oct.2016, 20:19

ई दिल्‍ली। देश के रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की अध्यक्षता वाली रक्षा खरीद परिषद ने दो दशक से लंबित एम-777 हॉवित्जर तोपों के सौदे पर गुरुवार को मुहर लगा दी. इसी के साथ 1986 में बोफोर्स तोप के बाद अब सेना को उस से भी ज्यादा कारगर तोप मिलने का रास्ता साफ हो गया है

भारत ने वाजपेयी शाषण काल में 145 एम 777 तोपे 446 मिलियन अमेरिकी डालर में खरीदना तय किया था. लेकिन सरकार बदलने के बाद 2004 में इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया. जब 2010 में सरकार ने फिर खरीदने का फैसला किया तो 11 मई 2012 को  600 मिलियन डालर का सौदा किया गया. आश्चर्यजनक ढंग से 2 अगस्त 2013 को कीमत बढ कर 885 मिलियन डालर हो गई. लेकिन24 फरवरी 2014 को खरीददारी फिर रोक दी गई. लेकिन चुनाव नतीजो के तुरंत बाद 11 मई 2014 को सरकार ने खरीददारी की पुष्टि कर दी, लेकिन नई मोदी सरकार ने 11 जुलाई 2014 को घोषणा की कि ज्यादा कीमतो के कारण खरीददारी को रद्द किया जाता है.

मोदी सरकार ने 22 नवम्बर 2014 को " मेक इन इंडिया" कार्यक्रम के अंतर्गत नए सिरे से खरीददारी की प्रक्रिया शुरु की. जिसे 6 महीने में सिरे चढा दिया गया और 145 तोपो का सौदा 750 मिलियन डालर में सौदा कर लिया, रक्षा मंत्रालय ने इसी के साथ घोषणा की थी कि भारत 500 तोपे और खरीदेगा. 

बोफोर्स के बाद मिलेगी एम-777 हॉवित्जर तोपों की सुविधा

आज रक्षा खरीद परिषद ने अमेरिका से 145 अल्ट्रा लाइट हॉवित्ज़र तोपों के सौदे को हरी झंडी दे दी है. इसके साथ ही अच्छी तोप के मामले में सेना का तीस साल पुराना इंतज़ार ख़त्म जल्द ही ख़त्म होने जा रहा है. रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर की अध्यक्षता वाली डीएसी ने 1986 में बोफोर्स के बाद पहली बार सेना के लिये बढ़िया तोप एम-777 हॉवित्जर तोपों के खरीदने का रास्ता साफ कर दिया है। अब यह मामला कैबिनेट की सुरक्षा मामलों की समिति के पास जाएगा।

7000 करोड़ की रक्षा डील

7000 करोड़ की इस डील के तहत अमेरिका भारत को 145 नई तोपें देगा। ऑप्टिकल फायर कंट्रोल वाली हॉवित्ज़र से तक़रीबन 40 किलोमीटर दूर स्थित टारगेट पर सटीक निशाना साधा जा सकता है। डिजिटल फायर कंट्रोल वाली यह तोप एक मिनट में 5 राउंड फायर करती है। 155 एम एम की हल्की हॉवित्ज़र सेना के लिए बेहद अहम होगी, क्योंकि इसको जम्मू-कश्मीर और अरुणाचल प्रदेश जैसे पहाड़ी क्षेत्रों में आसानी से ले जाया जा सकता है। सेना में माउंटेन स्ट्राइक कोर के गठन के बाद इस तोप की ज़रुरत और ज़्यादा महसूस की जा रही थी।

अरुणांचल में अत्यंत उपयोगी

अरुणाचल में चीन से सटी सीमा पर सेना को इस तोप की ख़ास दरकार थी। हॉवित्जर 155 एम एम की अकेली ऐसी तोप है जिसका वज़न 4200 किलो से कम है। देश में ही 155 एम एम की तोप बनाने की ऑर्डनेन्स फैक्ट्री बोर्ड की कोशिशें उतनी कामयाब नहीं रही हैं। ट्रायल के दौरान गन बैरल फटने की घटनाएं भी सामने आईं थीं। ज़ाहिर है हॉवित्ज़र का आना सेना में आर्टिलिरी के लिये मील का पत्थर साबित होगा।

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