राहुल की चीन के राजदूत से मुलाक़ात का बवाल 

Publsihed: 10.Jul.2017, 22:34

यह सचमुच गंभीर मामला है | सिक्किम सीमा पर तनाव को राजनीतिक मुद्दा बनाया जा रहा है | न यह भाजपा के लिए ठीक है, न कांग्रेस और वामपंथियों के लिए | वामपंथियों का चीन प्रेम जगजाहिर है | पर कांग्रेस का 1962 में ही चीन से मोहभंग हो गया था | राजीव गांधी ने जरुर 1988 में चीन यात्रा की थी , जिस से संबंधों में जमी बर्फ पिघली थी | तब भी कांग्रेस ने चीन से प्यार की पींगें तो नहीं डाली थीं | पर कांग्रेस का मौजूदा नेतृत्व अब यह क्या कर रहा है | पहले राहुल गांधी ने चीन पर प्रधानमंत्री की चुप्पी पर सवाल उठाया | जो सीमा पर तनाव के चलते अनुचित था | वह कांग्रेस अध्यक्ष भी होते, तो भी यह सवाल उचित नहीं होता | वह विपक्ष के नेता होते , तो भी यह सवाल सिर्फ संसद में उठाना उचित होता | इतना क्या कम था, राहुल गांधी ने चीन के राजदूत से गोपनीय मुलाक़ात कर डाली | वह विपक्ष के नेता होते, तो भी सरकार को विशवास में ले कर मुलाक़ात उचित होती | विपक्ष के नेताओं की राजदूतों से ऐसी मुलाकातें होती रहती हैं | पर ऐसी मुलाकातों से पहले विपक्ष के नेता को विदेश मंत्रालय ब्रीफ करता है | सांसद के नाते भी विदेश मंत्रालय को सूचित करना उन की जिम्मेदारी थी | सारी परम्पराएं तोड कर मुलाक़ात हुई थी |  इस मुलाक़ात को छुपाआ भी गया | चीन के दूतावास ने खबर को लीक किया |  मुलाक़ात 8 जुलाई को हुई थी | अगले दिन 9 जुलाई को चीन दूतावास की वेबसाईट पर जानकारी दी गई | वेबसाईट पर खबर थी-" 8 जुलाई को कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी ने चीनी राजदूत लुओ झाओहुई से मुलाक़ात की और भारत-चीन के ताज़ा हालात पर चर्चा की | " जैसे ही यह खबर फ़ैली भाजपा नेताओं ने आसमान सिर पर उठा लिया | कांग्रेस में भी हडकंप मच गया | कांग्रेस अपना स्पष्टीकरण दे देती , तो ठीक होता | पर चीन ने अपनी वेबसाईट से खबर हटा ली | इस ने पहले से भी बड़ा बवाल खडा कर दिया | यह समझना मुश्किल नहीं था कि राहुल गांधी ने दबाव बनाया होगा | चीन उस दबाव में नहीं आता , खबर नहीं हटाता तो इतना बवाल नहीं मचता | कांग्रेस प्रवक्ता रणदीप सुरजेवाला का स्पष्टीकरण काफी होता | जो उनने बाद में दिया | पर चीन के दूतावास की वेबसाईट से खबर हटने से कई आशंकाएं पैदा की | " पहली आशंका- क्या राहुल गांधी के दफ्तर ने दूतावास पर खबर हटाने का दबाव बनाया था | दूसरी आशंका - राहुल गांधी इस खबर को छुपाना क्यों चाहते थे | तीसरी आशंका- क्या चीनी राजदूत और राहुल गांधी में कुछ संवेदशील बातें हुई | चौथी आशंका- क्या चीनी दूतावास भी उन बातों को छुपाना चाहता है , इस लिए उस ने खबर हटाई | " काफी हील-हुज्जत के बाद आखिर कांग्रेस पार्टी ने इस मुलाक़ात की सोमवार को पुष्टि की | सुरजेवाला ने कहा - "बैठक को सनसनीखेज़ मुद्दा बनाने की ज़रूरत नहीं है..." सवाल यह था कि अगर सनसनीखेज मुद्दा नहीं | तो चीनी दूतावास ने सोमवार सुबह खबर को वेबसाईट से हटाया क्यों | सनसनीखेज नहीं था, तो कांग्रेस ने खुद यह खबर मीडिया से क्यों छुपाई | राहुल गांधी का दफ्तर सोमवार सुबह तक न पुष्टि कर रहा था, न खंडन | भाजपा के नेताओं ने राहुल की आलोचना शुरू की |  तो कांग्रेस के सोशल मीडिया सेल की प्रमुख राम्या ने ट्विटर पर लिखा - "अगर कांग्रेस उपाध्यक्ष चीनी राजदूत से मिले भी हैं, तो मैं इसे मुद्दे के रूप में नहीं देखती..." यानी कांग्रेस के सोशल मीडिया सेल को भी मुलाक़ात की कोई जानकारी नहीं थी | जब पूरा बवाल मच गया, तब रणदीप सिंह सुरजेवाला ने ट्विटर पर ज़ोर देकर कहा -" भारत के चीन के साथ अब भी राजनयिक संबंध बरकरार हैं | (फिर बवाल क्यों ) |" फिर सुरजेवाला ने पुष्टि का बयान जारी करते हुए कहा-" राहुल गांधी ने चीनी राजनयिक से मुलाकात की, और भूटानी राजदूत से भी - यह स्टैंडर्ड प्रोसीजर है..." आगे कहा, "जी-5 देश के राजदूत शिष्टाचार के नाते राहुल गांधी से भेंट किया करते हैं... हमें इन सामान्य शिष्टाचार भेंटों को ख़बर नहीं बना डालना चाहिए..."| जब बवाल बढ़ता और उलझता गया | तो सोमवार शाम छह बजे राहुल गांधी खुद सामने आए | उन ने लगातार कई ट्विट किए | पहला ट्विट -" यह मेरा काम है कि संवेदनशील मुद्दों पर जानकारी रखूँ | मैं चीन के राजदूत ,पूर्व राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार ( शिव शंकर मेनन ), पूर्वोतर के कांग्रेस नेताओं और भूटान के राजदूत से मिला |" दूसरा ट्विट - "अगर सरकार चीनी राजदूत के साथ मेरी मुलाकात को लेकर इतनी ही चिंतित है, तो उन्‍हें इस बात का जवाब भी देना चाहिए कि जब सीमा पर विवाद है तो क्‍यों 3 मंत्री चीन की यात्रा पर हैं |" आप को याद होगा , भारत यात्रा के दौरान चीन के राष्ट्रपति और मोदी अहमदाबाद में झूले पर बैठे थे | उसी पर कटाक्ष करते हुए राहुल का तीसरा ट्विट था - "और बता दूं कि मैं वह शख्‍स नहीं हूं जो झूले पर बैठा रहा जब हजार की संख्‍या में चीनी सैनिक भारत में घुस आए थे |" यह बवाल सिर्फ राजनीतिक नहीं | विदेश मंत्रालय में भी बवाल है | सांसद बिना ब्रीफ लिए किसी राजदूत से कैसे मिले | 

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