नई दिल्ली, पार्टी पर पकड कमजोर पडने के बाद मुलायम सिंह चुनाव चिंह साईकिल बचाने की कोशिश में लगे हुए हैं. हालांकि अखिलेश यादव ने भी साईकिल पर दावा ठोकने के लिए आज राम गोपाल यादव को चुनाव आयोग भेजा है. चुनाव आयोग ने कल मुलायम सिंह को सुना था और आज अखिलेश कैम्प को सुना. अखिलेश कैम्प का दावा है कि सपा की राष्ट्रीय परिषद के 429 सदस्यो में से 420 उन के साथ हैं.
अखिलेश कैम्प की कोशिश है कि अगर उन्हे साईकिल न मिले तो मुलायम सिंह को भी न मिले. अखिलेश यादव ने मन बनाया है कि साईकिल न सही उन्हे मोटर साईकिल मिल जाए.अखिलेश को साईकिल की ज्यादा चिंता नहीं है क्योंकि बाप-बेटे की इस लड़ाई में मुलायम की छवि के आगे अखिलेश ज्यादा चमकते हुए नजर आ रहे हैं. सिर्फ सपा के कार्यकर्ता ही नहीं आम आदमी का रुख भी अखिलेश की तरफ है.
हालांकि अमर सिंह के कट्टर विरोधी आज़म खान अभी भी बाप-बेटे में सुलह कराने की पूरी कोशिश कर रहे हैं. आज़म खान ने आज मुलायम सिंह से मुलाकात के बाद लखनऊ में कहा कि मुसलमानो में रोष है, क्योंकि मुसलमान चाहते हैं कि सपा सरकार ही बने. उन्होने कहा कि अभी भी उम्मींद खत्म नहीं हुई है, पहले उन्होने कोशिश की थी और कामयाबी मिली थी, अब भी सब कुछ सम्भव है. लेकिन उन्होने स्पष्ट नहीं किया कि वह समझौते की कोशिशो में जुटे हैं. आज़म खान ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले की तारीफ की कि चुनावो में धर्म का इस्तेमाल न हो.
पूर्व निर्वाचन आयुक्त एस.वाई.कुरैशी ने कहा था कि ऐसा भी हो सकता है कि दोनों में से किसी भी गुट को साइकिल चुनाव चिन्ह न मिले. कुरैशी ने कहा कि अपने पास बहुमत को दर्शाने के लिए दोनों पक्ष अपने दावे के पक्ष में हलफनामा और अपने समर्थकों के हस्ताक्षर पेश करेंगे. उन्होंने कहा था कि इनका सत्यापन होगा और इसमें चार से पांच महीने का वक्त लग सकता है.ऐसी स्थिति में यदि चुनाव आयोग किसी एक पक्ष को चिन्ह देने के फैसले पर नहीं पहुंच पाता है तो वह इस पर रोक लगा सकता है. ताकि चुनावों के दौरान किसी पक्ष को अतिरिक्त लाभ ना हो.
आपकी प्रतिक्रिया