दफ्नाया क्यो गया ब्राह्मण जयललिता को

Publsihed: 06.Dec.2016, 22:58

जयललिता का पार्थिव शरीर मरीना बीच के एमजीआर मेमोरियल में राजकीय सम्मान के साथ दफना दिया गया. जयललिता के अंतिम अंतिम संस्कार की रस्में शशिकला ने निभाई.  अंतिम दर्शन करने वालों में केंद्रीय मंत्री वेंकैया नायडू, राज्य के मुख्यमंत्री पनीरसेल्वम, कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी शामिल थे. जयललिता को दफनाए जाने से पहले तमिलनाडु के राज्यपाल सी. विद्यासागर ने पार्थिव शरीर पर पुष्पचक्र अर्पित किए.

जे. जयललिता को दफनाए जाने पर देश भर के हिंदुओ में आक्रोश है और एक उत्सुकता भी है कि ब्राह्मण होने के बावजूद उन्हे  दफनाया क्यो गया .जयललिता आस्था रखने वाली महिला थीं और वह नियमित रूप से अपने माथे पर आयंगर नमम लगाती थीं तो ऐसे में राज्य सरकार और शशिकला के परिवार ने आयंगर प्रथा का पालन करने की बजाय उन्हें दफनाने का फैसला क्यों किया? जबकि आयंगरों में दाह-प्रथा प्रचलित है.

अंतिम संस्कार कार्यक्रम से जुड़े सरकार के एक वरिष्ठ अधिकारी ने ऐसा करने के पीछे वजह बताई.अधिकारी ने कहा, 'वह हमारे लिए आयंगर नहीं थीं. वह किसी जाति एवं धार्मिक पहचान से परे हो गई थीं. असल में तमिलनाडू में नेताओ की स्माधिया बनती है, इस लिए उन्हे दफनाया जाता है ताकि उन के भक्त जब वहाँ माथा टेकने जाए तो उन्हे अहसास हो कि उन का नेता यन्ही पर है.  पेरियार, अन्ना दुरई और एमजीआर सहित ज्यादातर द्रविड़ नेता दफनाए गए. नेताओं के दाह-संस्कार करने की हमारे पास कोई मिसाल नहीं है. इसलिए हम शवों को चंदन और गुलाब जल के साथ दफनाते हैं.'

नेताओं के स्मारक बनाए जाने से उनके समर्थकों एवं प्रशंसकों को अपने नेताओं को याद रखने में मदद मिलती है. द्रविड़ आंदोलन से जुड़े नेता नास्तिक रहे हैं. द्रविड़ नेता सिद्धांत रूप से ईश्वर और उनसे जुड़े प्रतीकों को नकारते रहे हैं. लेकिन यह देखना दिलचस्प है कि द्रविड़ों में भी ईश्वर में अविश्वास की जगह प्रतिमाओं एवं स्मारकों ने ले ली है. प्रशंसक और अनुयायी मानते हैं कि वे अब भी मरीना बीच पर एमजीआर की घड़ी की टिक-टिक की आवाज सुन सकते हैं.तमिलनाडु के नेताओं के अंतिम संस्कार के साक्षी रहे एक वरिष्ठ राजनीतिक समीक्षक ने कहा कि जयललिता को दफनाए जाने के पीछे एक से अधिक कारण हो सकते हैं.

उन्होंने कहा, 'चूंकि, जयललिता आस्था रखने वाली महिला थीं, ऐसे में लोग उम्मीद करते थे कि उनकी मौत के बाद उन्हें जलाया जाए लेकिन ऐसा करने के लिए जयललिता के परिवार के किसी सदस्य की जरूरत पड़ती. जयललिता की एक ही सगी रिश्तेदार दीपा जयकुमार है. दीपा जयललिता के दिवंगत भाई जयाकुमार की बेटी है. स्पष्ट है कि शशिकला का परिवार नहीं चाहता होगा कि दीपा अंतिम संस्कार में शामिल हो और उन्हें किसी तरह की चुनौती पेश करे.'

ब्रिटेन में मीडिया एवं संचार में रिसर्च कर रही दीपा ने 22 सितंबर के बाद अपोलो अस्पताल में जयललिता से कई बार मिलने की कोशिश की लेकिन उसे मिलने की इजाजत नहीं दी गई. दो दिन पहले पुलिस ने दीपा और उसके पति को अस्पताल से जबरन बाहर किया था. दोनों को अस्पताल और मीडिया से दूर रखने के निर्देश वरिष्‍ठ नेताओं की तरफ से आए थे.

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