सेनाध्यक्ष के एक कदम से सारा देश खुशी से झूमा

Publsihed: 22.May.2017, 21:54

नई दिल्ली | उत्तराखंड को अपने सपूत सेनाध्यक्ष बिपिन रावत पर आज गर्व होगा कि उन्होंने सेक्यूलरवादियों के विरोध को दरकिनार  कर मेजर लीतुल गोगोई को  'कमेंडेशन कार्ड' से सम्मानित किया | मेजर गोगोई वही हैं जिन्होंने कश्मीर में एक व्यक्ति को जीप से बांध कर सेनिकों और अर्ध्सेनिक बलों को आतंकवादियों के समर्थकों की ओर से किए जाने वाले पथराव से बचाव किया था | इस पर आरा देश दो हिस्सों में बंट गया था | जहां एक तरफ मेजर की तारीफ़ की जा रही थी, वहां सेक्यूलरवादियों और विपक्षी दलों ने मेजर गोगोई पर कार्रवाई की मांग की थी | सेनाध्यक्ष की ओर से आज मेजर गोगोई को सम्मानित किए जाने की खबर आते ही सारी देश झूम उठा |

सेनाध्यक्ष ने कल अपने घाटी प्रवास के समय मेजर गोगोई को  'कमेंडेशन कार्ड' से सम्मानित किया | इस से स्पष्ट है कि उनके खिलाफ एक कश्मीरी युवक को जीप के बोनट से बांधने के मामले में कोर्ट आफ इंक्वारी में उन्हें दोषी नहीं माना जाएगा | 

सेना के प्रवक्ता अमन आनंद ने बताया, "मेजर गोगोई को आतंकवादी विरोधी अभियान में निरंतर प्रयास करने के लिए चीफ आफ आर्मी स्टाफ के कमेंडेशन कार्ड से पुरस्कृत किया गया है." सूत्रों के अनुसार गोगोई को जनरल रावत की हाल की जम्मू कश्मीर यात्रा के दौरान पुरस्कृत किया गया.
 
श्रीनगर लोकसभा सीट के लिए नौ अप्रैल को हुए उपचुनाव में सेना के एक वाहन में एक व्यक्ति को बांधे हुए दिखाये जाने वाले वीडियो के वायरल होने पर सार्वजनिक आलोचना शुरू हो गई जिसके बाद सेना ने एक जांच गठित की थी.

हालांकि बाद में खबरें आईं थी कि अगर उस व्यक्ति को ढाल की तरह नहीं खड़ा किया जाता तो 400 लोगों की भीड़ पोलिंग अधिकारियों पर हमला कर देती. सूत्रों के मुताबिक यह वीडियो तब बनाया गया जब पोलिंग अधिकारियों का एक समूह मतदान केंद्र से बच निकलने की कोशिश कर रहा था और उनका सामना पत्थरबाजों से हो गया. समूह की मदद के लिए सेना की एक टीम को बुलाया गया लेकिन तब तक भीड़ बढ़ चुकी थी और 15 जवानों की सेना की टुकड़ी के आगे बहुत बड़ी हो चुकी थी. सूत्र की मानें तो अगर उस वक्त गोलीबारी की जाती तो भीड़ का गुस्सा सेना पर फूट पड़ता. इसलिए खुद को बचाने के लिए कंपनी कमांडर ने एक प्रदर्शनकारी को पकड़ा और उसे जीप से बांध दिया. इसके बाद सेना और पोलिंग अधिकारी सुरक्षित तरीके से उस इलाके से बाहर निकल गए और अपने साथ लाए गए प्रदर्शनकारी को पुलिस के हवाले कर दिया गया.

सेना की जीप में बंधे दिख रहे व्यक्ति की पहचान फारूक डार के रूप में हुई थी जबकि इसमें शामिल सैन्य इकाई की पहचान 53 राष्ट्रीय राइफल्स के रूप में हुई थी. मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती के निर्देश पर मामले की जांच कर रहे अधिकारियों ने बताया था कि डार मध्य कश्मीर के बडगाम जिलांतर्गत खाग तहसील के सीताहरण गांव का निवासी है.
 

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