मौसम है सीरिया में विद्रोह का कारण

Publsihed: 10.Sep.2015, 09:30

अमर उजाला, 10 September 2015

सीरिया 21वीं शताब्दी का सबसे बड़ा गृह युद्ध झेल रहा है। पहले ऑस्ट्रिया के हाई-वे पर एक रेफ्रीजरेटर की लॉरी में सत्तर से अधिक लोगों की लाश मिलने से हड़कंप मचा। इसके बाद टर्की के समुद्र किनारे तीन वर्षीय सीरियाई बच्चे की औंधे मुंह पड़ी लाश ने दुनिया को द्रवित कर दिया है। गृह युद्ध से जान बचाकर भाग रहे सीरियाई नागरिकों की कहानी बताने के लिए ये दो घटनाएं काफी नहीं हैं। सीरिया के मौजूदा संकट की कहानी 15 मार्च, 2011 से शुरू हुई है, जब वहां के सीमांत शहर दार में बशर-अल-असद शासन के खिलाफ पहला प्रदर्शन हुआ। करीब चार दशक से शासन कर रहे बशर-अल-असद परिवार के खिलाफ दार में प्रदर्शन क्यों शुरू हुआ, इसकी पृष्ठभूमि 2006 का अकाल है। यह अगले पांच वर्षों तक जारी रहा। तब कुल उपजाऊ भूमि का 85 प्रतिशत भाग सूखे का शिकार हो गया था। खाद्य सामग्री का भंडार समाप्त हो गया था, और लोग गांवों से शहरों की तरफ पलायन करने लगे थे। स्थिति यह थी कि जिनकी गांव में अच्छी खासी जमींदारी थी, उन किसानों को भी अपना और अपने परिवार का पेट पालने के लिए शहरों में सफाई कर्मचारी के तौर पर काम करना पड़ा। वैज्ञानिकों का निष्कर्ष है कि सीरिया का यह सूखा मानव जनित मौसम परिवर्तन का नतीजा है।

बड़े पैमाने पर विस्थापित हुए एवं नरक की जिंदगी जीने को मजबूर सीरियाई किसानों में रोष व्याप्त था। बशर-अल-असद ने इन किसानों को राहत पहुंचाने के लिए भेदभावपूर्ण काम किया। सरकारी कुएं शियाओं को आवंटित किए गए। इससे किसानों के किशोर बच्चों के मन में विद्रोह की चिंगारी भड़कने लगी। दार शहर के कुछ किशोरों ने रात को शहर की दीवारों पर राष्ट्रपति के खिलाफ नारे लिखे, जिसके परिणामस्वरूप अगले दिन ही स्थानीय पुलिस ने 15 किशोरों को गिरफ्तार कर लिया। पुलिस किसी भी देश की हो, उसका चरित्र एक सा होता है। जब पुलिस ने किशोरों पर अमानवीय अत्याचार किए, तो स्थानीय जागरूक नागरिकों ने 15 मार्च, 2011 को दार शहर में पहला प्रदर्शन किया। छह वर्ष के सूखे ने सीरियाई नागरिकों की सहनशक्ति समाप्त कर दी थी। लिहाजा यह प्रदर्शन पूरे देश में फैल गया। और जब प्रदर्शनकारियों पर फायरिंग हुई, तो विद्रोह शुरू हो गया।

उस वक्त बशर-अल-असद सांप्रदायिक आधार पर ध्रुवीकरण में कामयाब हो गए, जिस कारण जहां उन्हें ईरान का समर्थन मिल गया, पर सऊदी अरब और कतर सीरिया के सुन्नी विद्रोहियों का समर्थन कर रहे हैं। वर्ष 2007 में अमेरिका से मात खाने के बाद अलकायदा ने मजबूती के साथ वापसी करते हुए उत्तरी इराक पर कब्जा कर लिया। अब यह आईएस (इस्लामिक स्टेट) के नाम के साथ सीरिया में प्रवेश कर चुका है। लगातार होनेवाली बमबारी में सीरिया के लगभग सभी शहर तबाह हो चुके हैं। वहां सवा तीन लाख लोग मारे जा चुके हैं, 42 लाख लोग जॉर्डन, लेबनान, ईराक, टर्की, मिस्र, इटली, हंगरी, कनाडा और इटली में वैध-अवैध प्रवेश कर रहे हैं और बचे सीरियाई जंग में शामिल हैं। उधर मौसम वैज्ञानिकों का मानना है कि राजनीतिक तौर पर सीरिया भले उबर जाए, पर 2050 तक वहां कृषि उपज की क्षमता में गिरावट जारी रहेगी। यदि स्थिति ऐसी ही बनी रही, तो वहां और गंभीर सूखा पड़ेगा, जिससे समस्या और गंभीर होगी।

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