आतंकवादियो के हमदर्दो और विरोधियो की वोट राजनीति

Publsihed: 01.Nov.2016, 19:45

भोपाल की सेंट्रल जेल में बंद प्रतिबधित सिमी से जुडे आठ आतंकियों के जेल से फरार होने पर सवाल उठाने के बाद मध्यप्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री दिग्विजय सिंह का नया सवाल वोट की राजनीति को ओर तेज करने वाला है. बाटला हाऊस मुठभेड के समय अपनी ही यूपीए सरकार पर सवाल उठाने और मुस्लिम वोट बैंक की राजनीति करने आज़मगढ जाने वाले दिग्गी राजा ने यूपी के चुनाव में ध्रुविकरण की राजनीति को धार देते हुए अब पूछा है कि जेल से मुस्लिम कैदी ही क्यो भागते हैं.

दिग्विजय सिंह पर पलटवार मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह और भाजपा के नए हिंदु चेहरे सुब्र्ह्मणयम स्वामी  ने किया है. जहाँ जेल में मारे गए प्रधान आरक्षक रमाशंकर के घर जा कर मिज़ाज़पुर्सी करते समय शिवराज सिंह ने दिग्विजय सिंह का बिना नाम लिए कहा देश के कुछ नेताओं को जवानों की शहादत नहीं दिखती. वे बस वोट बैंक के लिए शहादत पर भी राजनीति करते हैं. पर अपनी कडक टिप्पणियो के लिए मशहूर स्वामी ने कहा है कि दिग्विजय सिंह अपनी दूसरी शादी के बाद मानसिक संतुलन खो बैठे हैं.

असल में दिग्विजय ने आतंकियों के फरार होने की घटना पर ट्वीट किया था कि ये आतंकी भागे हैं या किसी योजना के तहत भगाए गए हैं? इस पर स्वामी ने दिग्विजय पर तंज कसते हुए यह बात कही. स्वामी ने कहा कि दिग्विजय सिंह बहुत से ऐसे बयान देते हैं, जो गलत और हास्यास्पद होते हैं. बीजेपी नेता ने कहा, 'दिग्विजय सिंह ने आईपीएस ऑफिसर हेमंत करकरे के बारे में कहा था कि आरएसएस ने उनकी हत्या की है. लगता है कि अपनी दूसरी शादी के बाद से उन्होंने अपना मानसिक संतुलन खो दिया है, इसलिए उनके बयानों का जवाब देकर उनके मानसिक संतुलन को हमें और ज्यादा खराब नहीं करना चाहिए.'

क्या है मामला ?

बता दें कि रविवार की रात मध्य प्रदेश के भोपाल सेंट्रल जेल से सिमी के 8 आतंकी दीवार फांदकर फरार हुए थे. आतंकियों ने प्रधान आरक्षक रमाशंकर की गला रेता कर हत्या की और उसके बाद चादर की रस्सी बनाकर दीवार फांदकर भाग गए थे, जिसके बाद पुलिस ने मध्य प्रदेश के गांदी नगर के खेजड़ा देव गांव के पास सभी आतंकियों को मार गिराया.

आंसू का कतरा नहीं....और....

भोपाल के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने जेल से भागे 8 आंतकियों की मौत पर सवाल उठाने वालों पर कड़ा प्रहार किया है. कांस्टेबल रमाशंकर को अंतिम विदाई देने पहुंचे शिवराज ने कहा कि देश के शहीदों के लिए जिनके आंख में आंसू का एक कतरा नहीं है, वैसे लोग राजनीतिक फायदों के लिए आतंकियों की मौत पर सवाल उठाए जा रहे हैं.शिवराज ने कहा कि सरकार रमाशंकर के परिजनों के साथ है. रमाशंकर ने अपने कर्तव्य के लिए जान की कुर्बानी दी.उस शहीद की बेटी बेटे पर क्या गुज़री होगी जिसकी अगले महीने शादी है . क्या उनकी शहादत झूठी थी ? या आप तुष्टिकरण के लिये एक झूठ को प्रचारित कर रहे हैं .

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15 लाख अनुदान का एलान

रमाशंकर की अंत्येष्टि में पहुंचे शिवराज ने रमाशंकर के परिजनों को 10 लाख रुपए और रमाशंकर की बेटी की शादी के लिए 5 लाख रुपए देने की घोषणा की. रमाशंकर की बेटी की शादी दिसंबर में ही होने वाली है, लेकिन रमाशंकर ने इससे पहले दुनिया को अलविदा कह दिया है.

एनआईए करेगी जांच

भोपाल के सेंट्रल जेल से 8 स्टूडेंट इस्लामिक मूवमेंट ऑफ इंडिया (सिमी) आतंकियों के फरार होने पर शिवराज ने कहा है कि एनआईए इस घटना की जांच करेगी. शिवराज ने ट्वीट कर कहा है कि सिमी आतंकियों का भाग निकलना बेहद ही गंभीर घटना है, इस पर दोषियों के खिलाफ कठोर कार्रवाई की जाएगी.

एनकाऊंटर पर सवाल देशहित में नहीं

सिमी आतंकियों के एनकाउंटर पर संदेह करने पर केंद्रीय मंत्री वैंकेया नायडू जमकर बरसे हैं. उन्‍होंने सवाल उठाते हुए कहा है कि आतंकवादियों के लिए इतनी सहानुभूति क्‍यों. पहले भी आतंकी जेल से भागे हैं, इस बार भी गार्ड को मारकर भाग रहे थे. हालात को देखते हुए आतंकियों का एनकाउंटर किया गया. इसको राजनीतिक रूप और सांप्रदायिक रंग देने की कोशिश हो रही है, जो कि देशहित में नहीं है.कांग्रेस बताए कि उन्होंने अपने समय पर क्या किया? सिमी आतंकियों से सहानुभूति क्यों? 

सिमी आतंकियों के एनकाउंटर

 

सतपाल सिंह ने कहा, एनकांउटर काबिल-ए-तारीफ

बीजेपी सांसद और पुर्व मुंबई पुलिस कमिश्नर सतपाल सिंह ने एनकांउटर का समर्थन करते हुए कहा कि देश में जो भी एनकाउंटर होते हैं, उस पर सवाल खड़े किए जाते हैं, लेकिन हमें पुलिस पर भरोसा करना चाहिए. जिनका एनकाउंटर किया गया है, वो 2013 में भी खंडवा जेल से भागे थे. पुलिस ने एक्शन लिया और आठ सिमी आतंकियों को मार गिराया, ये काबिल-ए-तारीफ है.

कब हुए सबसे ज्‍यादा एनकांउटर

एनकाउंटर पर सवाल उठाने पर सतपाल ने कहा कि पिछले 15 साल में सबसे ज्यादा एनकाउंटर महाराष्ट्र और मुंबई में कांग्रेस की सरकार में हुए हैं. एनआईए का गठन यूपीए शासनकाल में हुआ है. एनआईए पर सबको भरोसा है, लेकिन ये कह रहे हैं कि डीजी का कार्यकाल बढ़ाया गया है, इसलिए जांच निष्पक्ष नहीं होगी. ये ठीक नहीं है.

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