कालेधन को सफेद करने का सबसे बड़ा जरिया अब पेट्रोल पंप बन गए हैं. ट्रांसपोर्ट व्यवसाय से जुड़े लोग धड़ल्ले से अपनी काली कमाई पेट्रोल पंपों की उधारी चुकाकर सफेद करने में जुटे हैं. सरकार ने पेट्रोल पंपों पर पुराने नोट चलाने की इजाजत दे रखी है.इसकी का फायदा ये ट्रांसपोर्टर उठा रहे हैं. बताया जा रहा है कि इस समय देश में 40 लाख ट्रक नोटबंदी के फैसले के बाद से खड़े हो गए हैं. इन ट्रकों के जरिए छोटे और मध्यम स्तर के व्यापारियों का माल ढोया जाता है. जिनका ज्यादातर लेन-देन नगदी होता है.इन ट्रकों के चक्का जाम के पीछे ट्रांसपोर्टर नगदी का रोना रो रहे हैं.
उनका कहना है कि ड्राईवरों को रास्ते के खर्च का पैसा देने के लिए भी पैसा नहीं है. सरकार ने कैश निकालने की सीमा भी निश्चित कर रखी है. लेकिन एक सच्चाई भी यह है कि इनका ज्यादातर कामकाज नगदी होता है.अभी तक देश में कैरिज बाय रोड एक्ट लागू नहीं हो सका है. जिसका फायदा उठाकर ज्यादातर ट्रांसपोर्टर बिना रजिस्ट्रेशन के ही धंधा कर रहे हैं. कोई रिकॉर्ड न होने से किसी को भी इनकी कमाई का पता नहीं होता है.बताया जा रहा है कि ज्यादातर ट्रांसपोर्टरों के पास काफी बड़ी मात्रा में 500 और 1000 नोटों भंडार है. इन ट्रांसपोर्टरों के ट्रकों में उधार का डीजल भरा जाता है. जिनका भुगतान 6 महीने से साल भर में किया जाता है.
लेकिन इस समय ये लोग मौके का फायदा उठा रहे हैं. ये लोग माल ढुलाई के बजाए अब अपनी काली कमाई को उधारी चुकाने में खपाने रहे हैं. इतना नहीं ये ट्रांसपोर्टर मांग कर रहे हैं कि सरकार रोजाना 5 लाख रुपए निकालने की सुविधा भी दे. इसके साथ ही अपने कर्मचारियों को दो-दो महीने का अग्रिम भुगतान पर कर दिया है.
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