हाथ में काली पट्टी बांधकर ईद की नमाज पढ़ी

Publsihed: 26.Jun.2017, 13:27

 नई दिल्ली। पूरा देश सोमवार सुबह से ही ईद की खुशियों में रंगा नजर आ रहा है लेकिन मुस्लिम समुदाय में ही कुछ लोग इस बार की ईद को विरोध के रूप में मना रहे हैं। ये वे लोग हैं जो पिछले सप्ताह ट्रेन में जुनैद की पीट-पीटकर की गई हत्या से खासा नाराज हैं। जुनैद की हत्या के खिलाफ अपना रोष व्यक्त करते हुए मुस्लिम समुदाय के कई लोगों ने हाथ में काली पट्टी बांधकर न सिर्फ ईद की नमाज पढ़ी बल्कि वह इसी काली पति को बांधकर ईद भी मना रहे हैं।

 

जुनैद हत्याकांड ने बल्लभगढ़ के पास खंदावली गांव के लोगों की ईद को फीका कर दिया है। इस गांव के लोगों ने न सिर्फ जुनैद की हत्या के विरोध में सोमवार को ईद की नमाज काली पट्टी बांधकर पढ़ी बल्कि उन्होंने काली पट्टी बांधकर ही ईद भी मना रहे हैं। ग्रामीणों को कहना है कि घरों में सेवइयां आदि नहीं बनाई जा रही हैं।

ग्रामीणों ने कहा कि पिछले सप्ताह बृहस्पतिवार जब इस घटना की जानकारी मिली तो पूरे गांव में सन्नाटा छा गया। जुनैद के चचेरे भाई सनोवर खान ने बताया कि उन्होंने सोशल मीडिया पर पोस्ट किए गए अपने संदेश में शांतिपूर्ण विरोध के अपने फैसले को बताया है।

दिल्ली में हुई इस हत्या का रोष उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में भी देखने को मिल रहा है ईद भी वहीं यूपी की राजधानी लखनऊ में भी लोगों ने काली पट्टी बांधकर ईद मनाने का फैसला किया है। लखनऊ में बीते दिन ही इस बात का फैसला ले लिया गया था कि जुनैद की हत्या के विरोध में वे अपने हाथ में काली पट्टी बांधकर ईद मनाएगे। जो अभी भी देखने को मिल रहा है। इस बर्बर हत्याकांड से मुस्लिम ही नहीं, सभी धर्म के लोगों में रोष है।

रेडियो पर आने वाले पीएम मोदी के प्रोग्राम मन की बात से नाखुश जुनैद के पिता ने अपने मन  की बात कही है। ये उसी जुनैद के पिता हैं जिसकी पिछले सप्ताह ट्रेन में हत्या कर दी गयी थी। मृतक के पिता ने जलालुद्दीन खान ने द टेलीग्राफ अखबार से अपनी मन की बात कहते हुए कहा कि देश में मुसलमानों के प्रति इतनी नफरत क्यों है? क्या मेरा बेटा भारतीय नहीं था? प्रधानमंत्री मुसलमानों की भीड़ द्वारा हत्या पर अपनी चुप्पी कब तोड़ेंगे?जलालुद्दीन ने कहा कि इस बढ़ती नफरत की वजह से मैंने अपना बच्चा खो दिया। ये मेरे मन की बात है और मैं चाहता हूं कि ये मोदी साहब तक पहुंचे जो मेरे भी प्रधानमंत्री हैं। जलालुद्दीन ने कहा कि परिवार में गमी होने के बावजूद उन्होंने इस रविवार (25 जून) को कुछ गांववालों के साथ पीएम मोदी की मन की बात सुनी। लेकिन पीएम मोदी ने एक शब्द भी इस बारे में नहीं कहा। हम उम्मीद कर रहे थे कि वो इस मुद्दे पर कड़ा बयान देंगे लेकिन ऐसा नहीं हुआ। अगर ऐसा होता तो शायद हमारे समुदाय का टूटा हुआ भरोसा एक बार फिर जुट जाता।

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