, 1978 में जब बडे नोट बंद किए गए थे लाइने तब भी लगी थी, पर इतनी नहीं तब की तस्वीरें..............
पांच सौ और एक हज़ार के नोटों पर रोक से देशभर में हड़कंप मचा हुआ है. चारों ओर अफरातफरी का माहौल हैं, लोगों को समझ में नहीं आ रहा है कि उनके पास जो 500 और 1000 के नोट है उनका क्या करें. हालांकि सरकार ने 30 दिसम्बर तक पुराने नोट बदलने या बैंक में जमा कराने का प्रावधान रखा हुआ है. सब से बढिया तरीका है कि लोग अपने पुराने नोट अपने बैंक अकाऊंट में जमा करवा दे और 10000 का चैक दे कर 10000 बैंक से कैश ले ले, इस के लिए उन्हे लाईन में भी खडा नही होना पडेगा.
भारत सरकार के द्वारा कालेधन से निपटने के लिए बड़े नोटों का बंद करने का फैसला नया नहीं है. इससे पहले भी सरकार इस तरह के फैसले ले चुकी है. अभी तो 500 और 1000 के ही बडे नोट हैं, लेकिन इस से पहले 5000 और 10000 रुपए के नोट भी रह चुके हैं. जैसे अब मोदी सरकार ने पुराने नोट बंद किए हैं, उसी तरह 1978 में जनता पार्टी की मोरारजी देसाई सरकार ने 5000 रुपए और 10000 के नोट बंद किए थे. तब एटीएम नहीं हुआ करते थे, इस लिए लोगो को सारे नोट बैंक में ही जमा करवाने पडे थे, और बैंक से ही कैश निकालना पडा था.
भारत में जवाहर लाल नेहरु के प्रधानमंत्रित्व काल में 1954 में 1,000 रुपए, 5,000 रुपए और 10,000 रुपए के नोट जारी किये गए. इन सभी को मोरारजी देसाई सरकार ने जनवरी 1978 में वापस ले लिया था. इससे पहले भी जनवरी 1946 में 1,000 रुपए और इससे बड़ी राशि के नोटों को वापस लिया जा चुका है.
रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया ने अब तक सबसे बड़ा नोट 1938 और फिर 1954 में 10,000 रुपए का छापा था. लेकिन इन नोटों को पहले जनवरी 1946 में और फिर जनवरी 1978 में वापस ले लिया गया. जनवरी 1946 से पहले 1,000 और 10,000 रुपए के बैंक नोट प्रचलन में थे. इसके बाद 1954 में 1,000 रुपए, 5,000 रुपए और 10,000 रुपए के बैंक नोट जारी किये गए. इन सभी को जनवरी 1978 में वापस ले लिया गया. नेता जी सुभाष चंद्र बोस ने भी स्वतंत्रता संग्राम में 10000 रुपए का नोट जारी किया था.जिस पर बैंक आफ इंडिपेंडेंट इंडिया लिखा था.
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