प्रधानमंत्री के राष्ट्र के नाम संदेश का मूल पाठ

Publsihed: 31.Dec.2016, 20:45

मेरे प्यारे देशवासियों,

कुछ ही घंटों के बाद हम सब 2017 के नववर्ष का स्वागत करेंगे।भारत.के सवा सौ करोड़ नागरिक नया संकल्प, नई उमंग, नया जोश, नए सपने लेकर स्वागत करेंगे।

दीवाली के तुरंत बाद हमारा देश ऐतिहासिक शुद्धि यज्ञ का गवाह   बना है.सवा सौ करोड़ देशवासियों के धैर्य और संकल्पशक्ति से चला . 

ये.शुद्धि यज्ञ आने वाले अनेक वर्षों तक देश की दिशा निर्धारित करने मेंअहम भूमिका निभाएगा। ईश्वर प्र दत्त मानव स्वभाव अच्छाइयों से भरा रहता है। लेकिन समय के साथ आई विकृतियों, बुराइयों के जंजाल में वो घुटन महसूस करने लगताहै.भीतर की अच्छाई के कारण, विकृतियों और बुराइयों की घुटन सेबाहर निकलने के लिए वो छटपटाता रहता है।हमारे राष्ट्र जीवन औरसमाज जीवन में भ्रष्टाचार, कालाधन, जालीनोटों के जाल ने ईमानदार कोभी घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया था।उसका मन स्वीकार नहीं करता था, लेकिन उसे परिस्थितियों को सहना पड़ता था, स्वीकार करना पड़ता था।

दीवाली के बाद की घटनाओं से ये सिद्ध हो चुका है कि करोड़ों देशवासी ऐसी घुटन से मुक्ति के अवसर की तलाश कर रहे थे।

हमारे देशवासियों की अंतर ऊर्जा को हमने कई बार अनुभव किया है।चाहे सन 62 का बाहरी आक्रमण हो, 65 का हो, 71 का हो, या कारगिलका युद्ध हो, भारत के कोटि-कोटि नागरिकों की संगठित शक्तियों औरअप्रतिम देशभक्ति के हम  ने दर्शन किए हैं।कभी ना कभी बुद्धिजीवी वर्ग इस बात की चर्चा जरूर करेगा कि बाह्य शक्तियों के सामने तोदेशवासियों का संकल्प सहज बात है, लेकिन जब देश के कोटि-कोटिनागरिक अपने ही भीतर घर कर गई बीमारियों के खिलाफ, बुराइयों केखिलाफ, विकृतियों के खिलाफ लड़ाई लड़ने के लिए मैदान में उतरते हैं, तो वो घटना हर किसी को नए सिरे से सोचने के लिए प्रेरित करती है।

दीवाली के बाद लगातार देशवासी दृढ़संकल्प के साथ, अप्रतिम धैर्यके.साथ, त्याग की पराकाष्ठा करते हुए, कष्ट झेलते हुए, बुराइयों क पराजित करने के लिए लड़ाई लड़ रहे हैं।

जब हम कहते हैं कि- कुछ बात है कि हस्ती मिटती नहीं हमारी, इस बातको देशवासियों ने जीकर दिखाया है।

कभी लगता था सामाजिक जीवन की बुराइयां-विकृतियां जाने अनजाने में, इच्छा-अनिच्छा से हमारी जिंदगी का हिस्सा बन गए हैं . लेकिन 8 नवंबर के बाद की घटनाएं हमें पुनर्विचार करने केलिए मजबूर करती हैं।

सवा सौ करोड़ देशवासियों ने तकलीफें झेलकर, कष्ट उठाकर ये सिद्धकर दिया है कि हर हिंदुस्तानी के लिए सच्चाई और अच्छाई कितनीअहमियत रखती है।

 

काल के कपाल पर ये अंकित हो चुका है कि जनशक्ति का सामर्थ्य क्या होता है, उत्तम अनुशासन किसे कहते हैं, अप-प्रचार की आंधी में सत्यको पहचानने की विवेक बुद्धि किसे कहते हैं। सामर्थ्यवान, बेबाक-बेईमानी के सामने ईमानदारी का संकल्प कैसे विजय पाता है।

गरीबी से बाहर निकलने को आतुर जिंदगी, भव्य भारत के निर्माण के लिए क्या कुछ नहीं कर सकती।देशवासियों ने जो कष्ट झेला है, वो भारतके उज्जवल भविष्य के लिए नागरिकों के त्याग की मिसाल है।

सवा सौ करोड़ देशवासियों ने संकल्प बद्ध होकर, अपने पुरुषार्थ से, अपने परिश्रम से, अपने पसीने से उज्जवल भविष्य की आधारशिला रखीहै।

आमतौर पर जब अच्छाई के लिए आंदोलन होते हैं तो सरकार औरजनता आमने-सामने होती है। ये इतिहास की ऐसी मिसाल है जिसमेंसच्चाई औऱ अच्छाई के लिए सरकार और जनता, दोनों मिलकर कंधे सेकंधा मिलाकर लड़ाई लड़ रहे थे।

मेरे प्यारे देशवासियों,

 

मैं जानता हूं कि बीते दिनों आपको अपना ही पैसा निकालने के लिए घंटों लाइन में लगना पड़ा, परेशानी उठानी पड़ी।इस दौरान मुझे सैकड़ों-हजारों चिट्ठियां भी मिली हैं।हर किसी ने अपने विचार रखे हैं, संकल्प भीदोहराया है।साथ ही साथ अपना दर्द भी मुझसे साझा किया है।इन सबमें एक बात मैंने हमेशा अनुभव की- आपने मुझे अपना मानकर बातें कहींहैं।भ्रष्टाचार, कालाधन, जालीनोट के खिलाफ लड़ाई में आप एक कदमभी पीछे नहीं रहना चाहते हैं।आपका ये प्यार आशीर्वाद की तरह है।

 

अब प्रयास है कि नए वर्ष में हो सके, उतना जल्दी, बैंकों को सामान्य स्थिति की तरफ ले जाया जाए।सरकार में इस विषय से जुड़े सभीजिम्मेदार व्यक्तियों से कहा गया है कि बैंकिंग व्यवस्था को सामान्य करनेपर ध्यान केंद्रित किया जाए। विशेषकर ग्रामीण इलाकों में, दूर-दराजवाले इलाकों में प्रो-एक्टिव होकर हर छोटी से छोटी कमी को दूर कियाजाए ताकि गांव के नागरिकों की, किसानों की कठिनाइयां खत्म हों।

 

 प्यारे भाइयों और बहनों,

हिंदुस्तान ने जो करके दिखाया है, ऐसा विश्व में तुलना करने के लिएकोई उदाहरण नहीं है। बीते 10-12 सालों में 1000 और 500 के नोटसामान्य प्रचलन में कम और पैरेलल इकॉनोमी में ज्यादा चल रहे थे।हमारी बराबरी की अर्थव्यवस्था वाले देशों में भी इतना कैश नहीं होता।हमारी अर्थव्यवस्था में बेतहाशा बढ़े हुए ये नोट महंगाई बढ़ा रहे थे, कालाबाजारी बढ़ा रहे थे, देश के गरीब से उसका अधिकार छीन रहे थे।

अर्थव्यवस्था में कैश का अभाव तकलीफदेह है, तो कैश का प्रभाव और अधिक तकलीफदेह है।हमारा ये प्रयास है कि इसका संतुलन बना रहे।एक बात में सभी अर्थशास्त्रियों की सहमति है कि कैश अथवा नगदअगरअर्थव्यवस्था से बाहर है तो विपत्ति है।वही कैश या नकद अगर अर्थव्यवस्था की मुख्यधारा में हो तो विकास का साधन बनता है।

 

इन दिनों करोड़ों देशवासियों ने जिस धैर्य-अनुशासन औऱ संकल्प-शक्तिके दर्शन कराएं हैं, अगर आज लाल बहादुर शास्त्री होते, जयप्रकाशनारायण होते, राम मनोहर लोहिया होते, कामराज होते, तो अवश्यदेशवासियों को भरपूर आशीर्वाद देते।

किसी भी देश के लिए ये एक शुभ संकेत है कि उसके नागरिक कानूनऔऱ नियमों का पालन करते हुए, गरीबों की सेवा में सरकार कीसहायताके लिए मुख्यधारा में आना चाहते हैं।इन दिनों, इतने अच्छे-अच्छेउदाहरण सामने आए हैं जिसका वर्णन करने में हफ्तों बीत जाएं। नकदमें कारोबार करने पर मजबूर अनेक नागरिकों ने कानून-नियम का पालनकरते हुए मुख्यधारा में आने की इच्छा प्रकट की है। ये अप्रत्याशित है।सरकार इसका स्वागत करती है।

 

 मेरे प्यारे देशवासियों,

 

  हम कब तक सच्चाइयों से मुंह मोड़ते रहेंगे। मैं आपके सामने एकजानकारी साझा करना चाहता हूं। औऱ इसे सुनने के बाद या तो आप हंसपड़ेंगे या फिर आपका गुस्सा फूट पड़ेगा। सरकार के पास दर्ज की गईजानकारी के हिसाब से देश में सिर्फ 24 लाख लोग ये मानते हैं किउनकी आय

10 लाख रुपए सालाना से ज्यादा है। क्या किसी देशवासी के गले ये बातउतरेगी?

आप भी अपने आसपास बड़ी-बड़ी कोठियां, बड़ी-बड़ी गाड़ियों कोदेखते होंगे। देश के बड़े-बड़े शहरों को ही देखें तो किसी एक शहर मेंआपको सालाना 10 लाख से अधिक आय वाले लाखों लोग मिल जाएंगे।

 क्या आपको नहीं लगता कि देश की भलाई के लिए ईमानदारी केआंदोलन को और अधिक ताकत देने की जरूरत है।

 

 भ्रष्टाचार, कालेधन के खिलाफ इस लड़ाई की सफलता के कारण येचर्चा बहुत स्वाभाविक है कि अब बेईमानों का क्या होगा, बेईमानों परक्या बीतेगी, बेईमानों को क्या सज़ा होगी। भाइयों और बहनों, कानून, कानून का काम करेगा, पूरी कठोरता से करेगा। लेकिन सरकार के लिएइस बात की भी प्राथमिकता है कि ईमानदारों को मदद कैसे मिले, सुरक्षाकैसे मिले, ईमानदारी की जिंदगी बिताने वालों की कठिनाई कैसे कमहो। ईमानदारी अधिक प्रतिष्ठित कैसे हो।

 

  ये सरकार सज्जनों की मित्र है और दुर्जनों को सज्जनता के रास्ते परलौटाने के लिए उपयुक्त वातावरण को तैयार करने के पक्ष में है।

 

 वैसे ये भी एक कड़वा सत्य है कि लोगों को सरकार की व्यवस्थाओं, कुछ सरकारी अफसरों और लालफीताशाही से जुड़े कटु अनुभव होतेरहते हैं। इस कटु सत्य को नकारा नहीं जा सकता। इस बात से कौनइनकार कर सकता है कि नागरिकों से ज्यादा जिम्मेदारी अफसरों की है, सरकार में बैठे छोटे-बड़े व्यक्ति की है। औऱ इसलिए चाहे केंद्र सरकारहो, राज्य सरकार हो या फिर स्थानीय निकाय, सबका दायित्व है किसामान्य से सामान्य व्यक्ति के अधिकार की रक्षा हो, ईमानदारों की मददहो और बेईमान अलग-थलग हों।

 

 दोस्तों,

 

 पूरी दुनिया में ये एक सर्वमान्य तथ्य है कि आतंकवाद, नक्सलवाद, माओवाद, जाली नोट का कारोबार करने वाले, ड्रग्स के धंधे से जुड़े लोग, मानव तस्करी से जुड़े लोग, कालेधन पर ही निर्भर रहते हैं। ये समाजऔर सरकारों के लिए नासूर बन गया था। इस एक निर्णय ने इन सब परगहरी चोट पहुंचाई है। आज काफी संख्या में नौजवान मुख्यधारा में लौटरहे हैं। अगर हम जागरूक रहें, तो अपने बच्चों को हिंसा और अत्याचारके उन रास्तों पर वापस लौटने से बचा पाएंगे।

 

 इस अभियान की सफलता इस बात में भी है कि अर्थव्यवस्था कीमुख्यधारा से बाहर जो धन था, वो बैंकों के माध्यम से अर्थव्यवस्था कीमुख्यधारा में वापस आ गया है। पिछले कुछ दिनों की घटनाओं से येसिद्ध हो चुका है कि चालाकी के रास्ते खोजने वाले बेईमान लोगों केलिए, आगे के रास्ते बंद हो चुके हैं। टेक्नॉलोजी ने इसमें बहुत बड़ी सेवाकी है। आदतन बेईमान लोगों को भी अब टेक्नोलॉजी की ताकत केकारण, काले कारोबार से निकलकर कानून-नियम का पालन करते हुएमुख्यधारा में आना होगा।

 

 साथियों,

 

 बैंक कर्मचारियों ने इस दौरान दिन-रात एक किए हैं। हजारों महिला बैंककर्मचारी भी देर रात तक रुककर इस अभियान में शामिल रही हैं। पोस्टऑफिस में काम करने वाले लोग, बैंक मित्र, सभी ने सराहनीय कामकिया है। हां, आपके इस भगीरथ प्रयास के बीच, कुछ बैंकों में कुछलोगों के गंभीर अपराध भी सामने आए हैं। कहीं-कहीं सरकारीकर्मचारियों ने भी गंभीर अपराध किए हैं औऱ आदतन फायदा उठाने कानिर्लज्ज प्रयास भी हुआ है। इन्हें बख्शा नहीं जाएगा।

 

 ये देश के बैंकिंग सिस्टम के लिए एक स्वर्णिम अवसर है। इसऐतिहासिक अवसर पर मैं देश के सभी बैंकों से आग्रह पूर्वक एक बातकहना चाहता हूं। इतिहास गवाह है कि हिंदुस्तान के बैंकों के पास एकसाथ इतनी बड़ी मात्रा में, इतने कम समय में, धन का भंड़ार पहले कभीनहीं आया था। बैंकों की स्वतंत्रता का आदर करते हुए मेरा आग्रह है किबैंक अपनी परंपरागत प्राथमिकताओं से बाहर निकलकर अब देश केगरीब, निम्न मध्य वर्ग औऱ मध्यम वर्ग को केंद्र में रखकर अपने कार्य काआयोजन करे। हिंदुस्तान जब पंडित दीन दयाल उपाध्याय जन्म शताब्दीवर्ष को गरीब कल्याण वर्ष के रूप में मना रहा है। तब बैंक भी लोकहितके इस अवसर को हाथ से ना जाने दें। हो सके, उतना जल्दी लोकहित मेंउचित निर्णय करें और उचित कदम उठाएं।

 

 जब निश्चित लक्ष्य के साथ नीति बनती है, योजनाएं बनती हैं तो लाभार्थीका सशक्तिकरण तो होता ही है, साथ ही साथ इसके तत्कालिक औरदूरगामी फल भी मिलते हैं। पाई-पाई पर बारीक नजर रहती है, इससेअच्छे परिणामों की संभावना भी पक्की होती है। गांव-गरीब-

किसान, दलित,पीड़ित, शोषित, वंचित और महिलाएं, जितनी सशक्तहोंगी,

आर्थिक रूप से अपने पैरों पर खड़ी होंगी, देश उतना ही मजबूत बनेगाऔऱ विकास भी उतना ही तेज होगा।

 

 सबका साथ-सबका विकास- इस ध्येयवाक्य को चरितार्थ करने के लिएनववर्ष की पूर्व संध्या पर देश के सवा सौ करोड़ नागरिकों के लिएसरकार कुछ नई योजनाएं ला रही है।

 

 दोस्तों, स्वतंत्रता के इतने साल बाद भी देश में लाखों गरीबों के पासअपना घर नहीं है। जब अर्थव्यवस्था में कालाधन बढ़ा, तो मध्यम वर्ग कीपहुंच से घर भी खरीदना दूर हो गया था। गरीब, निम्न मध्यम वर्ग, औरमध्यम वर्ग के लोग घर खरीद सकें, इसके लिए सरकार ने कुछ बड़ेफैसले लिए हैं।

 

 अब प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत शहरों में इस वर्ग को नए घर देनेके लिए दो नई स्कीमें बनाई गई हैं। इसके तहत 2017 में घर बनाने केलिए 9 लाख रुपए तक के कर्ज पर ब्याज में 4 प्रतिशत की छूट और 12 लाख रुपए तक के कर्ज पर ब्याज में 3 प्रतिशत की छूट दी जाएगी।

 

 इसी तरह सरकार ने प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत गांवों में बननेवाले घरों की संख्या को बढ़ा दिया है। यानि जितने घर पहले बनने वालेथे, उससे 33 प्रतिशत ज्यादा घर बनाए जाएंगे।

 

 गांवों के निम्न मध्यम वर्ग और मध्यम वर्ग के लोगों की जरूरतों को ध्यानमें रखते हुए एक नई योजना शुरू की जा रही है। 2017 में गांव के जोलोग अपने घर का निर्माण करना चाहते हैं या विस्तार करना चाहते हैं, एक-दो कमरे और बनाना चाहते हैं, ऊपर एक मंजिल बनाना चाहते हैं, उन्हें 2 लाख रुपए तक के ऋण में 3 प्रतिशत ब्याज की छूट दी जाएगी।

 

 दोस्तों, बीते दिनों चारों तरफ ऐसा वातावरण बना दिया गया था कि देशकी कृषि बर्बाद हो गई है। ऐसा वातावरण बनाने वालों को जवाब मेरे देशके किसानों ने ही दे दिया है। पिछले साल की तुलना में इस वर्ष रबी कीबुवाई 6 प्रतिशत ज्यादा हुई है। फर्टिलाइजर भी 9 प्रतिशत ज्यादा उठायागया है। सरकार ने इस बात का लगातार ध्यान रखा कि किसानों को बीजकी दिक्कत ना हो, खाद की दिक्कत ना हो, कर्ज लेने में परेशानी नाआए। अब किसान भाइयों के हित में कुछ और अहम निर्णय भी लिए गएहैं।

 

 डिस्ट्रिक्ट कॉपरेटिव सेंट्रल बैंक और प्राइमरी सोसायटी से जिन किसानोंने खरीफ और रबी की बुवाई के लिए कर्ज लिया था, उस कर्ज के 60 दिन का ब्याज सरकार वहन करेगी और किसानों के खातों में ट्रांसफरकरेगी।

 

 कॉपरेटिव बैंक और सोसायटीज से किसानों को और ज्यादा कर्ज मिलसके, इसके लिए उपाय किए गए हैं। नाबार्ड ने पिछले महीने 21 हजारकरोड़ रुपए की व्यवस्था की थी। अब सरकार इसे लगभग दोगुना करतेहुए इसमें 20 हजार करोड़ रुपए और जोड़ रही है। इस रकम कोनाबार्ड, कॉपरेटिव बैंक और सोसायटीज को कम ब्याज पर देगा औरइससे नाबार्ड को जो आर्थिक नुकसान होगा है, उसे भी सरकार वहनकरेगी।

 

 सरकार ने ये भी तय किया है कि अगले तीन महीने में 3 करोड़ किसानक्रेडिट कार्डों को RUPAY कार्ड में बदला जाएगा। किसान क्रेडिट कार्डमें एक कमी यह थी कि पैसे निकालने के लिए बैंक जाना पड़ता था। अबजब किसान क्रेडिट कार्ड को RUPAY कार्ड में बदल दिया जाएगा, तोकिसान कहीं पर भी अपने कार्ड से खरीद-बिक्री कर पाएगा।

 

 भाइयों और बहनों, जिस प्रकार देश की अर्थव्यवस्था में कृषि का महत्वहै, उसी प्रकार विकास औऱ रोजगार के लिए लघु और मध्यम उद्योग, जिसे MSME भी कहते हैं, का भी महत्वपूर्ण योगदान है। इसको ध्यान मेंरखते हुए सरकार ने इस क्षेत्र के लिए कुछ निर्णय लिए हैं, जो रोजगारबढ़ाने में  सहायक होंगे।

 

 सरकार ने तय किया है कि छोटे कारोबारियों के लिए क्रेडिट गारंटी 1 करोड़ रुपए से बढ़ाकर 2 करोड़ रुपए करेगी। भारत सरकार एक ट्रस्टके माध्यम से बैंकों को ये गारंटी देती है कि आप छोटे व्यापारियों को लोनदीजिए, गारंटी हम लेते हैं। अब तक यह नियम था कि एक करोड़ रुपएतक के लोन को कवर किया जाता था। अब 2 करोड़ रुपए तक का लोनक्रेडिट गारंटी से कवर होगा। NBFC यानि नॉन-बैंकिंग फाइनेंसियलकंपनी से दिया गया लोन भी इसमें कवर होगा।

 

 सरकार के इस फैसले से छोटे दुकानदारों, छोटे उद्योगों को ज्यादा कर्जमिलेगा। गारंटी का खर्च केंद्र सरकार द्वारा वहन करने के कारण इन परब्याज दर भी कम होगी।

 

 सरकार ने बैंकों को ये भी कहा है कि छोटे उद्योगों के लिए कैश क्रेडिटलिमिट को 20 प्रतिशत से बढ़ाकर 25 प्रतिशत करें। इसके अलावाडिजिटल माध्यम से हुए ट्रांजेक्शन पर वर्किंग कैपिटल लोन 20 प्रतिशतसे बढ़ाकर 30 प्रतिशत तक करने को कहा गया है। नवंबर में इस सेक्टरसे जुड़े बहुत से लोगों ने कैश डिपॉजिट किया है। बैंकों को कहा गया हैकि वर्किंग कैपिटल तय करते वक्त इसका भी संज्ञान लें।

 

 कुछ दिन पहले ही सरकार ने छोटे कारोबारियों को टैक्स में बड़ी राहतदेने का भी निश्चय किया था। जो कारोबारी साल में 2 करोड़ रुपए तकका व्यापार करते हैं, उनके टैक्स की गणना 8 प्रतिशत आय को मानकरकी जाती थी। अब ऐसे व्यापारी के डिजिटल लेन देन पर टेक्स की गणना 6 प्रतिशत आय मानकर की जाएगी। इस तरह उनका टैक्स काफी कमहो जाएगा।

 

 दोस्तों,

 

 मुद्रा योजना की सफलता निश्चित तौर पर बहुत उत्साहवर्धक रही है।पिछले साल करीब-करीब साढ़े तीन करोड़ लोगों ने इसका फायदाउठाया है। दलित-आदिवासी-पिछड़ों, एवं महिलाओं को प्राथमिकता देतेहुए सरकार का, इसे अब डबल करने का इरादा है।

 

 गर्भवती महिलाओं के लिए भी एक देशव्यापी योजना की शुरुआत कीजा रही है। अब देश के सभी, 650 से ज्यादा जिलों में सरकार गर्भवतीमहिलाओं को अस्पताल में पंजीकरण और डिलिवरी, टीकाकरण औरपौष्टिक आहार के लिए 6 हजार रुपए की आर्थिक मदद करेगी। ये राशिगर्भवती महिलाओं के अकाउंट में ट्रांसफर की जाएगी। देश में मातृ मृत्युदर को कम करने में इस योजना से बड़ी सहायता मिलेगी। वर्तमान में येयोजना 4 हजार की आर्थिक मदद के साथ देश के सिर्फ 53 जिलों मेंपायलट प्रोजेक्ट के तहत चलाई जा रही थी।

 

 सरकार वरिष्ठ नागरिकों के लिए भी एक स्कीम शुरू करने जा रही है।बैंक में ज्यादा पैसा आने पर अकसर बैंक डिपॉजिट पर INTEREST RATE घटा देते हैं। वरिष्ठ नागरिकों पर इसका प्रभाव ना हो इसलिए 7.5 लाख रुपए तक की राशि पर 10 साल तक के लिए सालाना 8 प्रतिशतका INTEREST RATE सुरक्षित किया जाएगा। ब्याज की ये राशि वरिष्ठनागरिक हर महीने पा सकते हैं।

 

 भ्रष्टाचार, कालाधन की जब भी चर्चा होती है, तो राजनेता, राजनीतिकदल, चुनाव के खर्च, ये सारी बातें चर्चा के केंद्र में रहती हैं। अब वक्त आचुका है कि सभी राजनेता और राजनीतिक दल देश के ईमानदारनागरिकों की भावनाओं का आदर करें, जनता के आक्रोश को समझें। येबात सही है कि राजनीतिक दलों ने समय-समय पर व्यवस्था में सुधार केलिए सार्थक प्रयास भी किए हैं। सभी दलों ने मिलकर के, स्वेच्छा से अपनेऊपर बंधनों को स्वीकार किया है। आज आवश्यकता है कि सभीराजनेता और राजनीतिक दल- HOLIER THAN THOU….से अलगहटकर, मिल बैठकर पारदर्शिता को प्राथमिकता देते हुए, भ्रष्टाचार औरकालेधन से राजनीतिक दलों को मुक्त कराने की दिशा में सही कदमउठाएं।

 

 हमारे देश में सामान्य नागरिक से लेकर राष्ट्रपति जी तक सभी नेलोकसभा-

विधानसभा का चुनाव साथ-साथ कराए जाने के बारे में कभी ना कभीकहा है। आए दिन चल रहे चुनावी चक्र, उससे उत्पन्न आर्थिक बोझ, तथाप्रशासन व्यवस्था पर बने बोझ से मुक्ति पाने की बात का समर्थन कियाहै। अब समय आ गया है कि इस पर बहस हो, रास्ता खोजा जाए।

 

 हमारे देश में हर सकारात्मक परिवर्तन के लिए हमेशा स्थान रहा है।अब डिजिटल लेन-देन को लेकर भी समाज में काफी सकारात्मकपरिवर्तन देखा जा रहा है। ज्यादा से ज्यादा लोग इससे जुड़ रहे हैं। कलही सरकार ने बाबा साहेब भीमराव अंबेडकर के नाम पर डिजिटलट्रांजेक्शन के लिए पूरी तरह एक स्वदेशी प्लेटफॉर्म- BHIM लॉन्च कियाहै। BHIM यानी भारत इंटरफेस फॉर मनी। मैं देश के युवाओं से, व्यापारी वर्ग से, किसानों से आग्रह कहता हूं कि BHIM से ज्यादा सेज्यादा जुड़ें।

 

 साथियों, दीवाली के बाद जो घटनाक्रम रहा, निर्णय हुए, नीतियां बनीं- इनका मूल्यांकन अर्थशास्त्री तो करेंगे ही, लेकिन अच्छा होगा कि देश केसमाजशास्त्री भी इस पूरे घटनाक्रम, निर्णय औऱ नीतियों का मूल्यांकनकरें। एक राष्ट्र के रूप में भारत का गांव, गरीब, किसान, युवा, पढ़े-लिखे, अनपढ़, पुरुष-महिला सबने अप्रतिम धैर्य और लोकशक्ति का दर्शनकराया है।

 

 कुछ समय के बाद 2017 का नया वर्ष प्रारंभ होगा। आज से 100 वर्षपूर्व 1917 में महात्मा गांधी के नेतृत्व में चंपारण में पहली बार सत्याग्रहका आंदोलन आरंभ हुआ था। इन दिनों हमने देखा कि 100 वर्ष के बादभी हमारे देश में सच्चाई और अच्छाई के प्रति सकारात्मक संस्कार कामूल्य है। आज महात्मा गांधी नहीं हैं, परंतु उनका वह मार्ग जो हमें सत्यका आग्रह करने के लिए प्रेरित करता है, वह सर्वाधिक उपयुक्त है।चंपारण सत्याग्रह की शताब्दी के अवसर पर हम फिर एक बार महात्मागांधी  का पुनस्मरण करते हुए सत्य के आग्रही बनेंगे तो सच्चाई औरअच्छाई की पटरी पर आगे बढ़ने में कोई कठिनाई नहीं आएगी। भ्रष्टाचारऔऱ कालेधन के खिलाफ इस लड़ाई को हमें रुकने नहीं देना है।

 

 सत्य का आग्रह, संपूर्ण सफलता की गारंटी है। सवा सौ करोड़ का देशहो, 65 प्रतिशत जनसंख्या 35 साल से कम उम्र के नौजवानों की हो, साधन भी हों, संसाधन भी हों और सामर्थ्य में कोई कमी ना हो, ऐसेहिंदुस्तान के लिए कोई कारण नहीं है, कि वो अब पीछे रह जाए।

 

 नए वर्ष की नई किरण, नई सफलताओं का संकल्प लेकर आ रही है।आइए हम सब मिलकर चल पड़ें, बाधाओं को पार करते चलें...एक नएउज्जवल भविष्य का निर्माण करें।

 जय हिंद !!!

 

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