नई दिल्ली : भारतीय जनता पार्टी के राज्यसभा सदस्य सुब्रमण्यम स्वामी ने कहा है कि तमिलनाडु की मुख्यमंत्री जयललिता के निधन के बाद अन्नाद्रमुक टूट जाएगी और भाजपा के लिए यह अच्छा मौका है. उन्होने कहा कि अगर भाजपा हाईकमान ने कहा तो वह तमिलनाडू में जा कर कमान सम्भालने को तैयार हैं.
स्वामी मूलत: तमिलनाडू के ही हैं, वह आपात्काल तक जनसंघ में ही थे, लेकिन 1977 में जनता पार्टी का विभाजन होते समय भाजपा में नहीं आय थे. 1991 में वह चंद्र शेखर सरकार में मंत्री थे और बाद में वह जनता पार्टी के अध्यक्ष बन गए थे. एक समय में वह जय ललिता के बहुत करीब आ गए थे और 1999 में वाजपेयी की सरकार गिराने के लिए जयललिता की सोनिया गांधी के साथ वह चाय पर ऐतिहासिक मुलाकात सुब्रमण्यम स्वामी ने ही करवाई थी, जिस के बाद वाजपेयी सरकार एक वोट से गिर गई थी. बाद में स्वामी के जया से सम्बंध बिगड गए थे और जयललिता के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति का मामला सवामी ने ही दर्ज करवाया था, जिस पर जयललिता को जेल जाना पडा था.
स्वामी ने दावा किया कि अगर शशिकला के पति ने दखल दिया तो पार्टी टूट जाएगी. उन्होने कहा कि जो शशिकला कहेंगी वो पनीरसेल्वम नहीं करेंगे. पनीरसेल्वम अब उनके निर्देशों को पूरी तरह अमल में नहीं ला पाएंगे. स्वामी ने एक न्यूज चैनल के कार्यक्रम में कहा कि जयललिता के निधन के बाद अन्नाद्रमुक का शासन उनकी सहयोगी रहीं शशिकला के हाथों में चला जाएगा जिनका कोई राजनीतिक या सैद्धांतिक दृष्टिकोण नहीं है.
स्वामी ने कहा कि जयललिता की जगह राज्य के मुख्यमंत्री का कामकाज संभालने वाले पार्टी नेता पनीरसेल्वम के पास इस पद पर काम करने की कोई सोच नहीं है. वह केवल जयललिता के नुमांइदे के तौर पर काम करते रहे हैं. उन्होंने कहा कि शशिकला सत्ता प्राप्त करने का प्रयास करेंगी जिससे झगड़ा होगा. शशिकला की जाति भी बाधा डालेगी. अन्नाद्रमुक विभाजन की ओर जा रही है. स्वयं तमिलनाडु से ताल्लुक रखने वाले स्वामी से जब सवाल किया गया कि क्या वह भविष्य में खुद को इस राज्य की राजनीति में देखते हैं तो उन्होंने इतना ही कहा कि पूरा समर्थन मिले तो मैं जाने को तैयार हूं.
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