लखनऊ। विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी की करारी हार के बाद सपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अखिलेश यादव पर परिवार के सदस्यों की तरफ से हमला तेज हो गया है। पहले मुलायम सिंह यादव ने नरेंद्र मोदी के साथ काना फूसी करने के बाद अखिलेश पर निशाना साधते हुए खा था कि जो बाप का नहीं हुआ, वह किस का होगा |अब शिवपाल यादव् और मुलायम सिंह की पुत्रवधू अपर्णा यादव ने आज एक साथ अखिलेश यादव से सपा अध्यक्ष पद से इस्तीफा मांग लिया | इन दोनों ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ से हाल ही में मुलाक़ात की थी |
अखिलेश की देवरानी और लखनऊ कैंट से पार्टी की उम्मीदवार रहीं अपर्णा यादव ने अखिलेश पर निशाना साधते हुए उन से अध्यक्ष पद छोड़ने की मांग की है | इस साथ ही सपा विधायक दल में फूट पड़ने और विभाजन की सुगबुगाहट तेज हो गई | शिवपाल यादव और अपर्णा यादव के भाजपा में शामिल होने तक की अटकलें हैं |
शिवपाल यादव ने कहा कि प्रदेश विधानसभा चुनाव से पहले अखिलेश यादव ने मुलायम सिंह यादव की जगह खुद पार्टी की कमान संभालते हुए कहा था कि चुनाव के बाद वे अध्यक्ष पद छोड़ देंगे।वह अपना वायदा निभाएं | इस से पहले आज सुबह अपर्णा यादव ने भी आज कहा कि अखिलेश यादव को चुनाव से पहले किए गए वायदे के अनुसार अब फिर से पार्टी की बागडोर मुलायम सिंह यादव को सौंप देनी चाहिए।
अखिलेश यादव की पत्नी डिम्पल यादव उत्तराखंड के कोटद्वार की हैं, जबकि अपर्णा यादव् उत्तराखंड के पौड़ी जिले की हैं , उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्या नाथ भी पौड़ी जिले के हैं, इस लिए उन के मुख्यमंत्री बनते ही अपर्णा अपने पति को साथ लेकर योगी को मिलने और बधाई देने गई थी | अब अपर्णा का का ब्यान भी अखिलेश यादव के खिलाफ आ गया है |
अपर्णा ने कहा कि अखिलेश यादव को अपने वादे के मुताबिक अब पार्टी की बागडोर नेताजी को दे देनी चाहिए। अपर्णा ने कहा, “अखिलेश भैया ने जनवरी में वादा किया था कि विधानसभा चुनावों के बाद वह सपा का अध्यक्ष पद नेताजी को वापस कर देंगे। वह अपना वादा पूरा करते हैं। मुझे लगता है कि उन्हें अब अपने वादे को पूरा करना चाहिए।”
अपर्णा ने कहा कि इस वक्त उनका परिवार ही सब कुछ है। नेताजी के शब्द ही अंतिम हैं। जब वह हैं किसी चीज के बारे में नहीं सोचना है। चुनाव से अखिलेश यादव की ओर से मुलायम सिंह यादव के साथ किए गए दुर्व्यवहार का जिक्र करते हुए अपर्णा ने कहा कि उनके साथ जो भी व्यवहार किया गया, उससे हम सभी निराश हैं। मुझे नहीं मालूम कि भविष्य में क्या है लेकिन अभी कोशिश है कि परिवार एक हो जाए।
अपर्णा यादव के बाद 5 अप्रेल को शिवपाल यादव ने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुख्यमंत्री आवास 5 कालिदास मार्ग पर मुलाक़ात की थी | हालांकि कहा तो ये जा रहा है कि यह एक शिष्टाचार मुलाकात थी लेकिन राजनीतिक गलियारे में बहुत कुछ कयास लगाए जा रहे हैं। शिवपाल और योगी आदित्यनाथ के बीच मुलाकात के दौरान क्या बातचीत हुई इसके बारे में अभी तक कोई जानकारी नहीं मिल पाई है। समाजवादी पार्टी के भीतर पारिवारिक विवाद के बीच चुनाव से पहले पार्टी पर अखिलेश यादव का कब्जा हो गया था। हालांकि अखिलेश ने वायदा किया था कि चुनाव के बाद वह अध्यक्ष पद दुबारा मुलायम सिंह को दे देंगे, लेकिन अब वह मुकर गए हैं | इस लिए मुलायम सिंह ने भी अखिलेश की आलोचना शुरू कर दी है | अखिलेश की पार्टी में शिवपाल यादव की पार्टी में कौई हैसियत नहीं रह गई है। चाचा और भतीजे के बीच रिश्ते भी ठीक नहीं है।
चुनाव के दौरान शिवपाल यादव ने कहा था कि नतीजे के बाद मैं विचार करूंगा की मुझे आगे क्या करना है। उस समय नई पार्टी की भी खबर आई थी। लेकिन चुनाव नतीजे के बाद समाजवादी पार्टी की जो गत हुई है ऐसे में शिवपाल नई पार्टी के बारे में जरूर नहीं सोच रहे होंगे। ऐसे में शिवपाल के पास प्रदेश की राजनीति में कोई विकल्प नहीं दिख रहा है। केंद्र की राजनीति की बात करें तो मोदी लहर की दिशा के विपरित जाकर चुनाव जीतना आसान नहीं होगा।
आज तक शिवपाल यादव ने लोकसभा का चुनाव नहीं लड़ा है। ऐसे में विकल्प के तौर पर शिवपाल बीजेपी का दामन थाम सकते हैं। बीजेपी भी उनका स्वागत करने में पीछे नहीं रहेगी। इसकी सबसे बड़ी वजह है कि उत्तर प्रदेश में शिवपाल यादव की जमीनी पकड़ बेहद अच्छी है। अगर सपा के वोटरों को अपने पाले में करना है तो शिवपाल बहुत बड़े मददगार होंगे। शिवपाल और मुलायम के समर्थकों में चुनाव नतीजे के बाद अखिलेश यादव को लेकर रोष भी है। बीजेपी के लिए 2019 लोकसभा चुनाव में 71 सीटों की जीत को दोहराना चैलेंज भी है।
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