लोढा कमेटी की सिफारिश पर पहला पवार का विकेट गिरा

Publsihed: 17.Dec.2016, 20:39

शरद पवार ने आखिरकार मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन यानी एमसीए के अध्यक्ष पद से इस्ताफी दे दिया है. लोढ़ा कमेटी के सुधार संबंधी सिफारिशों को लागू करते हुए शदर पवार को अपना इस्तीफा देना पडा.बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने बीसीसीआई की पुनर्विचार याचिका को खारिज कर दिया था. सुप्रीम कोर्ट ने 18 जुलाई को बीसीसीआई को लोढ़ा कमिटी की सिफारिशें लागू करने को कहा था. जिसके बाद 16 अगस्त को सुप्रीम कोर्ट में बीसीसीआई ने पुनर्विचार याचिका दाखिल की थी. 

भारत में क्रिकेट प्रशासन में सुधार लाने के लिए सुप्रीम कोर्ट ने जस्टिस लोढ़ा कमेटी का गठन किया था. लोढा कमेटी ने जिन सिफारिशों को लागू के लिए बीसीसीआई को कहा इन में 70 साल से अधिक उम्र के लोगों का क्रिकेट बोर्ड का सदस्य बनने पर रोक लगाना एक अहम सिफारिश थी.

लोढ़ा कमिटी की अधिक उम्र के अधिकारियों को हटाने के अलावा , एक स्टेट एक वोट, इसके अलावा पैनल की ऐसी और भी कई शर्ते हैं .लेकिन बीसीसीआई और राज्यो के क्रिकेट संघो ने सिफारिशे मानने से इंकार करते हुए मुंबई क्रिकेट एसोसिएशन के जरिए  76 साल के शदर पवार को एमसीए अध्यक्ष पद चुन लिया था. 

साथ ही बीसीसीआई ने सुप्रीम कोर्ट में क्यूरियूटिव याचिका लगाई थी, बीसीसीआई के अध्यक्ष अनुराग ठाकुर की याचिका में कहा गया था कि लोढा कमेटी की सिफारिशो पर विचार किया गया लेकिन उस पर सहमति नहीं बनी. सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को बीसीसीआई के क्यूरियूटिव याचिका को खारिज कर दिया और अनुराग ठाकुर को कोर्ट में यह झूठा हल्फिया बयान देने का आरोपी पाया कि उन्होने मनोहर शशांक से विचार विमर्श किया था. 

बुधवार को सुप्रीम कोर्ट ने एमिकस क्यूरी से पूछा कि क्या बीसीसीआई अध्यक्ष अनुराग ठाकुर ने कोर्ट के सामने झूठे तथ्य पेश किए हैं? जिसके जवाब में एमिकस क्यूरी ने कोर्ट को बताया कि अनुराग ठाकुर ने सुप्रीम कोर्ट में दिए शपथपत्र में झूठ कहा कि उन्होंने बीसीसीआई चेयरमैन के रूप में शशांक मनोहर से विचार लिया था. क्यूरी का कहना है कि ठाकुर ने सुधारों की प्रक्रिया में बाधा पहुंचाई है. अगर ऐसा पाया जाता है कि अनुराग ठाकुर ने झूठे तथ्य पेश किए हैं तो वो जेल भी जा सकते हैं. इसके अलावा एमिकस क्यूरी ने वरिष्ठ अधिकारियों को पद से हटाए जाने की वकालत की है.

इस मामले में सुप्रीम कोर्ट का कहना है कि कोर्ट ये आदेश पारित करेगा कि अनुराग ठाकुर के खिलाफ परजूरी (कोर्ट में झूठा साक्ष्य देना) का मामला चलाया जाए या नहीं. इसके लिए कोर्ट ने ठाकुर को अपने बचाव के लिए एक हफ्ते में दस्तावेज दाखिल करने का वक्त भी दिया है.वहीं अनुराग ठाकुर के वकील कपिल सिब्बल का कहना है कि ठाकुर मांफी मांगने को तैयार हैं. 
 

 

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