नई दिल्ली: उधर वित्त मंत्री अरुण जेटली मंगलवार को न्यूयॉर्क में अमेरिकी निवेशकों के सामने मोदी सरकार के आर्थिक सुधार कार्यक्रमों को विस्तार से समझा रहे थे , इधर दिल्ली में संघ परिवार के संगठनों किसान, मज़दूर और व्यापारी संघों ने मोदी सरकार की नीतियों के खिलाफ मोर्चा खोल दिया | संघ परिवार के संगठनों ने मोदी सरकार की निवेश नीति, भारतीय बाजारों में चीनी सामान की बढ़ती मौजूदगी समेत दूसरी आर्थिक नीतियों के खिलाफ 29 अक्टूबर को स्वदेशी महारैली का ऐलान कर दिया है |
अरुण जेटली न्यूयार्क में बता रहे थे कि भारतीय अर्थव्यवस्था दुनिया की सबसे खुली अर्थव्यवस्थाओं में से एक हो गई है | दिल्ली में स्वदेशी जागरण मंच के राष्ट्रीय प्रचार प्रमुख दीपक शर्मा ने कहा, 'हम असंगठित क्षेत्र में करोड़ों बेरोजगारों के समर्थन में रैली कर रहे हैं | देश में बेरोजगारी की स्थिति चिंताजनक होती जा रही है | ऐसे में रोजगार-सृजन वाले क्षेत्रों में विदेशी निवेश का आह्वाहन बेरोजगारी को और बढ़ाएगा |' दीपक शर्मा कहते हैं कि जिन सेक्टरों में रोजगार ज्यादा पैदा होता है, वहां विदेशी निवेश को मंजूरी देने से स्थानीय लोगों की रोजी-रोटी छिन जाती है |
संघ परिवार से जुड़ी संस्थाएं अब खुलकर मोदी सरकार की आर्थिक नीतियों पर सवाल उठाने लगी हैं | उन्हें अब भारतीय किसान यूनियन (टिकैत), भारतीय उद्योग व्यापार मंडल और भारतीय कृषक समाज जैसे संगठन का भी साथ मिल रहा है | उद्योग संस्थानों की संस्था पीएचडी चैंबर्स में पूर्व अध्यक्ष रवि विग कहते हैं, 'चीन ने भारतीय अर्थव्यवस्था को डंपिंग ग्राउंड बना दिया है | वो हमारी अर्थव्यवस्था को कमज़ोर करना चाहता है.' उनका इशारा है कि चीन सरकार भारत में विदेश निवेश की सरल नीति का दुरूपयोग कर रही है और मौजूदा व्यवस्था उसे रोकने में नाकाम साबित हो रही है | इससे पहले भारतीय मजदूर संघ 17 नवंबर को दिल्ली में अपने करीब पांच लाख कार्यकर्ताओं की महारैली करने का ऐलान कर चुका है |साफ है कि कमजोर पड़ती अर्थव्यवस्था सबको परेशान कर रही है. देखना महत्वपूर्ण होगा कि संघ परिवार से जुड़े संगठनों की तरफ से सरकार की आर्थिक नीतियों पर उठ रहे इन सवालों से सरकार कैसे निपटती है |
VIDEO : विदेशी निवेश के खिलाफ 29 अक्टूबर को स्वदेशी महारैली
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