नवाज को झटका,पाक में सार्क नहीं

Publsihed: 28.Sep.2016, 20:19

पाकिस्तान के खि‍लाफ शुरू किए कूटनीतिक अभियान मे भारत को पहली बडी सफलता मिली है. पाकिस्तान में होने वाला  सार्क सम्मेलन रद्द हो गया है। भारत के विदेश मंत्राल्य के प्रवक्ता विवेक स्वरूप के मुताबिक जल्द ही सार्क सम्मेलन रद्द करने का एलान हो जाएगा. सूत्रो के मुताबिक नेपाल के विदेश मंत्री बाहर गए हुए हैं, इस लिए शनिवार को उन के लौटने पर सार्क रद्द होने का विधिवत एलान हो जाएगा. है। भारत के साथ ही पड़ोसी बांग्लादेश, भूटान और अफगानिस्तान ने भी पाकिस्तान में होने वाले सार्क  सम्मेलन का बहिष्कार करने का फैसला किया था। आतंकवाद के मसले पर सदस्य देशों के विरोध के बाद सार्क का मौजूदा अध्यक्ष नेपाल संगठन को बचाने की कोशि‍श में जुटा है. नेपाल नवंबर में होने वाले इस सम्मेलन के लिए‍ वेन्यू इस्लामाबाद से बदलकर दूसरी जगह करने पर विचार कर रहा है।

पीएम मोदी ने सिखाया सबक

उरी आतंकी हमले के बाद मोदी सरकार ने पाकिस्तान को अलग-थलग करने की दिशा में कूटनीति के मोर्चे पर बड़ा फैसला लिया है। भारत के इस फैसले के समर्थन में तीन और पड़ोसी देशों के आ जाने के बाद दक्ष‍ि‍ण एशि‍या के 8 देशों वाले इस गुट में अब पाकिस्तान के साथ नेपाल, श्रीलंका और मालदीव ही बचे हैं। हालांकि भारत के फैसले को दुर्भाग्यपूर्ण करार देते हुए पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय ने भारत पर पाकिस्तान में आतंकवाद को बढ़ावा देने का आरोप लगा दिया। ‘रेडियो पाकिस्तान’ ने पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नफीस जकारिया के हवाले से खबर दी है कि भारत सहित 4 देशों के बहिष्कार के बावजूद पाकिस्तान सार्क सम्मेलन आयोजित करेगा. हालांकि, ऐसा मुमकिन नहीं है।

जानिए, भारत के बायकॉट का क्या होगा असर?

1985 में बने इस गुट में भारत सबसे बड़ा सदस्य है. अगर भारत और तीन अन्य सदस्य इस सम्मेलन में नहीं जाएंगे तो इसके आयोजन पर भी संकट के बादल छा गए हैं। नए नियमों के मुताबिक सम्मेलन में सभी सदस्य देशों की मौजूदगी जरूरी है, नहीं तो आयोजन स्थगित करना पड़ेगा या रद्द करना पड़ेगा।1985 के बाद ये पहला मौका होगा जब भारत ने सार्क सम्मेलन का बायकॉट करने का फैसला लिया है। इस सम्मेलन में भारत के नहीं जाने से आयोजन की सारी तैयारियां धरी की धरी रह जाएंगी। श्रीलंका ने कह दिया है कि भारत की भागीदारी के बगैर सार्क सम्मेलन मुमकिन नहीं है।

पाकिस्‍तान को खानी पड़ी मुंह की

भारत के इस कदम का चार अन्य सदस्य देशों का साथ देने का मतलब है कि भारत दक्ष‍िण एशिया में अपनी मजबूत कूटनीतिक पकड़ बना रहा है। अफगानिस्तान और बांग्लादेश तो खुद भी आतंकवाद से जूझ रहे हैं, लेकिन भूटान और श्रीलंका जैसे छोटे देशों का भारत के साथ खड़ा होना भारत की ताकत

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