मोदी सरकार ने एतिहासिक कदम उठाते हुए पहली मई से सभी आधिकारिक कारों से लाल और नीली बत्ती हटाने का फैसला किया है | प्रधानमंत्री ,केंद्र के मंत्रियों , मुख्यमंत्रियों और सभी राज्यों के सभी मंत्रियों की गाड़ियों से भी लाल बत्ती हट जाएगी | सिर्फ चार अधिकारियों को लाल बाती का इस्तेमाल करने का अधिकार होगा | राष्ट्रपति, उपराष्ट्रपति , सुप्रीम कोर्ट के मुख्य्न्याय्धीश और लोकसभा स्पीकर को रेड लाईट का अधिकार दिया गया है |
केंद्र सरकार के इस निर्णय से खुद को सब से अलग और विशेषाधिकार प्राप्त समझने वाली आईएएस कौम को झटका ;लगा है, जो ब्रिटिश काल से ही खुद को शाशक मानती है | सुप्रीम कोर्ट के न्यायधीशों और हाई कोर्टों के मुख्य न्यायधीशों और न्यायधीशों को भी किसी तरह की कोई लाल-पीली,नीली बत्ती लगानेका कोई अधिकार नहीं होगा |
सरकार ने उस नियम 108 को ही हटा लेने का फैसला किया है , जिस में केंद्र और राज्य सरकारों को रेड और ब्ल्यू लाईट लगाने का अधिकार दिया गया था | केबिनेट के बाद प्रेस कांन्फ्रेंस में अरुण जेटली ने बताया कि नीली बाती सिर्फ पुलिस वाहनों, फायर ब्रिगेड और एम्बुलेंस पर ही लग सकेगी, इस सम्बन्ध में नई नियमावली जल्द ही जारी की जा रही है |
इस से पहले उत्तरप्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यानाथ ने पद भार संभालते ही अपनी कार पर लाल बत्ती लगाने से मना कर दिया था | दिसंबर 2013 में जस्टिस गीएस सिंघवी और जस्टिस सी नाग्प्पन ने राज्य सरकारों को निर्देश दिया था वे मोटर व्हीकल नियमावली में संशोधन कर के लाल बत्तियों के इस्य्तेमाल को सीमित करें | तब अदालत ने सिर्फ सैवधानिक हस्तियों को लाल बाती लगाने का अधिकार देने की बात कही थी | लेकिन निर्णय केंद्र और राज्य सरकारों को ही लेना था, तब की यूपीए सरकार ने इस मुद्देर कोई कदम नहीं उठाया था |
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