भागवत कथा में जमकर नाचे श्रोता ,भक्ति में हुए विलीन

Publsihed: 17.Oct.2016, 20:53

हिंदू की विश्व को जरुरत है - रमेश भाई ओझा 

बेणेश्वरधाम  पर आयोजित भागवत  कथा के दूसरे दिन हजारो की तादाद में विभिन्न राज्यो से भागवत कथा का श्रवण करने पहुॅचे .

 
कथावाचक रमेशभाई ओझा ने कहॉ कि भागवत श्रवण मा़त्र से ही व्यक्ति पवि़त्र बन जाता है चाहे उसने  जीवन में कितने भी पाप क्यो नही किये हो । अगर आप का मन भगवान में लग जाए तो आपकोे मौत का डर नही लगेगा . कथा की चार संज्ञा है औषधि, रसायन ,अमृत, आसब कथा साधुओ के लिए रसायन और भक्तेा के लिए अमृत है .भागवत मोक्ष प्राप्ति का प्रमुख साधन है . इन्सान पर कंलक लगता है तो चल जाता है , पर पूजा मे माथे पर लगाया तिल वह मिटा देता है कुछ लोग बकरे मुर्गे एवं भैस की बलि चढाते है अगर हिम्मत हेा तो शेर की बलि चढाओ पता लगेगा की कौन किसकी बलि चढाता है और बलि कैसे चढती है.

ललक हो तो सरकारी स्कूल में भी कलाम बन सकता है

कथावाचक रमेश भाई ने अपने प्रवचन में कहॉ की अगर व्यक्ति में ज्ञान प्राप्त करने की इच्छा नहीं है  तो आप कितने भी प्रावईट विधालयो में बच्चोेें को पढाओ कितनी भी ट्यूशन करवा दो पास भी नही हो सकता है ,अगर उसकी इच्छा ज्ञान प्राप्त करने की होगी तो वह सरकारी विधालयो में पढ कर भी वह अब्दुल कलाम बन सकता है. 

पानी का भरा घडा कभी आवाज नही करता 

कथावाचक रमेश भाई ओझा ने प्रवचन के दौरान कहॉ की पानी का भरा घडा कभी आवाज नही करता है क्योकि वह पूरा भरा हुआ होता है और आप खाली घडे को नदी नालो या कही से पानी भरोगे तो आवाज आयेगी . इसी प्रकार जिन्हे कुछ नही आता है अज्ञानी लेाग अहंकार करते है. जिन्हे सबकुछ आता है वे कम बोलते कभी अहंकार नही करते है .अपने कर्म को कोई नही छुपा सकते है वो तो उजागर होकर ही रहते है और नही कभी प्रेम को छुपा सकते है प्रेम अपने आप झलकता है .ऑखे अपने आप एक खिडकी है जो प्रेम झलकाती है .

जियो और जीने दो

आतंकवाद से बचाना है तो प्रेमरुपी  शिक्षा उद्धार की जरुरत है आज विश्व को हिन्दू की सबसे बडी जरुरत है मुझे तो नही पता कि मावजी के चौपडे में क्या लिखा है .पर पीठाधीश अच्युतानंदजी बता रहे की बेणेशवर में इतना बडा रामकथा का आयोजन होगा, जो भी भविष्य वाणी में लिखा हुआ है .रावण को मारने के लिए राम की जरुरत है न की रावण की . हिंदू जियो और जीने दो की भावना से चलता है . नाम अलग अलग हो सकते है उपासना अलग अलग हो सकती है लेकिन उपास्य एक ही है हर भेष मे तुही हर वेश में तु ही है तेरा नाम एक ही है तु एक ही है.

दूसरे दिन का आगाज पोथी पूजन के साथ शुरु हुआ . पोथी पूजन के बाद कथा वाचक रमेशभाई ओझा के श्रीमुख से कथा हुई जिस दौरान श्रोताओ ने पूरे तन भक्तिमय डुबकी के साथ जकमर तालियो नाच गान ठहाके के साथ कथा सुनी . कथावाचन के बाद आरती का आयोजन हुआ . 

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