हम आजाद भारत में साम्प्रदायिकता की जडों का सबूत पेश कर रहे हैं. जो सब से बडी खबर हैं. भोपाल के मुस्लिम उलेमाओ ने एक हस्ताक्षरित बयान जारी कर के सिमी के मारे गए आतंकवादियों की पैरवी की है.मुस्लिम उलेमाओं के इस बयान से स्पष्ट हो गया है कि देश में जहां जहां आतंकवाद की घटनाओं में सिमी, जैश-ए-मोहम्मद , लश्कर-ए-तोयबा आदि के मुस्लिम आतंकादी शामिल होते हैं, उन्हे कैसे स्थानीय मुस्लिम धर्म गुरूओं का समर्थन हासिल हो रहा है.इन्ही स्थानीय मुस्लिम उलामाओं के दबाव के कारण ही राजनीतिक दलों के नेताओं को वोट के लिए आतंकवादियों की मुठभेडों और अन्य नाजायज मुद्दों का समर्थन करना पडता हैं. इन्हीं मुस्लिम उलेमाओं ने प्रधानमंत्री राजीव गांधी से शाहबाने के मामले में संसद से गलत फैसला करवा लिया था.
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