नई दिल्ली। शत्रु संपत्ति हस्तांतरण अध्यादेश जब पांचवी बार राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास पहुंचा तो उन्होंने हस्ताक्षर करने पर नाराजगी जताई. प्रणब मुखर्जी ने कहा कि यह अध्यादेश पांचवी बार लागू हो रहा है लेकिन क्या वजह है कि सरकार इसे अब तक संसद में पारित नहीं करवा पाई है ?
दरअसल केंद्र सरकार चीन और पाकिस्तान से युद्ध के बाद उन दो मुल्कों में चले गए लोगों की संपत्ति के हस्तांतरण और उत्तराधिकार को लेकर करीब 5 दशक पुराने कानून में संशोधन करना चाह रही है. इसी से जुड़ा अध्यादेश अब तक पांच बार राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी के पास पहुंच चुका है. नोटंबदी को लेकर शीतकालीन सत्र लगभग ठप ही रहा. जिसकी वजह से कानून में संशोधन को लेकर विधेयक पारित नहीं कराया जा सका. सत्र समाप्त होने के बाद केंद्रीय मंत्रिमंडल ने फिर से अध्यादेश को मंजूरी दी है. हांलाकि राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने पांचवी बार भी अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर दिया है.
यह अध्यादेश पहली बार 7 जनवरी 2016 को लागू किया गया था. अगस्त महीने में यह अध्यादेश चौथी दफा राष्ट्रपति के पास पहुंचा था. एनडीटीवी के अनुसार उस समय राष्ट्रपति सरकार के काम करने के तौर तरीके सेबेहद खफा हुए क्योंकि उस वक्त तक अध्यादेश को कैबिनेट की मंजूरी तक नहीं मिली थी जिसपर राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने सरकार से कहा कि मामला जनता के हित से जुड़ा है इसलिए वे इस अध्यादेश पर हस्ताक्षर कर रहे हैं. लेकिन आगे से ख्याल रहे कि कैबिनेट की मंजूरी के बिना कोई भी अध्यादेश राष्ट्रपति तक नहीं पहुंचे. आजाद भारत की यह पहली घटना थी, कि सरकार ने बिना केबिनेट की मंजूरी लिए अध्यादेश राष्ट्रपति को भेज दिया, हालांकि सरकार ने राष्ट्रपति के हस्ताक्षर के तुरंत बाद अध्यादेश पर कैबिनेट की मुहर लगवा ली थी.
शत्रु संपत्ति हस्तांतरण कानून में बदलाव कर सरकार चीन और पाकिस्तान में विस्थापित लोगों की संपत्ति का हस्तांतरण उत्तराधिकारों के हाथों में करने की कोशिश में लगी हुई है। बता दें एक अध्यादेश दोबारा उसी स्थिति में जारी किया जाता है अगर संसद का सत्र जारी नहीं हो साथ ही अध्यादेश को लेकर कोई विधेयक पारित नहीं हुआ हो.
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