सोमवार को यानि आज इसरो के श्रीहरिकोटा केंद्र से उस रॉकेट को लॉंच किया गया जो सात उपग्रहों को अंतरिक्ष की कक्षा में स्थापित करने वाला है। भारत के पीएसएलवी-सी 35 ने अंतरिक्ष में उड़ान भर दी है। समुद्र और मौसम संबंधी अध्ययन वाले इस उपग्रह को अमेरिका और कनाडा सहित कुछ अन्य देशों के उपग्रहों के साथ प्रक्षेपित किया गया। इसरो ने अपनी वेबसाइट पर बताया कि सुबह 9 बजकर 12 मिनट पर पीएसएलवी-सी 35 को छोड़ा गया। यह PSLV का पहला ऐसा मिशन है जिसमें उपग्रहों को दो भिन्न कक्षाओं में पहुंचाया जाएगा।
इसरो का यह अब तक सबसे लंबा पीएसएलवी उपग्रह लॉन्च मिशन है। इसमें दो घंटे15 मिनट से अधिक का समय लेगा। यह 320 टन वजन का रॉकेट है। इसका प्रक्षेपण श्रीहरीकोटा स्थित लॉन्च पैड से किया जाएगा। यह पीएसएलवी का 37वां प्रक्षेपण होगा। इसे आईआईटी छात्रों ने मिलकर बनाया है। इसमें मुख्य उपग्रह स्कैटसैट-1 होगा। स्कैटसैट-1 को 720 किलोमीटर की ऊंचाई वाली कक्षा में तथा अन्य उपग्रहों को 670 किलोमीटर की ऊंचाई वाली कक्षा में स्थापित किया जाएगा। यह पहली बार है जब पीएसएलवी एक ही मिशन में उपग्रहों को दो अलग-अलग कक्षाओं में स्थापित करेगा।
इसी साल जून में इसरो ने पीएसएलवी के ज़रिए एक साथ 20 उपग्रहों को अंतरिक्ष में पहुँचाया था। जून में जो उपग्रह अतंरिक्ष में भेजे गए, उनमें भारत के तीन और 17 विदेशी उपग्रह थे। इसरो के चेयरमैन एएस किरण कुमार का कहना है कि इसरो अपने काम को और ज़्यादा किफ़ायती बनाने की कोशिश कर रहा है। उनका कहना है कि अपने देश की ज़रूरतों के लिए उपग्रह लाँच करने के दौरान यान में मौजूद अतिरिक्त जगह के इस्तेमाल से हम अपने ख़र्च की भरपाई करने में सफल होंगे।
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