उरी में हुए पाकिस्तान के आतंकवादी हमले के मृतको की संख्या 18 हो गई है. चौदह साल पहले 2002 में हुई कालूचक्क की आतंकी वारदात के बाद यह सेना पर हुआ सब से बडा हमला है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मुह तोड जवाब की धमकी दी है. गृह मंत्री, रक्षा मंत्री, वित्त मंत्री सभी के बयान पाकिस्तान को सबक सिखाने वाले हैं. मोदी के प्रधानमंत्री बनने के बाद पठानकोट के बाद यह दूसरी वारदात हो गई है जिस में भारत की सेना को निशाना बनाया गया है. सभी मंत्री बयान बहादुर बने हुए हैं. जबकि मोदी के साथ खडा देश पाकिस्तान को मुन्ह तोड जवाब का इंतजार कर रहा है.
पाकिस्तान ने अब अपनी आतंकवाद की रणनीति में परिवर्तन किया है. पहले आतंकवादी वारदातो में भारत के आम नागरिको को निशाना बनाया जाता था. जब से नरेंद्र मोदी ने सीमा पार से युध विराम का उलंघन होने पर सेना को जवाबी कार्रवाई की छूट दी है, पाकिस्तान के आतंकवादियो का रूख भारतीय फौज की ओर मुड गया है. अब भारतीय फौज पाकिस्तान के तथाकथित आतकवादियो के निशाने पर है. यहाँ तथाकथित इस लिए कहा गया है क्योंकि अब यह स्पष्ट होने लगा है कि नान स्टेट एक्टर के नाम पर असल में पाकिस्तानी फौज खुद भारत में घुस कर आतंकवादी वारदाते कर रही है. और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहाकार अजीत डोभाल के नेतृत्व में गुप्तचर एजेंसिया पूरी तरह नाकाम हो गई हैं. पठानकोट और उरी की वारदाते इस का प्रमाण हैं.
पाकिस्तान की ओर से भारत के खिलाफ पिछ्ले चार दशक से चल रहे छदम युध की पूर्ववर्ती सरकारे पहले भी आलोचना और निंदा करती रही है. लेकिन नरेंद्र मोदी ने जिस तरह लोकसभा चुनाव में पाकिस्तान के खिलाफ कडी कार्रवाई की उम्मींदे जगा दी थी, उस कारण देश की जनता अब पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाई की उम्मींद कर रही है. सोशल मीडिया पर नरेंद्र मोदी से जवाब तलब किया जा रहा है. यह ठीक है कि प्रधानमंत्री की लोकप्रियता में अभी कोई कमी नहीं आई है, लेकिन यह निर्णायक समय है, अगर नरेंद्र मोदी जनता की उम्मींदो पर खरे नहीं उतरे तो लोकप्रियता गिरने में कोई समय नहीं लगेगा. क्योंकि सेना पर हुए आतंकवादी हमलो के कारण जनता में बेहद गुस्सा है.
सोमवार को प्रधानमंत्री के घर पर हुई समीक्षा बैठक में किस रणनीति पर विचार किया गया, सरकार उस का खुलासा करने से बच रही है, लेकिन संकेत हर बार की तरह अंतर्राष्ट्रीय समुदाय के सामने पाकिस्तान का हाथ होने के सबूत रखने के ही मिले हैं. भारत अनेक बार अनेक वारदातो में पाकिस्तान का हाथ होने के पुख्ता सबूत दे चुका है, लेकिन पाकिस्तान उन सबूतो को अपर्याप्त बताता रहा है. अगर अब भी मोदी सरकार वही घीसा पिटा सबूत देने वाला तरीका ही अख्तियार करती है, तो देश की जनता संतुष्ट नहीं होगी. देश के सब्र का प्याला भर चुका है और अगर सपने दिखाने के बाद मोदी सरकार पाकिस्तान के खिलाफ सैन्य कार्रवाही नहीं करती तो भाजपा को उत्तर प्रदेश , उत्तराखंड और पंजाब विधानसभाओ के चुनावो में खामियाजा भुगतना पडेगा.
मोदी सरकार के मंत्रियो ने ही नहीं संयुक्त राष्ट्र महासचिव बान की मून ने भी जिम्मेदारो को कडी सजा देने की बात कही है. संयुक्त राष्ट्र राष्ट्र के 71वे अधिवेशन से ठीक पहले सोमवार को बान की मून ने उम्मीद जताई है कि इस जघन्य अपराध को अंजाम देने वालों की जल्द से जल्द पहचान कर उन्हें सजा दी जाएगी। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ पहले ही दिन कश्मीर का मुद्दा उठाने वाले हैं, हालांकि उरी के आतंकी हमले से संयुक्त राष्ट्र में उन की स्थिति कमजोर कर दी है. संयुक्त राष्ट्र में उरी का मामला उठना तय है, क्योंकि कनाडा, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया , अफगानिस्तान और यहाँ तक कि चीन जैसे देशो ने भी कडी निंदा की है.
पाकिस्तान को बचाव की मुद्रा में लाने की रणनीति के तहद ही नरेंद्र मोदी ने पाक अधिकृत कश्मीर में मानवाधिकारो के हनन और ब्लूचिस्तान का मुद्दा उठाया था. बलूचिस्तान सम्बंधी नरेंद्र मोदी के बयानो ने दुनिया भर में रह रहे ब्लूचियो और ब्लूचिस्तान में उत्साह है. मोदी ने जैसे भारतीयो में उम्मींदे जगाई उसी तरह ब्लूचियो में उम्मींदे जगा दी हैं. इस से पाकिस्तान फौज में 1971 जैसे अपमान की आशंका पैदा हो सकती है, सम्भवत पाकिस्तान की फौज ने भारतीय फौज का मनोबल गिराने के लिए फौजी ठिकानो को निशान बनाने की रणनीति अपनाई है.
पहली बार भारत की पाक अधिकृत जम्मू कश्मीर और ब्लूचिस्तान पर हमलावर रणनीति का देशवासी दशको से इंतजार कर रहे थे. लेकिन संयुक्त राष्ट्र में इन दोनो मुद्दो को उठाए जाने से पहले ही पाकिस्तान ने भारत में सैन्य कार्रवाई कर दी. ऊपर से पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने धमकी भी दे दी है कि अगर भारत ने सैन्य कार्रवाई की तो पाकिस्तान बचाव में एटमी हथियार का इस्तेमाल कर सकता है. क्या एटमी हथियारो के इस्तेमाल की धमकी के आगे भारत और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय पाकिस्तान की आतंकवादी हरकतो के आगे लाचार हो जाएगा या बान की मून और विभिन्न देशो के बयानो का लाभ उठाते हुए अंतर्रष्ट्रीय समुदाय को साथ ले कर मोदी पाकिस्तान के आतंकी प्रशिक्षण शिविरो पर हवाई हमलो का निर्णय कर पाएंगे.
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