कमल नाथ 1984 मे सीखों के नरसंहार के दोषियों मे से एक हैं। नानावटी आयोग और मिश्रा आयोग ने गुरुद्वारा रकाबगंज के सामने दो सिखों को जिंदा जलाने के मामले मे आरोपी माना था। दिल्ली पुलिस कमिश्नर सुभाष टंडन , अतिरिक्त पुलिस कमिश्नर गौतम कौल के अतिरिक्त पत्रकार संजय सूरी ने भी आयोगो के सामने कमल नाथ के खिलाफ गवाही दी थी। कमल नाथ ने नानावटी आयोग के सामने स्वीकार किया था कि वह मौका-ए-वारदात पर मौजूद थे। गवाहियों के मुताबिक पाँच घंटे के नरसंहार के दौरान दो घंटे तक कमल नाथ वंहा मौजूद थे और भीड़ का नेतृत्व कर रहे थे।
कमल नाथ को पंजाब मे चुनाव प्रभारी बना कर राहुल गांधी ने उल्टा दांव चल दिया था , जिसे कमल नाथ ने तुरंत इस्तीफा दे कर सुधारने की कोशिश की है। हालांकि चुनाव हानि तो बहुत हो चुकी है। सोनिया गांधी इस विवाद को जेएलडी केएचटीएम करने के लिए शीला दीक्षित को पंजाब मे कांग्रेस का चुनाव प्रभारी बना रही है। शीला दीक्षित के दिल्ली मे सफल रहने की एक बड़ी वजह यह थी की वह सिख परिवार की बेटी और उत्तर प्रदेश के ब्राह्मण परिवार की पुत्रवधू हैं।
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