सारे रिकार्ड तोड़ते हुये जयललिता ने तमिलनाडू मे लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री की शपथ ले ली। मद्रास विश्वविध्याल्य मे हुया शपथ ग्रहण क्लासरूम जैसा ही था। शपथ ग्रहण करने वाले मंत्री पुराने जमाने की गुरु शिष्य परंपरा की तरह जयललिता की चरण वंदना करते दिखाई दिये । केन्द्रीय राजनीति मे ऐसी चरण वंदना कभी इन्दिरा गांधी की भी नहीं हुयी। जयललिता की तरह ममता और नितीश कुमार भी लगातार दूसरी बार मुख्यमंत्री बने हैं। लेकिन जहां तक नरेंदर मोदी के विकल्प का सवाल है जयललिता उन दोनों पर भारी पड़ सकती हैं। पहले भी 1996 मे एक समय आया था जब जयललिता केन्द्रीय राजनीति मे सक्रिय हो सकती थीं , लेकिन जयललिता ने प्रादेशिक राजनीति को ही चुना था। केरल और असम विधानसभा चुनावों मे कांग्रेस की हार से यह स्पष्ट हो गया है कि कांग्रेस 2019 तक मोदी का विकलप नहीं बनने जा रही। हालांकि 2019 अभी तीन साल दूर है। अभी तो 2019 तक मोदी का पलड़ा ही भारी लगता है। ऐसा लगता है की मोदी 2019 तक अपने पक्ष मे हवा बनाए रखने मे कामयाब रहेंगे । फिर भी 2019 के चुनावों को आज के संदर्भ मे देखें तो क्षेत्रीय पार्टियां अब भाजपा के सामने दूसरे नंबर पर आ चुकी हैं। केरल मे सत्ता हासिल करने के बावजूद वामपंथियों की ताकत काफी घटी है, इसलिए वे मोदी के सामने विश्वसनीय विकल्प पेश करने की स्थिति मे नहीं हैं। यानि वामपंथी विकल्प का नेतृत्व नहीं कर पाएंगे। हालांकि यह मेढकों को एक टोकरी मे डालने जैसा बात है, लेकिन क्षेत्रीय दल मिल कर भाजपा को चुनोती देने की स्थिति मे आ सकते हैं, अगर ऐसा होता है तो जयललिता का वजन सब से ज्यादा होगा।
आपकी प्रतिक्रिया