एल.एन.शीतल / देश के सबसे बड़े मीडिया हाउस - 'भास्कर समूह' पर IT और ED की छापेमारी को मीडिया पर हमला बताया जा रहा है. कहा जा रहा है कि सरकार ने भास्कर ग्रुप के सत्ताविरोधी तेवरों से चिढ़कर उसे सबक सिखाने और अन्य अख़बारों/चैनलों को डराने के लिए यह कार्रवाई की है.
ऐसा कहने वालों को मालूम होना चाहिए कि कोई भी अख़बार या न्यूज़ चैनल ऐसी कोई 'पवित्र गइया' बिल्कुल नहीं, जिसे रक्षा-कवच प्राप्त है.
कौन नहीं जानता कि विभिन्न अख़बार और चैनल बैनर की आड़ में तमाम तरह के धन्धे करते हैं और अपने उन धन्धों से जुड़ी अवैध गतिविधियों की अनदेखी करने के लिए सरकारों पर अड़ी-तड़ी डालने में कोई कसर बाकी नहीं रखते. भास्कर सिरमौर है इनमें. उस का तेल , बिजली उत्पादन का बड़ा कारोबार फैला है । अख़बार के नाम पर सरकारों से ठेके लेना और औने-पौने दामों में ज़मीनें हथियाना और फिर फिर उन ज़मीनों का मनमाना इस्तेमाल करना भास्कर अपना विशेषाधिकार समझता रहा है .
सरकारी ज़मीनों पर क़ब्ज़ा कर के बिल्डरों के साथ मिलकर फ्लैट-डुप्लेक्स बनवाने-बिकवाने और व्यापारियों से मिलकर उनके उत्पादों को बढ़ाने के लिए अपने पाठकों को उकसाने का धत्कर्म करने में सबसे तेज गति वाला है समूह! क्या आप को यह जानना नहीं चाहिए कि भास्कर ने मध्यप्रदेश, राजस्थान, गुजरात और छत्तीसगढ़ में अख़बार के नाम पर सरकारी ज़मीन कम रेट पर लेकर सब जगह माल खोल दिए । क्या उस अवैध कमाई पर कार्रवाई नहीं होनी चाहिए ।
मीडिया भी एक इंडस्ट्री है. तो फिर किसी अन्य इंडस्ट्री की तरह उस पर भी छापे क्यों नहीं पड़ सकते? लेकिन छापे पड़ते ही कुछ लोग चीखना शुरू कर देते हैं कि बदले की कार्रवाई हो रही है. कोई मीडिया हाउस, जो '92 में 100 करोड़ का भी नहीं था, वह '21आते-आते हज़ारों करोड़ का कैसे हो गया, यह किसी से छिपा नहीं है. इसे समझने के लिए ज़्यादा ज्ञान की ज़रूरत नहीं है.
भास्कर सबसे ताक़तवर, सबसे बड़ा, सबसे निर्भीक और तेज रफ्तार वाला मीडिया समूह है! उसकी आवाज में दम है, उसकी पहुँच बहुत दूर तलक है, उससे सरकारें थर्राती हैं!! तो फिर डर किस बात का? अगर उसने कर-चोरी नहीं की है तो वह विपक्ष के दम (?) पर संसद को हिला सकता है, महंगे से महंगे वकीलों की फ़ौज के बूते सुप्रीमकोर्ट में दमदारी से अपनी बात रख सकता है, अपने विशालतम पाठक-परिवार की ताक़त पर चुनाव नतीजों को मनमाफ़िक कर सकता है! जब वह आकाश-पाताल एक कार सकता है तो IT/ED की क्या औकात!! (लेखक दैनिक भास्कर के पूर्व संपादक हैं)
आपकी प्रतिक्रिया