अवार्ड वापसी गैंग को अब लगता है अदालत का दुरूपयोग

Publsihed: 09.Oct.2019, 10:27

नई दिल्ली ( समीक्षा ) आतंकवादियों और बलात्कारियों को बचाने के लिए अदालत का दुरूपयोग करने वाले अवार्ड वापसी गैंग को लगता है कि उन के खिलाफ अदालत का दुरूपयोग हो रहा है | किसी न किसी बहाने मोदी सरकार को घेरने के लिए नए नए मुद्दे ढूँढने वाले इस गैंग के खिलाफ एक अदालत ने इस लिए ऍफ़आईआर दायर करने के आदेश दिए थे , क्योंकि भारत को विदेशों में बदनाम करने के लिए उन्होंने प्रधानमंत्री को माब लिंचिंग के मुद्दे पर चिठ्ठी लिख कर उसे अंतर्राष्ट्रीय मीडिया में प्रचारित किया |

अदालत में याचिका दायर करने वाले का आरोप था कि इन लोगों ने अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भारत की छवि खराब करने के उद्देश्य से पहले प्रधानमंत्री को चिठ्ठी लिखी और फिर उसे प्रचारित किया | इस पर अदालत ने अवार्ड वापसी गैंग के 49 जाने पहचाने चेहरों के खिलाफ ऍफ़आईआर दायर करने के आदेश दे दिए | अब वामपंथी पृष्ठभूमि वाले अवार्ड वापसी गैंग के 180 सदस्य सामने आए हैं और उन्होंने आरोप लगाया है कि उन के खिलाफ अदालत का दुरूपयोग किया जा रहा है | सामान्य हालात में छोटी अदालत के किसी फैसले या आदेश को बड़ी अदालत में चुनौती दी जाती है , इस मामले में भी यही होना चाहिए था , लेकिन अवार्ड वापसी गैंग का असली मकसद मोदी सरकार को मीडिया में बदनाम करना है , इस लिए अब फिर उन्होंने प्रचार को ही माध्यम बनाया है | नई चिठ्ठी में भी सरकार को निशाना बनाया गया है , अदालत को नहीं , जिस के आदेश पर ऍफ़आईआर दर्ज हुई है | 

वही पुराने 180 पुराने चेहरों की रहनुमाई अभिनेता नसीरुद्दीन शाह और इतिहासकार रोमिला थापर कर रही हैं | इन का सवाल है कि प्रधानमंत्री को खत लिखना देशद्रोह कैसे हो सकता है. खत में कहा गया है, 'हमारे 49 सहयोगियों के खिलाफ केवल इसलिए एफआईआर दर्ज की गई है क्योंकि उन्होंने हमारे देश में मॉब लिंचिंग पर चिंता व्यक्त करके समाज के सम्मानित सदस्यों के रूप में अपना कर्तव्य पूरा किया | साथ ही सवाल किया गया है कि क्या नागरिकों की आवाज़ को चुप कराने के लिए अदालतों का दुरुपयोग करना 'उत्पीड़न' नहीं है | 

अशोक वाजपेयी और जेरी पिंटो, शिक्षाविद इरा भास्कर, कवि जीत थायिल, लेखक शम्सुल इस्लाम, संगीतकार टीएम कृष्णा और फिल्म निर्माता-कार्यकर्ता सबा दीवान सहित 180 हस्तियों ने ये नया खत लिखते हुए 'लोगों की आवाज' को चुप कराने के खिलाफ बोलने की बात कही | . 

याद रहे कि ये वही लोग हैं जिन्होंने अपने वकीलों के माध्यम से आतंकवादी याकूब मेमन को फांसी से बचाने के लिए एड़ी-चोटी का जोर लगा रखा था, इन्होने आधी रात को उस समय सुप्रीमकोर्ट का दरवाजा खुलवाया जब  नागपुर सेंट्रल जेल में उसे फांसी के फंदे पर लटकाने की तैयारी चल रही थी । यह बात और है कि यह गैंग याकूब फांसी से बच नहीं सका, लेकिन अंत तक उसे बचाने के लिए की गई कानूनी कवायद को शीर्ष अदालत ने पूरी तवज्जो दी।

निर्भया बलात्कार कांड के नाबालिग दोषी की रिहाई पर रोक के लिए इसी गैंग ने एक बार फिर यह कवायद की और आधी रात को अदालत का दरवाजा खुलवाया |  दिल्ली महिला आयोग की अध्यक्ष स्वाति मालीवाल के प्रयास से आधी रात को शीर्ष अदालत का प्रवेश द्वार एक बार फिर खुला, लेकिन वे अदालत कक्ष खुलवाने में असफल रहीं ।

 

 

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