नई दिल्ली |अजय सेतिया | कर्नाटक के कांग्रेस - जेडीयू के 15 विधायकों की याचिका पर सुप्रीमकोर्ट ने ऐसा फैसला सूना दिया है कि स्पीकर की मनमानी की सम्भावनाओं पर पानी फिर गया है | कांग्रेसी स्पीकर की रणनीति यह थी कि बागी विधायकों का इस्तीफा मंजूर न किया जाए और अगर वे कुमार स्वामी के विश्वासमत में हिस्सा न लें या सदन में आ कर कुमार स्वामी के खिलाफ वोट करें तो उन्हें व्हिप का उलंघन करने के आरोप में बर्खास्त कर दिया जाए | अगर ऐसा होता है तो दलबदल क़ानून के अनुसार वे भावी भाजपा सरकार में छह महीने तक मंत्री नहीं बन सकेंगे | सुप्रीम कोर्ट ने आज स्पष्ट शब्दों में कहा कि 15 विधायकों के सदन में जाने और व्हिप को मानने को लेकर कोई दबाव नहीं है |
हालांकि भाजपा हाईकमान का एक वर्ग दलबदल से सरकार बनाने की बजाए मध्यवधि चुनाव करवाने के पक्ष में है , लेकिन पूर्व मुख्यमंत्री येदुरप्पा चुनाव करवाने की बजाए सरकार बनाने के पक्ष में हैं , क्यों कि मौजूदा विधान सभा के अभी चार साल बाकी पड़े हैं | कांग्रेस और जेडीएस के इस्तीफा देने वाले विधायकों को भाजपा का टिकट और मंत्री पद देने का वायदा किया गया है | अगर स्पीकर उन के इस्तीफे मंजूर न कर के उन्हें बर्खास्त करते हैं , तो भाजपा सरकार भले ही बन जाएगी , लेकिन वे तुरंत मंत्री नहीं बन सकेंगें |
क़ानून में स्पीकर के लिए कोई समय सीमा तय नहीं की गई है , इसी का फायदा उठा कर स्पीकर इस्तीफों पर फैसला नहीं ले रहे | स्पीकर ने कोर्ट में स्पष्ट शब्दों में कहा कि सुप्रीमकोर्ट को कोई अधिकार नहीं कि वह स्पीकर को किसी तरह का निर्देश जारी करें | सुप्रीमकोर्ट किसी तरह का टकराव लेने के मूड में नहीं था , इस लिए आज उस ने फैसला दिया कि विधायकों के इस्तीफे मंजूर करने के फैसले में स्पीकर जितना चाहे समय लें , पर वह इस्तीफा देने वाले विधायकों को सदन की कार्यवाही में हिस्सा लेने को बाध्य नहीं कर सकते , विधायक चाहें तो सदन की कार्यवाही में हिस्सा न लें |सुप्रीम कोर्ट के चीफ़ जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस दीपक गुप्ता और जस्टिस अनिरुद्ध बोस की खंडपीठ ने बुधवार को फ़ैसला दिया कि बाग़ी 15 विधायकों को सदन की कार्रवाई में हिस्सा लेने के लिए बाध्य नहीं किया जा सकता है | सुप्रीमकोर्ट की यह टिप्पणी स्पीकर की मनमर्जी पर रोक लगाने वाली है | अब स्पीकर अगर विश्वासमत में हिस्सा नहीं लेने पर उन की सदस्यता खत्म करते हैं , सुप्रीमकोर्ट स्पीकर के फैसले पर स्टे दे देगी |
अब अगर ये 15 बाग़ी विधायक गुरुवार को विश्वासमत के दौरान सदन में मौजूद नहीं रहते हैं तो 225 सदस्यीय विधानसभा में कुमारस्वामी सरकार के लिए बहुमत आंकड़ा 104 हो जायेगा ,लेकिन उनके गठबंधन के विधायकों की संख्या घटकर 101 हो जाएगी (मनोनीत सदस्य को वोट देने का अधिकार नहीं होता है)| दूसरी तरफ दो निर्दलियों के समर्थन के बाद भाजपा के खेमे में 107 हो चुके हैं | सरकार को गिरता देख तीन चार और कांग्रेसी विधायक पाला बदल सकते हैं | इस तरह सरकार का गिरना अब करीब करीब तय है | सुप्रीम कोर्ट के इस फ़ैसले के बाद पूर्व मुख्यमंत्री और बीजेपी नेता बीएस येदियुरप्पा ने कहा, "अब सरकार का गिरना तय है क्योंकि उनके पास संख्या बल नहीं है." विधानसभा अध्यक्ष रमेश कुमार ने साफ़ संकेत दिया है कि वह सरकार गिरते ही सुप्रीमकोर्ट के फैसले की परवाह किए बिना बागी विधायकों की सदस्यता खत्म कर देंगे | उन्होंने कहा-" , मैं सुप्रीमकोर्ट के फैसले का सम्मान करता हूँ , लेकिन मैं संविधान में दिये गये अधिकारों के तहत ही काम करूंगा."
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