किसानों की आत्महत्याएं, देश की शिक्षा व्यवस्था की ऐसी तैसी और उसका निजीकरण, सरकारी पदों और नौकरियों में गिरावट, स्वास्थ्य सेवाओं का निजीकरण, विदेशी बैंकों और संस्थाओं की देश की व्यवस्था में घुसपैठ, धर्मांतरण को बढ़ावा, देश के संसाधनों में, रक्षा सौदों में लूट, सरहदों पर दुश्मन देशों का दबाव, बम धमाकों और दंगों का दौर और जाने क्या क्या उनके काल में इस देश ने भोगा।
नीशिथ जोशी / पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह पर एक खबर छपी। बहुत छोटी सी। चुपके से राज्य सभा से विदा हो गए मनमोहन सिंह। डॉ मनमोहन सिंह का भारत राष्ट्र सदा ऋणी रहेगा। वो जितने चुपके से देश की व्यवस्था में घुसे , जितने चुपके से प्रधान मंत्री बने थे, वैसे ही विदा हो गए। ठीक किसी गंभीर रोग की तरह। जो बहुत ही चुपके से मानव जीवन में प्रवेश करता है। बीच में बहुत उठा पटक मचाता है। फिर चुपके से उस मानव जीवन के साथ विदा हो जाता है। छोड़ जाता है। अपनी निशानियां। किस्से। दर्द। और जाने क्या क्या?
मनमोहन सिंह के साथ भी ऐसा ही कुछ हुआ। प्रधानमंत्री चंद्रशेखर के साथ जुड़े। उन्होंने पीएम पद से त्यागपत्र दिया तो कैसे कौन सा पद मिला। यदि मनमोहन सिंह सत्य लिख सकें तो उनको ईमानदार मान लूंगा। सिर्फ अपने प्रति ईमानदार। क्योंकि उनके प्रधानमंत्री होते हुवे उनकी बेटियों को कौन कौन से लाभ पहुंचाए गए। यह अलग विषय है। ख़ैर विश्व बैंक का एक सदस्य अगर प्रधानमंत्री के रूप में किसी देश में स्थापित हो जाएगा तो क्या होगा। वह इस देश ने भोगा है। किसानों की आत्महत्याएं, देश की शिक्षा व्यवस्था की ऐसी तैसी और उसका निजीकरण, सरकारी पदों और नौकरियों में गिरावट, स्वास्थ्य सेवाओं का निजीकरण, विदेशी बैंकों और संस्थाओं की देश की व्यवस्था में घुसपैठ, धर्मांतरण को बढ़ावा, देश के संसाधनों में, रक्षा सौदों में लूट, सरहदों पर दुश्मन देशों का दबाव, बम धमाकों और दंगों का दौर और जाने क्या क्या उनके काल में इस देश ने भोगा।
क्योंकि उस समय मीडिया में उनकी व्यवस्था के टुकड़े पर पलने वाले पदम पुरस्कार वाले तक थे, वामपंथ को भी टुकड़ा मिल रहा था। सब मगन थे। गाते हुए, मगन मगन। यह था उस भ्रष्ट आचरण की व्यवस्था का नंगापन जो मनमोहनी बयार में ढका छुपा रहा। तब रोग गुप्त अवस्था में था। जब दूसरी पारी मिली तो खुल्ला खेल फर्रुखाबादी सा हो गया। लूट सके तो लूट। याने अब यह रोग उठा पटक करने लगा था। नतीजा आया 2014 में तब मैडम को लगा कि यह तो कैंसर की तरह पूरी पार्टी को कमजोर कर रहा है तो उन्होंने ने इलाज के लिए डॉक्टर बेटे राहुल गांधी को अध्यक्ष बना दिया।
मनमोहन सिंह अपने लाभ के लिए भी मौन थे। पीएम बनने वाली की स्वामी भक्ति में भी मौन रहे। अब मौन रहते हुए भी चुपके से चले गए। जाने के पहले कांग्रेस के साथ उन सभी दलों और उनके नेताओं को भी साथ ले गए जो इस देश की व्यवस्था पर रोग की तरह चिपके पड़े थे। सपा, बसपा,वामपंथ,लालू, शरद पवार , सीताराम येचुरी और वामपंथ सबको जाने के पहले बाहर कर जाने की पूरी व्यवस्था बना जाने के बाद चुके से राज्य सभा से भी चले जाने के लिए मनमोहन सिंह का यह देश ऋणी तो रहेगा ही।
फिलहाल मनमोहन सिंह और कांग्रेस ने वह सब कर दिया है । अब अगले दो दशकों तक मोदी और उनके आने वाले उत्तराधिकारियों के लिए पूरी तरह नए भारत की नई व्यवस्था बनाने और खड़ा करने का मौका है। इसके लिए मनमोहन सिंह सदा याद किए जाएंगे। तो क्या मनमोहन सिंह ने कांग्रेस और गांधी परिवार को दण्डित करने का काम कर दिया है, यह बहस का विषय है।--
मनमोहन सिंह की पाठशाला
पर कांग्रेस उन्हें बेचारा बना कर भी नहीं छोड़ना चाहती , इसलिए उन्हें कांग्रेस पार्टी का प्रोफेसर नियुक्त कर दिया है | वह मुख्यमंत्रियों की क्लास लिया करेंगे और उन्हें गुर सिखाया करेंगे | वह गुर किस तरह के होंगे , अपन न समझ सकते हैं , न बता सकते हैं | प्रधानमंत्री ने शनिवार को नीति आयोग की बैठक बुलाई हुई थी, जिस में अब सारे मुख्यमंत्री सदसय होते हैं | तो इस मौके पर मनमोहन सिंह ने दिल्ली आए कांग्रेसी मुख्यमंत्रियों की क्लास ली | मनमोहन सिंह ने इन मुख्यमंत्रियों को गवर्नेंस के टिप्स दिए और गाइड किया | उन मु्ददों को बताया जिन्हें ये सीएम नीति आयोग की बैठक में उठाएंगे | मनमोहन सिंह की क्लास में मध्य प्रदेश के सीएम कमलनाथ, राजस्थान के सीएम अशोक गहलोत, छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, पुदुचेरी के सीएम वी नारायणसामी और कर्नाटक के सीएम एचडी कुमारस्वामी शामिल हुए |
Ajay Setia
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