नई दिल्ली | यूपी में कांग्रेस के पल्ले कुछ नहीं है | कांग्रेस को मझधार में छोड़ कर अखिलेश-मायावती ने गठबंधन कर लिया है | इस के बावजूद यूपी के पूर्वांचल की नई नई प्रभारी कांग्रेस महासचिव बनी प्रियंका गांधी का दिमाग सातवें आसमान पर है | प्रगतिशील समाजवादी पार्टी (लोहिया) के संस्थापक और अखिलेश यादव के चाचा शिवपाल यादव ने गठबंधन के लिए प्रियंका गांधी को फोन किया तो प्रियंका गांधी ने तुरंत मिलने से इनकार कर दिया | प्रियंका ने कहा कि अभी उनके पास मिलने का समय नहीं है |
प्रियंका ने शिवपाल यादव से दो-तीन बाद फोन करने की बात कही है . शिवपाल यादव कांग्रेस से 20 सीटों पर तालमेल करना चाहते हैं. प्रगतिशील समाजवादी पार्टी लोहिया को चुनाव आयोग ने चुनाव चिन्ह चाबी आवंटित कर दिया है. सपा और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) के गठबंधन के बाद से ही शिवपाल कांग्रेस के साथ गठबंधन करने की कोशिशों में जुटे हैं. शिवपाल इससे पहले कह चुके हैं कि कांग्रेस भी एक सेक्युलर पार्टी है और अगर वह भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) को हराने के लिए हमसे संपर्क करती है तो हम उसका समर्थन करेंगे. कई बार शिवपाल यह भी बोल चुके हैं कि "हमारे बिना कोई भी गठबंधन बीजेपी को हरा नहीं सकता है." बता दें कि अखिलेश यादव के साथ मनमुटाव के बाद शिवपाल यादव ने अपनी एक अलग पार्टी बनाई थी.
दरअसल, यूपी की सियासत में सबसे बड़ा ट्विस्ट उस वक्त आया था, जब जनवरी में एसपी-बीएसपी ने औपचारिक ऐलान किया कि दोनों पार्टियां यूपी की 38-38 लोकसभा सीटों पर मिलकर चुनाव लड़ेंगी. अखिलेश और मायावती ने बसपा-सपा गठबंधन से कांग्रेस को अलग रखकर सबको चौंंका दिया था. इसके बाद ही राहुल गांधी ने प्रियंका गांधी को राजनीति में उतारने का फैसला किया और उन्हें महासचिव बनाया. बता दें कि प्रियंका को कांग्रेस ने पूर्वी यूपी की कमान दी है और यूपी में सारा दारोमदार प्रियंका गांधी के ऊपर ही है.
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