चीफ जस्टिस के खिलाफ बगावत क्यों ?

Publsihed: 13.Jan.2018, 23:34

अजय सेतिया / बिहार विधानसभा चुनावों से ठीक पहले असहिष्णुयता का बवंडर खडा हुआ था | पंजाब विधानसभा चुनाव से पहले ड्रग्स का बावेला खड़ा हुआ था। गुजरात विधानसभा चुनाव से पहले दलित-पटेलों का आन्दोलन उफान पर था | अब लोकसभा चुनावों की रूपरेखा बनने लगी है | अगर रामजन्मभूमि का फैसला हो गया और वह राममंदिर के पक्ष में आ गया, जिस की संभावने है,तो फिर सेक्यूलर जमात की सारी रणनीति धरी रह जाएगी | इसलिए कांग्रेस के वकील कपिल सिब्बल ने सुप्रीमकोर्ट से दरख्वास्त की थी कि रामजन्मभूमि की सुनवाई मई 2019 तक यानी लोकसभा चुनाव तक टाली जाए | चीफ जस्टिस दीपक मिश्र इस केस की सुनवाई कर रहे हैं और उन्होंने सिर्फ फरवरी तक सुनवाई टाली है | अगले महीने से सुनवाई शुरू होनी है |  

इसी बीच शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट के चार सीनियर जजों ने चीफ जस्टिस दीपक मिश्र के खिलाफ मोर्चा खोल दिया | यह कुछ ऐसे हुआ, जैसे किसी राजनीतिक दल में बगावत हो गई हो | अपने अध्यक्ष के खिलाफ बगावत कर के चार बड़े नेताओं ने नया दल बना लिया हो | और मीडिया के माध्यम से राष्ट्रपति के सामने नई गठबंधन सरकार बनाने का दावा पेश कर रहे हों | जी हाँ , यह बगावत चीफ जस्टिस दीपक मिश्र को हटवा कर खुद चीफ जस्टिस बनने की है | कांग्रेस और वामपंथी दलों ने दुसरे नंबर के जज जस्टिस जे. चेलामेश्‍वर को एक तरह से खुला समर्थन दिया है | राहुल गांधी ने जस्टिस लोया की मौत की जांच का जिक्र किया , जबकि प्रकाश करात ने कहा कि इन चारों को अयोध्या मामले की सुनवाई क्यों नहीं सौंपी गई | यानी असली बात सामने आ गई है | 

जस्टिस जे. चेलामेश्‍वर की चीफ जस्टिस बनने की इच्छाएं राजनीति करने का औजार बन गई हैं | वह पहले से वामपंथियों के निकट हैं, पर  कुछ दिन पहले वह पूजा पाठ करने गुवहाटी के कामेश्वर मंदिर भी गए थे | चर्चा तो यहाँ तक है कि उन ने वहा बलि भी दी | पर उन के सामने मुश्किल यह है कि वह 22 जून को रिटायर हो रहे हैं | जबकि मौजूदा चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की रिटायरमेंट 2 अक्टूबर को है | जस्टिस जे. चेलामेश्‍वर ने अपने बाद के तीन सीनियर जजों जस्टिस रंजन गोगोई, जस्टिस मदन लोकुर और जस्टिस कुरियन जोसेफ को अपने साथ मिला लिया | इन में से एक जज ऐसा है , जो आधी रात हुई सुनवाई में याकूब की फांसी माफ़ किए जाने के पक्ष में था और एक जज ऐसा है , जिस ने यह कहते हुए प्रधानमंत्री की ओर  से इतवार के दिन बुलाई मीटिंग में आने से इनकार कर दिया था , कि उन्हें सन्डे चर्च जाना होता है |

चारों ने पहले हाल ही में मुद्दों पर चीफ जस्टिस को चिठ्ठी लिखी और बाद में जस्टिस लोया से सम्बन्धित बैंच में शामिल नहीं किए जाने पर एतराज जताने के लिए शुक्रवार को चीफ जस्टिस से मुलाक़ात भी की | प्रियंका गांधी के रिश्तेदार तहसीन पूनावाला ने जस्टिस लोया की मौत की जांच के लिए याचिका दाखिल की है, जिसे चीफ जस्टिस ने जस्टिस अनिल सिन्हा को भेज दिया है | जस्टिस लोया मुम्बई के जज थे | वह सोहराबुद्दीन की मुठभेड़ से सम्बन्धित अमित शाह के केस की सुनवाई कर रहे थे और उन की हत्या हो गई थी | चारों जजों की शिकायत है कि चीफ जस्टिस ने उन की वरिष्ठता को दरकिनार कर केस जस्टिस सिन्हा को भेजा , उन की शिकायत है कि चीफ जस्टिस उन की वरिष्ठता को दरकिनार कर बैंच बनाते हैं | हालांकि अपनी चिठ्ठी में चारों जजों ने चीफ जस्टिस को लिखा है कि सभी जज बराबर होते हैं, लेकिन ये चार जज बाकी के 21 जजों को अपने समक्ष नहीं मानते | इन चारों जजों की मांग है कि उन को उन के मतलब के मुकद्दमें सुनने दिए जाएं | 

पर हैरानी तब हुई , जब चारों जजों ने कहा कि लोकतंत्र खतरे में है | अब सुप्रीमकोर्ट के प्रशाशनिक मामलों से लोकतंत्र कैसे खतरे में पड गया | यह सब चीफ जस्टिस दीपक मिश्र की छवि को नुकसान पहुँचाने की दृष्टी से किया गया | जो प्रेस कांफ्रेंस के तुरंत बाद सीपीआई के नेता डी. राजा के जस्टिस चेलामेश्वर के घर जा कर बधाई देने से स्पष्ट हो गया | इस के तुरंत बाद राहुल गांधी भी इस जंग में कूदे और चारों जजों का खुल कर पक्ष लिया | रामजन्मभूमि केस को डेढ़ साल के लिए ठंडे बसते में डालने की मांग रखने वाले कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने चारों जजों के पक्ष में एक लेख लिखा, जो शनिवार को एक अंगरेजी अखबार में छपा | शुक्रवार शाम को निजी टीवी चेनलों पर होने वाली बहसों में वामपंथी, समाजवादी पार्टी, कांग्रेस के प्रवक्ता चीफ जस्टिस के खिलाफ और चारों जजों के पक्ष में खुल कर बोल रहे थे | जिस से साफ़ लग रहा था कि चारों जजों और विपक्षी दलों ने मिल कर चीफ जस्टिस के खिलाफ माहौल बनाना शुरू किया है |

चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा की नियुक्ति नरेंद्र मोदी सरकार ने की है, और उन्होंने दो दिन पहले ही 1984  में मारे गए तीन हजार सिखों के मामले में फिर से जांच के आदेश दिए हैं | पर यह कहानी सिर्फ राजनीतिक ही नहीं है | बात सीवीसी केबी चौधरी के खिलाफ मुकद्दमे से शुरू हुई थी | प्रशांत भूषण ने उन के खिलाफ आय से अधिक सम्पत्ति का केस ठोका था | यह केस जस्टिस चेलामेश्वर की अदालत में था | पता नहीं क्या हुआ कि यह केस खत्म हो गया | वकीलों के हलकों में चर्चा है कि जस्टिस चेलामेश्वर , प्रशांत भूषण और केबी चौधरी की मीटिंग हुई थी | आंध्र प्रदेश के सूत्रों से जस्टिस चेलामेश्वर की कुछ चौंकाने वाली खबरे मिली | यह कोई चार महीने पुरानी बात है | कांग्रेस के एक पूर्व सांसद एल. राजगोपाल जस्टिस चेलामेश्वर के घर पर मिले थे | यह मुलाक़ात तब हुई थी , जब अगले दिन एल. राजगोपाल की कम्पनी लिंकों के केस की सुनवाई थी | जस्टिस चेलामेश्वर खुद सुनवाई करने वाले थे | 

चीफ जस्टिस दीपक मिश्र और चेलामेश्वर में जंग की ताज़ा वजह कुछ और है | हाल ही में प्रशांत भूषण ने मेडिकल कालेजों को ले कर एक पीआईएल दाखिल की है | यह पीआईएल जस्टिस चेलामेश्वर की अदालत में पेश की गई | प्रशांत इस घोटाले में चीफ जस्टिस को घसीटना चाहते है | जब जस्टिस चेलामेश्वर सुनवाई कर रहे थे , तभी किसी ने जा कर चीफ जस्टिस को बता दिया | चीफ जस्टिस ने फौरन जस्टिस चेलामेश्वर को एक चिठ्ठी लिखी | जिस में लिखा था कि इस से जुडा केस एक दूसरी बैंच में विचाराधीन है , इस लिए वह सुनवाई न करें | पर जस्टिस चेलामेश्वर ने इस की परवाह नहीं की | उन्होंने एक कदम आगे बढ़ कर पांच जजों की संवैधानिक बैंच का गठन कर दिया और पाँचों जजों का नाम भी दे दिया | जबकि जज तय करने का अधिकार चीफ जस्टिस का है | न्यायपालिका हलकों में चर्चा है कि मकसद चीफ जस्टिस दीपक मिश्रा पर उंगली उठाना था ताकि किसी तरह जून से पहले वह चीफ जस्टिस बन सकें | पर अब तो मामला एक दम उलटा हो गया है | जस्टिस चेलामेश्वर ही नहीं, अलबत्ता बाकी तीनों का चीफ जस्टिस बनना भी खतरे में पड गया है | क्या मोदी सरकार प्रेस कांफ्रेंस करने वाले किसी जज को चीफ जस्टिस बनाएगी | अपन को तो नहीं लगता कि इन में से किसी को भी चीफ जस्टिस बनाना वाजिब होगा | 

लोकतंत्र को कहां पर खतरा ?
●जस्टिस दीपक मिश्रा ने 1984 दंगों के केस का पुनः संज्ञान लिया।
●जस्टिस दीपक मिश्रा ने इलाहाबाद हाईकोर्ट के "तरक़्क़ी में आरक्षण" के फैसले को आंकड़ों के आधार पर निरस्त किया।
●जस्टिस मिश्र ने 1993 के बम धमाकों के मुजरिम याकूब मेमन की फांसी की सजा को बरकरार रखा ।
●जसिट्स मिश्रा की खंडपीठ ने मई 2017 में निर्भया केस के चार गुनहगारों को फांसी की सजा बरकरार रखी।
●जस्टिस मिश्रा उन सात जजों की पीठ के प्रमुख थे, जिसने कोलकाता हाईकोर्ट के जसिट्स सीएस करनन को छह महीने के लिए जेल भेजा। सनद रहे, जस्टिस करनन ने "दलित कार्ड" खेलने की नाकाम कोशिश की थी।
●अब चीफ जस्टिस दीपक मिश्र राम मंदिर पर सुनवाई कर रहे हैं।
भारत के नामचीन  संविधान विद सोली सोराबजी ने इन चार जजों की हरकत की निंदा की और रिटायर जस्टिस आरएस सोढ़ी ने इन चार जजों के खिलाफ "महाभियोग" चलाए जाने की मांग कर दी है।
 

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