कौन हैं सम्भाजी राव भिड़े , जो कौरेगांव हिंसा में नामजद हुए

Publsihed: 06.Jan.2018, 20:31

अजय सेतिया | भीमा-कोरेगांव में एक जनवरी के दिन हुई हिंसा के आरोप में मंगलवार को दो हिंदुवादी नेताओं शिव प्रतिष्ठान हिंदुस्तान के जानेमाने नेता संभाजी भिड़े और समस्त हिंदू आघाडी के मिलिंद एकबोटे के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है। भारीपा बहुजन महासंघ के अध्यक्ष प्रकाश अंबेडकर के दबाव में पुलिस ने इन दोनों सामाजिक नेताओं पर शिकायत दर्ज की है।

प्रकाश अंबेडकर ने इन दोनों की गिफ्तारी की मांग करते हुए कहा -“उन्हें गिरफ्तार किया जाना चाहिए और याकूब मेमन के समान दंड दिया जाना चाहिए।” इस हिंसा को भड़काने में असल में किसका हाथ है ये तो जांच के बाद ही सामने आयेगा। कौन हैं  संभाजी भिड़े बनाम, ‘गुरूजी’ , जिन्हें प्रकाश आम्बेडकर ने दलित - स्वर्ण टकराव का मोहरा बनाया है | 

संभाजी भिड़े महाराष्ट्र के जाने-माने लोकप्रिय नेता हैं।  संत विनोवा भावे, महात्मा गांधी जय प्रकाशनारायण नरेन्द्रदेव लोहिया तथा  अन्ना हजारे की तरह वे एक सर्वोदयी जननेता हैं। हिंदुत्व के लिये उनका योगदान अवर्णनीय है। वह मराठा सम्राट छत्रपति शिवाजी के कट्टर अनुयायी हैं और महाराष्ट्र की वर्तमान युवा जनसंख्या उन्हें अपना आदर्श मानती है और भिड़े के एक इशारा पर 10 लाख युवा एक जगह जमा हो सकते हैं।

संभाजी भिड़े ने 1980 में शिव प्रतिष्ठान नामक एक स्वयंसेवक संगठन का निर्माण किया। वह उन नेताओं में शामिल हैं, जिन्हें वर्तमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और महाराष्ट्र के कई अन्य नेता भी अन्तः हृदय से पसंद करते हैं। संभाजी भिडे का ऑर्डर पीएम से लेकर महाराष्ट्र के सीएम तक मानते हैं। 2014 के लोकसभा चुनाव के दौरान पीएम नरेन्द्र मोदी ने सांगली में एक चुनाव रैली कर रहे थे। उन्होने मोदी जी की सुरक्षा घेरा तोड़ते हुए उनसे मुलाकात की थी, रैली में पीएम मोदी ने कहा भी था कि वे संभाजी भिडे गुरूजी के बुलावे पर नहीं बल्कि उनका आदेश मानकर वहां आए हैं। ऐसे ही एक बार महाराष्ट्र के सीएम देवेंद्र फड़णवीस ने भी संभाजी भिडे गुरूजी से मिलने के लिए फ्लाइट को रूकवा दिया था।

गुरूजी की उम्र 85 वर्ष है और उनका असली नाम मनोहर है। उनका पैतृक गांव सतारा जिले का सबनिसवाड़ी है। सांगली में एक जमाने में आरएसएस के बड़े कार्यकर्ता बाबाराव भिड़े थे, संभाजी उनके भतीजे हैं । वह 1980 के दशक में खुद आरएसएस में थे। संभाजी भिडे ने वहां आरएसएस का संगठन स्तर पर काम शुरू किया था लेकिन कुछ विवाद की वजह से उनका तबादला कर दिया गया। उन्होंने वह तबादला स्वीकार नहीं किया और सांगली में एक समानांतर आरएसएस का गठन किया। विजयदशमी पर होने वाली आरएसएस की रैली के जवाब में संभाजी ने दुर्गा माता दौड़ शुरू की थी।

बाद में जब रामजन्मभूमि आंदोलन शुरू हुआ तब इनके संगठन को ज्यादा समर्थन मिलना शुरू हुआ। हिंदुत्ववादी शक्तियां जिस तरह से छत्रपति शिवाजी और छत्रपति संभाजी का इतिहास पेश करती हैं उसी तरीके से भिड़े भी पेश करते हैं। उनके संगठन का उद्देश्य बताया गया है कि उनका लक्ष्य हिंदुओं को शिवाजी और संभाजी के ब्लड ग्रुप का बनाना है। सांगली जिले से भिडे के संगठन के दो कार्यकर्ता हर रोज रायगढ़ किले में शिवाजी की पूजा के लिए जाते हैं। रायगढ़ काफिले पर इन्होंने सोने का सिंहासन बनाने का संकल्प किया है जिसमें करीब 144 किलोग्राम सोना इस्तेमाल होगा. धर्मवीर संभाजी महाराज बलिदान मास, दुर्गा माता दौड़, धारातीर्थ यात्रा ऐसे कार्यक्रम यह संगठन आयोजन करता है।

2009 में इस संगठन ने दूसरे संगठनों के साथ मिलकर जोधा-अकबर फिल्म का विरोध किया था, जिसके बाद सांगली, सतारा, कोल्हापुर जिलों में काफी हिंसा हुई थी। पंढरपुर के विट्ठल की यात्रा को महाराष्ट्र में काफी महत्वपूर्ण माना जाता है। पुणे में जून 2017 में इन पर इस यात्रा को अवरुद्ध करने का आरोप लगा था। भिडे काफी साधारण तरीके से जीवन बिताते हैं. उनके खाने और रहने का इंतजाम उनके कार्यकर्ताओं के जिम्मे रहता है। वह सफेद रंग का धोती-कुर्ता पहनते हैं और चप्पल नहीं पहनते हैं | 

पब्लिक में इतनी लोकप्रियता होने के बाद भी वे कभी कार में नहीं चलते सांबाजी भिड़े ने कभी कार में यात्रा नहीं की और ना ही कभी आराम करने के लिए किसी जगह पर रुके। वह हमेशा घूम-घूमकर अपने अनुयायियों से मिलकर मुद्दों पर बातचीत करते रहते हैं। वह साइकिल से ही सफर करते हैं  | उनका खुद का घर भी नहीं है। जनता में लोकप्रिय होने के बाद भी संभाजी राजनीति से अलग हैं। कई बार उन्हें राजनीतिक पार्टियों की ओर से ऑफर आए लेकिन वे हिन्दुत्व लीडर रहना ही सही समझा। वे कभी पॉलिटिक्स में आना भी नहीं चाहते।

देखने में एकदम साधारण से दिखने वाले संभाजी भिड़े ने प्रतिष्ठित पुणे विश्वविद्यालय से अटॉमिक साइंस में एमएससी गोल्ड मेडल के साथ की है। वह पुणे के फर्ग्युसन कॉलेज में फिजिक्स के प्रोफेसर भी रह चुके हैं। आपके कार्य के लिये 100 से भी ज्यादा राष्ट्रीय एवं अंतर्राष्ट्रीय पुरुस्कारों पुरुस्कृत किया जा चुका है। आपने 67 डॉक्टोरल एवं पोस्ट डॉक्टोरल रिसर्च कार्य किये हैं। आप नासा एवं पेंटागन के सलाहकार सद्स्यों की कमेटी के सद्स्य रह चुके हैं, ये गौरव प्राप्त करने वाले आप पहले और एक मात्र भारतीय वैज्ञानिक हैं।
 

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