संयुक्त राष्ट् | विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करते हुए पाकिस्तानी नेताओं से कहा कि वे इस पर आत्ममंथन करें कि भारत क्यों वैश्विक आईटी महाशक्ति के तौर पर जाना जाता है और पाकिस्तान की पहचान लश्कर-ए-तोयबा को लेकर है | पाकिस्तान की पहचान आतंकवाद के निर्यात के कारखाने’ की है | स्वराज ने कहा कि भारत ने आईआईटी, आईआईएम और एम्स जैसे संस्थान बनाए जबकि पाकिस्तान ने एलईटी, जेईएम, हिज्बुल मुजाहिद्दीन और हक्कानी नेटवर्क जैसे आतंकी गुट तैयार किए | उन्होंने कहा कि आतंकवाद मानव जाति के अस्तित्व पर खतरे जैसा है जबकि गरीबी को दूर करना टिकाऊ विकास का पहला लक्ष्य है |
अपने भाषण की शुरुआत करते हुए सुषमा ने कहा, 'हमारे लिए यह गर्व और प्रसन्नता का विषय है कि हम विदेशमंत्रियों में एक विदेश मंत्री आज इस उच्च आसन के लिए चुना गया है|' सुषमा ने कहा, नोटबंदी भ्रष्टाचार से उपजे -‘कालेधन’ को चुनौती देने की दिशा में उठाया गया साहसिक फैसला था |
संयुक्त राष्ट्र महासभा के 72वें सत्र को संबोधित करते हुए विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र जिन समस्याओं का समाधान तलाश रहा है उनमें आतंकवाद सबसे ऊपर है| उन्होंने कहा, ‘‘अगर हम अपने शत्रु को परिभाषित नहीं कर सकते तो फिर मिलकर कैसे लड़ सकते हैं? अगर हम अच्छे आतंकवादियों और बुरे आतंकवादियों में फर्क करना जारी रखते हैं तो साथ मिलकर कैसे लड़ेंगे? अगर संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद आतंकवादियों को सूचीबद्ध करने पर सहमति नहीं बना पाती है तो फिर हम मिलकर कैसे लड़ सकते हैं?’’
सुषमा सुरक्षा परिषद के स्थायी सदस्य चीन का परोक्ष रूप से हवाला दे रही थीं जिसने जैश-ए-मोहम्मद के सरगना मसूद अजहर को प्रतिबंधित करने के भारत के प्रयास को बार-बार अवरुद्ध करने का काम किया है. उन्होंने कहा, ‘‘मैं इस सभा से आग्रह करना चाहूंगी कि इस बुराई को आत्म-पराजय और निरर्थक अंतर के साथ देखना बंद किया जाए. बुराई तो बुराई होती है. आइए स्वीकार करें कि आतंकवाद मानवता के अस्तित्व के लिए खतरा है. इस निर्मम हिंसा को कोई किसी तरह से उचित नहीं ठहरा सकता|’’
सुषमा ने संयुक्त राष्ट्र के सदस्य देशों से इसी साल अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक संधि को लेकर समझौते पर पहुंचने के लिये नयी प्रतिबद्धता दिखाने का आह्वान किया. उन्होंने कहा कि यद्यपि भारत ने 1996 में भी अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद पर व्यापक संधि (सीसीआईटी) का प्रस्ताव दिया था लेकिन दो दशक बाद भी संयुक्त राष्ट्र आतंकवाद की परिभाषा पर सहमत नहीं हो सका है. उन्होंने कहा, ‘‘हम भयानक और यहां तक कि दर्दनाक आतंकवाद के सबसे पुराने पीड़ित हैं. जब हमने इस समस्या के बारे में बोलना शुरू किया तो दुनिया की कई बड़ी शक्तियों ने इसे कानून व्यवस्था का मुद्दा बताकर खारिज कर दिया. अब वे इसे बेहतर तरीके से जानते हैं. सवाल है कि हम इस बारे में क्या करें.’’ सुषमा ने कहा, ‘‘हम सबको आत्ममंथन करना चाहिये और खुद से पूछना चाहिये कि क्या हमारी चर्चा, जो कार्रवाई हम करते हैं कहीं से भी उसके करीब है. हम इस बुराई की निंदा करते हैं और अपने सभी बयानों में इससे लड़ने का संकल्प जताते हैं. सच्चाई यह है कि ये सिर्फ दस्तूर बन गए हैं.’’ उन्होंने कहा, ‘‘तथ्य यह है कि जब हमें इस शत्रु से लड़ने और उसका नाश करने की जरूरत है तो कुछ का स्वहित उन्हें दोहरेपन की ओर ले जाता है |’’
सुषमा के भाषण की महत्वपूर्ण बातें
- इस एक वर्ष के अंतराल में संयुक्त राष्ट्र में और दुनिया में अनेक परिवर्तन हुए हैं.
- नए संयुक्त राष्ट्र प्रमुख के प्रयासों का स्वागत करते हैं
- आज का विश्व अने समस्याओं से ग्रस्त है
- हिंसा की घटनाएं बढ़ रही हैं
- आतंकी घटनाएं बढ़ रही हैं
- जलवयु परिवर्तन मुंह बाए खड़ा है
- बेरोजगारी से त्रस्त युवा अधीर हो रहा है
- परमाणु प्रसार सिर उठा रहा है और साइबर सुरक्षा का भी खतरा मंडरा रहा है
- 2015 में 2030 तक के लिए हमने लक्ष्य तय किया था जिसमें से दो वर्ष बीत गए हैं. हमें अगर लक्ष्य को पाना है तो हमें कठोर निर्णय लेने होंगे
- गरीबी को दूर करना टिकाऊ विकास का पहला लक्ष्य है: संयुक्त राष्ट्र में सुषमा स्वराज
- हमारी सभी योजनाएं गरीबों को शक्तिशाली बनाने के लिए हैं
- मुद्रा योजना के तहत 70 फीसदी से ज्यादा कर्ज महिलाओं को दिया गया है
- उज्जवला योजना के तहत गरीब महिलाओं को मुफ्त में गैस का सिलिंडर दिया जा रहा है.
- 30 करोड़ लोगों को मिशन मोड से बैंक से जोड़ने का काम किया गया
- जिनके पास पैसा नहीं था उनका जीरो बैलेंस से एकाउंट खोला गया
- पाकिस्तान ने हैवानियत की सारी हदें पार कर दी
- पाकिस्तान की पहचान दहशतगर्द मुल्क की बनी है
- भारत की पहचान आईटी सुपर पावर की बनी
- भारत की पहचान दुनिया भर में एक सुपरपावर के रूप में बनी है
- पीएम मोदी ने शांति और दोस्ती की नीयत दिखाई
- पाकिस्तान ने दहशतगर्द और जेहादी पैदा किए
- हमने आईआईटी, आईआईएम बनाए, पाकिस्तान ने आतंकी ठिकाने बनाए
- हमने डॉक्टर बनाए, पाकिस्तान ने जेहादी
- संयुक्त राष्ट्र जिस समस्या का समाधान तलाश रहा है उसमें आतंकवाद अहम है
- अलग-अलग नजरिये से आतंकवाद को देखना बंद करें
- पाकिस्तान को नसीहत, आतंक का पैसा भलाई पर खर्च करो
- हम पूरे विश्व में शांति की कामना करते हैं
- भारत जलवायु परिवर्तन पर पेरिस समझौते को लेकर प्रतिबद्ध है
- सुषमा ने संयुक्त राष्ट्र से सीसीआईटी को पास करने की अपील की
- 'भारत आतंक का सबसे पुराना शिकार'
- हम सबके सुख की कामना करते हैं
विदेश मंत्री सुषमा स्वराज ने इससे पहले शुक्रवार को अमेरिकी विदेश मंत्री रेक्स टिलरसन से मुलाकात की थी. इस दौरान दोनों नेताओं ने द्विपक्षीय रिश्तों को मजबूत करने के विभिन्न पहलुओं पर विचार-विमर्श किया. सुषमा ने टिलरसन से मुलाकात में आतंकवाद तथा एच1बी वीजा के मुद्दे को उठाया.
टिलरसन और सुषमा की पहली मुलाकात
दोनों नेताओं की यह पहली द्विपक्षीय मुलाकात थी. सुषमा और टिलरसन ने अमेरिका-भारत राजनीतिक और आर्थिक साझेदारी को मजबूत करने पर भी चर्चा की. ट्रंप प्रशासन फिलहाल एच1 बी वीजा नीति की समीक्षा कर रहा है, क्योंकि उसका मानना है कि कंपनियां अमेरिकी श्रमिकों के स्थान पर अन्य श्रमिकों को लाने के लिए इस नीति का दुरुपयोग कर रही हैं.
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