नई दिल्ली: राहुल गांधी ने मनमोहन सिंह सरकार का बना वह अध्यादेश प्रेस क्लब में फाड़ दिया था , जिस में सुप्रीमकोर्ट के उस फैसले को उलटा गया था, जिस में कोर्ट ने फैसला दिया था कि विधायक या सांसद किसी आपराधिक मामले में दोषी पाया जाता है तो वह ऑटोमैटिक अयोग्य घोषित होंगे | बाद में मनमोहन सिंह ने तह अध्यादेश का प्रारूप ठंडे बसते में दाल दिया था | अब मोदी सरकार ने सुप्रीम कोर्ट में हलफनामा दाखिल कर कहा है कि कोई भी विधायक या सांसद किसी आपराधिक मामले में दोषी पाया जाता है तो वह ऑटोमैटिक अयोग्य घोषित नहीं होंगे |
मोदी सरकार ने कोर्ट में कहा है कि उनकी सीट को तत्काल प्रभाव से ख़ाली घोषित नहीं किया जा सकता, क्योंकि कानून उन्हें खुद को दोषी ठहराए जाने के फैसले के खिलाफ अपील करने और उस पर रोक हासिल करने का एक मौका देता है | केंद्र सरकार ने कहा कि ये पॉलिसी मामला है, इसमें कोर्ट को दखल नहीं देना चाहिए | सुप्रीम कोर्ट ने लोकप्रहरी NGO की उस याचिका का विरोध किया है, जिसमें कहा गया था कि अगर कोई विधायक या सांसद आपराधिक मामले में दोषी पाया जाता है तो तत्काल प्रभाव से उसकी सीट को खाली घोषित किया जाए |
याचिका में सुप्रीम कोर्ट के 2013 के फ़ैसले को आधार बनाया गया है, जिसमें कोर्ट ने कहा था कि अगर कोई विधायक या सांसद आपराधिक मामले में दोषी पाया जाता है तो तत्काल प्रभाव से वो अयोग्य घोषित हो जाएगा |
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