नोटबंदी फेल हो गई है। भारतीय रिज़र्व बैंक ने अपनी सालाना रिपोर्ट में कह दिया है कि 98.96 प्रतिशत पांच सौ और हज़ार के नोट वापस आ गए हैं। नोटबंदी के समय 15 लाख 44 हज़ार करोड़ के पांच सौ और हज़ार के नोट चलन में थे। 15 लाख 28 हज़ार करोड़ रुपया वापस आ गया है। इसका मतलब है कि सरकार की ओर से जो दावा किया जा रहा था कि जिनका काला धन होगा, वो बर्बाद हो जाएगा। कहा जा रहा था कि जिनके घरों में नोट छिपा कर रखे गए हैं वो डर से बैंक नहीं आएंगे और नष्ट हो जाएंगे। ऐसे लोग रात को नींद की गोली खा कर सो रहे हैं।
मगर अब जब सारा पैसा वापस आ गया है तो सरकार कह रही है कि ऐसा दावा नहीं किया गया था कि जितना पैसा नहीं आएगा वो रिज़र्व बैंक के लिए मुनाफ़ा होगा और बैंक उतना पैसा सरकार को वापस कर देगा। कुल मिलाकर 16 हजार करोड़रूपए के नोट वापिस नहीं आए हैं ,जबकि आठ हज़ार करोड़ रुपया तो नए नोट छापने में लग गया। कई लोगों ने लाइन में लगकर तकलीफें झेलीं, अनेक लोगों की जान चली गई ।
CMIE के अनुसार नोटबंदी के पहले चार महीनों में पंद्रह लाख नौकरियाँ भी गईं । रिजर्व बैंक को अपनी रिपोर्ट में कहना चाहिए था कि नोटबंदी सफल हुई या नहीं। क्योंकि फैसले लेने के बाद सरकार ने दावा किया था कि रिजर्व बैंक की सिफारिश पर ही नोटबंदी की गई थी।लेकिन रिजर्व बैक ने इस पर चुप्पी साधी है | अब कांग्रेस की अध्यक्षता वाली संसदीय समिति की रिपोर्ट पहले से भी ज्यादा धारदार होने के आसार पैदा हो गए हैं | संसदीय समिति की पिछली बैठक में भाजपा के सदस्यों ने नोत्बंदी पर सरकार आलोचना करने वाली रिपोर्ट को यह कर ठुकरा दिया था कि अभी रिजर्व बैंक के आंकड़े ही सामने नहीं आए है और बिना तथ्यों के संसदीय समिति अपनी रिपोर्ट में सरकार की आलोचना कैसे कर सकती है |
कांग्रेस ने आरोप लगाया है कि सरकार ने सारे काले धन को सफेद करवाने में मदद की है। चिदंबरम ने कहा है कि नोटबंदी से काले धन को सफेद करवा दिया गया। दूसरी तरफ सरकार कहती है कि करीब पौने दो लाख से तीन लाख करोड़ अघोषित आय की जानकारी हुई है। लेकिन विश्लेषकों का कहना है कि जब रिजर्व बैंक अभी तक नोट ही गिन रहा था, तो सरकार ने अघोषित आय कैसे पकड़ लिया। सब आंकड़ों का खेल है लेकिन रिजर्व बैंक का जो आंकड़ा है वो एक मज़बूत पैमाना है।
आपकी प्रतिक्रिया