नई दिल्ली | राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने आज कहा कि भारत की आत्मा, बहुलवाद और सहिष्णुता में बसती है और भारत केवल एक भौगोलिक सत्ता नहीं है बल्कि इसमें विचारों , दर्शन, बौद्धिकता, औद्योगिक प्रतिभा,शिल्प तथा अनुभव का इतिहास शामिल है | राष्ट्रपति प्रणव मुखर्जी ने अपने पद मुक्त होने की पूर्व संध्या पर देश के नाम अपने संबोधन में कहा कि भारत की आत्मा,बहुलवाद और सहिष्णुता में बसती है और सहृदयता और समानुभूति की क्षमता हमारी सभ्यता की सच्ची नींव रही है | लेकिन प्रतिदिन हम अपने आसपास बढ़ती हुई हिंसा देखते हैं , इस हिंसा की जड़ में अज्ञानता, भय और अविश्वास है |
President of India ✔@RashtrapatiBhvn
The multiplicity in culture, faith and language is what makes India special #PresidentMukherjee
उन्होंने परोक्ष रूप से देश और दुनिया में बढ़ती हिंसा के संदर्भ में कहा, ‘‘ हमें अपने जन सवांद को शारीरिक और मौखिक सभी तरह की हिंसा से मुक्त करना होगा.’’ राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘ एक अहिंसक समाज ही लोकतांत्रिक प्रक्रिया में लोगों के सभी वर्गो के विशेषकर पिछड़ों और वंचितों की भागीदारी सुनिश्चित कर सकता है. हमें एक सहानुभूतिपूर्णऔर जिम्मेदार समाज के निर्माण के लिए अहिंसा की शक्ति को पुनर्जाग्रत करना होगा.’’ हमारे समाज के बहुलवाद के निर्माण के पीछे सदियों से विचारों को आत्मसात करने की प्रवृत्ति को रेखांकित करते हुए राष्ट्रपति ने कहा कि संस्कृति , पंथ और भाषा की विविधता ही भारत को विशेष बनाती है.
उन्होंने कहा, ‘‘ हमें सहिष्णुता से शक्ति प्राप्त होती है.यह सदियों से हमारी सामूहिक चेतना का अंग रही है.जन संवाद के विभिन्न पहलू हैं . हम तर्क वितर्क कर सकते हैं , हम सहमत हो सकते हैं या हम सहमत नहीं हो सकते हैं . परंतु हम विविध विचारों की आवश्यक मौजूदगी को नहीं नकार सकते . अन्यथा हमारी विचार प्रक्रिया का मूल स्वरूप नष्ट हो जाएगा. ’’
President Pranab Mukherjee addressing the nation on the eve of demitting office as the 13th President of the Republic of India.
प्रणव मुखर्जी ने अपने भाषण में कहा, ‘‘ जैसे जैसे इंसान की उम्र बढ़ती है, उसकी उपदेश देने की प्रवृत्ति बढ़ती जाती है . परंतु मेरे पास देने के लिए कोई उपदेश नहीं है. पिछले 50 सालों के सार्वजनिक जीवन के दौरान ‘‘भारत का संविधान मेरा पवित्र ग्रंथ रहा है , भारत की संसद मेरा मंदिर रहा है और भारत की जनता की सेवा मेरी अभिलाषा रही है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ मैं आपके साथ कुछ सच्चाइयों को साझा करना चाहूंगा जिन्हें मैंने इस अवधि के दौरान आत्मसात किया है.’’
मुखर्जी ने कहा, ‘‘ हमारे लिए समावेशी समाज का निर्माण विश्वास का एक विषय होना चाहिए . गांधीजी भारत को एक ऐसे समावेशी राष्ट्र के रूप में देखते थे , जहां आबादी का हर वर्ग समानता के साथ रहता हो और समान अवसर प्राप्त करता हो . वह चाहते थे कि हमारे लोग एकजुट होकर निरंतर व्यापक हो रहे विचारों और कार्यो की दिशा में आगे बढ़ें . वित्तीय समावेशन समतामूलक समाज का प्रमुख आधार है. हमें गरीब से गरीब व्यक्ति को सशक्त बनाना होगा और यह सुनिश्चित करना होगा कि हमारी नीतियों के फायदे कतार में खड़े अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे . ’’ उन्होंने कहा, ‘‘ विकास को वास्तविक बनाने के लिए , देश के सबसे गरीब को यह महसूस होना चाहिए कि वह राष्ट्र गाथा का एक हिस्सा है.’’
When I speak to you tomorrow, it will be as a citizen – a pilgrim like all of you in India’s onward march towards glory: President Mukherjee
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘जैसा कि मैंने राष्ट्रपति का पद ग्रहण करते समय कहा था कि शिक्षा एक ऐसा माध्यम है जो भारत को अगले स्वर्ण युग में ले जा सकता है. शिक्षा की परिवर्तनकारी शक्ति से समाज को पुनर्व्यवस्थित किया जा सकता है. इसके लिए हमें अपने उच्च संस्थानों को विश्व स्तरीय बनाना होगा. हमारी शिक्षा प्रणाली द्वारा रूकावटों को सामान्य घटना के रूप में स्वीकार करना चाहिए और हमारे विद्यार्थियों को रूकावटों से निपटने और आगे बढ़ने के लिए तैयार करना चाहिए .’’
उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे विश्वविद्यालयों को रटकर याद करने वाला स्थान नहीं बल्कि जिज्ञासु व्यक्तियों का सभा स्थल बनाया जाना चाहिए . हमारे उच्च शिक्षा संस्थानों में रचनात्मक विचारशीलता , नवान्वेषण और वैज्ञानिक प्रवृत्ति को बढ़ावा देना होगा. इसके लिए विचार विमर्श, वाद विवाद और विश्लेषण के जरिए तर्क प्रयोग करने की जरूरत है. ऐसे गुण पैदा करने होंगे और मानिसक स्वतंत्रता को बढ़ावा देना होगा.’’
राष्ट्रपति ने पर्यावरण संरक्षण के महत्व को रेखांकित करते हुए कहा कि पर्यावरण की सुरक्षा हमारे अस्तित्व के लिए बहुत जरूरी है. प्रकृत्ति हमारे प्रति पूरी तरह उदार रही है परंतु लालच जब आवश्यकता की सीमा को पार कर जाता है तो प्रकृत्ति अपना प्रकोप दिखाती है.अक्सर हम देखते हैं कि भारत के कुछ भाग विनाशकारी बाढ़ से प्रभावित हैं जबकि अन्य भाग गहरे सूखे की चपेट में हैं . जलवायु परिवर्तन से कृषि क्षेत्र पर भीषण असर पड़ा है.
उन्होंने कहा, ‘‘हमारी मिट्टी की सेहत सुधारने , जल स्तर की गिरावट को रोकने और पर्यावरण संतुलन को सुधारने के लिए करोड़ों किसानों और श्रमिकों के साथ कार्य करना होगा. हम सबको अब मिलकर काम करना होगा क्योंकि भविष्य में हमें दूसरा मौका नहीं मिलेगा.’’
राष्ट्रपति ने एक स्वस्थ, खुशहाल और सार्थक जीवन को प्रत्येक नागरिक का बुनियादी अधिकार बताते हुए कहा कि खुशहाली मानव जीवन के लिए अत्यंत आवश्यक है. खुशहाली समान रूप से आर्थिक और गैर आर्थिक मापदंडों का परिणाम है. उन्होंने कहा, ‘‘ गरीबी मिटाने से खुशहाली में भरपूर तेजी आएगी.सतत पर्यावरण से धरती के संसाधनों का नुकसान रूकेगा .सामाजिक समावेशन से प्रगति के फल सभी को सुलभ होंगे . सुशासन से लोग पारदर्शिता , जवाबदेही और सहभागी राजनीतिक संस्थाओं के माध्यम से अपना जीवन संवार पाएंगे .’’
राष्ट्रपति ने कहा , ‘‘ राष्ट्रपति भवन में मेरे पांच साल के कार्यकाल के दौरान, हमने एक मानवीय और खुशहाल टाउनशिप का निर्माण करने का प्रयास किया . हमने खुशहाली देखी जो प्रसन्नता और गौरव, मुस्कान और हंसी, अच्छे स्वास्थ्य , सुरक्षा की भावना और सकारात्मक कार्यो से जुड़ी है.हमने हमेशा मुस्कुराना , जीवन पर हंसना, प्रकृति से जुड़ना और समुदाय के साथ शामिल होना सीखा .और इसके बाद हमने अपने अनुभव का विस्तार पड़ोस के कुछ गांवों में किया . यह यात्रा जारी है.’’
Delhi: Outgoing President Pranab Mukherjee, President-elect Ram Nath Kovind and PM Narendra Modi at Rashtrapati Bhavan.
उन्होंने कहा, ‘‘ अब जबकि मैं विदा होने के लिए तैयार हो रहा हूं , मैंने 2012 के स्वतंत्रता दिवस की पूर्व संध्या पर राष्ट्र के नाम अपने प्रथम संबोधन में जो कहा था, मैं उसे दोहराता हूं ,‘‘ इस महान पद का सम्मान प्रदान करने के लिए, देशवासियों तथा उनके प्रतिनिधियों के प्रति कृतज्ञता प्रकट करने के लिए मेरे पास पर्याप्त शब्द नहीं हैं . यद्यपि मुझे इस बात का पूरा अहसास है कि लोकतंत्र में सबसे बड़ा सम्मान किसी पद में नहीं बल्कि हमारी मातृभूमि , भारत का नागरिक होने में है.’’
मुखर्जी ने कहा, ‘‘ अपनी मां के सामने हम सभी बच्चे समान हैं और भारत हम में से हर एक से यह अपेक्षा रखता है कि राष्ट्र निर्माण के इस जटिल कार्यमें हम जो भी भूमिका निभा रहे हैं, उसे हम ईमानादारी, समर्पण और हमारे संविधान में स्थापित मूल्यों के प्रति दृढ़ निष्ठा के साथ निभाएं .’’ उन्होंने कहा, ‘‘ हमारे संस्थापकों ने संविधान को अपनाने के साथ ही ऐसी प्रबल शक्तियों को सक्रिय किया जिन्होंने , हमें लिंग , जाति, समुदाय की असमान बेड़ियों और हमें लंबे समय तक बांधने वाली अन्य श्रंखलाओं से मुक्त कर दिया. इससे एक सामाजिक और सांस्कृतिक विकास की प्रेरणा मिली जिसने भारतीय समाज को आधुनिकता के पथ पर अग्रसर किया .’’
मुखर्जी ने भावी राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद को बधाई देते हुए कहा,‘‘ मैं भावी राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद को बधाई देता हूं और उनका हार्दिक स्वागत करता हूं और उन्हें आने वाले वर्षो में सफलता और खुशहाली की शुभकामनाएं देता हूं .’’ उन्होंने कहा, ‘‘मैं भारत की जनता , उनके निर्वाचित प्रतिनिधियों और राजनीतिक दलों के प्रति हार्दिक आभार से अभिभूत हूं . मैंने देश को जितना दिया , उससे कहीं अधिक पाया है. इसके लिए मैं भारत के लोगों के प्रति सदैव ऋणी रहूंगा.’’
राष्ट्रपति ने कहा, ‘‘पांच वर्ष पहले, जब मैंने गणतंत्र के राष्ट्रपति पद की शपथ ली थी तो मैंने अपने संविधान का न केवल अक्षरश: बल्कि मूल भावना के साथ संरक्षण, सुरक्षा और परिरक्षण करने का वचन दिया. इन पांच वर्षो के प्रत्येक दिन मुझे अपने दायित्व का बोध था . मैं अपने दायित्व को निभाने में कितना सफल रहा , इसकी परख इतिहास के कठोर मापदंडों द्वारा ही हो पाएगी.’’ उन्होंने कहा , ‘‘ कल जब मैं आपसे बात करूंगा तो राष्ट्रपति के रूप में नहीं बल्कि आपकी तरह एक ऐसे नागरिक के रूप में बात करूंगा जो महानता की दिशा में भारत की प्रगति के पथ का एक यात्री है.’’ राष्ट्रपति मंगलवार को राष्ट्रपति भवन छोड़ देंगे और उसके बाद 10, राजाजी मार्ग नई दिल्ली में उनका नया पता होगा. गौरतलब है कि पूर्व-राष्ट्रपति डॉ. ए पी जे अब्दुल कलाम भी यहीं रहते थे.मंगलवार को नवनिर्वाचित राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद भारत के मुख्य न्यायाधीश जे एस खेहर द्वारा शपथ ग्रहण करेंगे.
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