गांधीनगर | सत्रह साल तक कांग्रेस में रहने के बाद गुजरात में विपक्ष के नेता शंकर सिंह वाघेला ने राहुल गांधी से खफा हो कर कांग्रेस छोड़ने का फैसला किया है | अपने 77वें जन्मदिन पर आज की रैली से पहले ही कांग्रेस ने डर कर उन्हें कांग्रेस से निकालने का एलान कर दिया | मंच से वाघेला ने खुद यह जानकारी देते हुए कांग्रेस पर फब्ती कसते हुए कहा- विनाश काले विपरीत बुद्धी | हालांकि न्यूज चेनलों के अनुसार कांग्रेस ने खंडन किया है कि वाघेला को पार्टी से निकाला गया है | वाघेला ने अपने भाषण में कांग्रेस और भाजपा दोनों की कार्यशैली की आलोचना की |
उन्होंने कहा कि भाजपा को छोड़ते हुए मैं बहुत विचलित था, करीब करीब वैसी ही स्थिति कुछ महीने से कांग्रेस के साथ भी है | उन्होंने कहा कि वह कांग्रेस छोड़ रहे हैं , लेकिन फिलहाल कोई पार्टी ज्वाइन नहीं कर रहे | अब वह मुक्त पंछी हैं और आज से मेरा हाई कमान प्रदेश की जनता है | वाघेला ने कहा कि 15 अगस्त को विधानसभा से भी इस्तीफा दे देंगें , उन के साथ ही 8 से दस कांग्रेस विधायक भी विधानसभा से इस्तीफा दे देंगे |
वाघेला गुरुवार को दिल्ली आए थे और उन्होंने एनसीपी के वरिष्ठ नेता प्रफुल्ल पटेल से मुलाक़ात कर कांग्रेस छोड़ने की जानकारी दे दी थी | यह जानकारी प्रफुल्ल पटेल ने खुद मीडिया को दी | सूत्रों के मुताबिक़ कांग्रेस को जैसे ही जानकारी मिली अहमद पटेल ने उन्हें मिलने के लिए बुलाया, लेकिन वाघेला ने उन्हें मिलने से इनकार कर दिया |समझा जा रहा है कि वाघेला एनसीपी में जा सकते हैं | उनके साथ कांग्रेस के 8 से 10 विद्यायक भी जा सकते हैं | कांग्रेस के आठ विधायकों ने एनडीए के राष्ट्रपति पद उम्मीन्दवार को वोट किया था | आठ-दस विधायकों के कांग्रेस छोड़ते ए अहमद पटेल का राज्यसभा में आना असम्भव हो जाएगा |
वह 40 सालों से भी ज्यादा समय से राजनीति में हैं | कभी उन्हें नरेंद्र मोदी का राजनीतिक गुरु माना जाता था | वाघेला ही ऐसे नेता हैं जो बीजेपी और कांग्रेस दोनों के अध्यक्ष रह चुके हैं |अक्टूबर 1996 से अक्टूबर 1997 तक वाघेला गुजरात के मुख्यमंत्री भी रह चुके हैं | वाघेला ने कुल छह बार लोकसभा का चुनाव लड़ा था और तीन बार सांसद बने थे | वाघेला साल 1977 में पहली बार सांसद बने थे |
वाघेला का सियासी सफ़र
- आरएसएस और जन संघ से जुड़े
- 1975: इमरजेंसी के दौरान जेल गए
- 1977-79: जनता पार्टी से लोकसभा सदस्य
- 1980-91: गुजरात बीजेपी के महासचिव, अध्यक्ष
- 1984-89: राज्यसभा सदस्य रहे
- 1989-96: लोकसभा सदस्य रहे
- मई 1996: गोधरा से लोकसभा चुनाव हारे
- 1996: बीजेपी छोड़ी
- अक्टूबर 1996: राष्ट्रीय जनता पार्टी का गठन
- अक्टूबर 1996: कांग्रेस के समर्थन से मुख्यमंत्री
- अक्टूबर 1997: मुख्यमंत्री पद से इस्तीफ़ा
- 1998: राष्ट्रीय जनता पार्टी का कांग्रेस में विलय
- 1999, 2004: कांग्रेस से लोकसभा चुनाव जीते
- 2004: केंद्र सरकार में कपड़ा मंत्री रहे
- 2009, 2014: लोकसभा चुनाव में हारे
- अभी गुजरात विधानसभा में विपक्ष के नेता
अपना भाषण शुरू करने से पहले हाल ही में मान सरोवर यात्रा के समय आतंकवादियों के हाथों मारे गए गुजरातियों को श्र्द्धन्जली दी |उन्होंने एलान किया कि वह सक्रिय जीवन से कभी रिटायर नहीं होंगे | 1990 के दशक में गुजरात के मुख्यमंत्री रह चुके शंकर सिंह वाघेला गुजरात के उन नेताओं में गिने जाते हैं, जिनका अपना जनाधार है | पूरे गुजरात में उनके समर्थक फैले हुए हैं और पूरे राज्य में इस दौर के 'बापू' के नाम से वह मशहूर हैं | अपनी इसी छवि के चलते वह चाहते थे कि इस बार के चुनावों में कांग्रेस उनको मुख्यमंत्री पद का उम्मीदवार घोषित कर दे, लेकिन कांग्रेस ने ऐसा करने से इनकार कर दिया |
कांग्रेस आलाकमान से अंतिम मुलाकात के भी वांछित नतीजे नहीं निकले | कांग्रेस सूत्रों के मुताबिक उनको स्पष्ट कर दिया गया कि यदि उनको कांग्रेस की तरफ से सीएम उम्मीदवार घोषित कर दिया गया तो राज्य के दिग्गज कांग्रेसी नेता अंसतुष्ट हो सकते हैं | यानी कांग्रेस राज्य पार्टी चीफ भरत सिंह सोलंकी और दो पूर्व नेता प्रतिपक्ष शक्ति सिंह गोहिल और अर्जुन मोढवाडिया को नाराज नहीं करना चाहती | सूत्रों के मुताबिक कांग्रेस से अलग होने की स्थिति में वाघेला एक तीसरे मोर्चे का गठन कर सकते हैं | इसमें नेशनलिस्ट कांग्रेस पार्टी, जदयू और सियासी फलक पर उभरते हुए नए सितारे हार्दिक पटेल, अल्पेश ठाकुर और जिग्नेश मेवानी को शामिल किया जा सकता है | इन उभरते हुए नेताओं का क्रमश: पाटीदारों, ठाकुर और दलित समुदाय में अच्छा जनाधार है |
उल्लेखनीय है कि वाघेला ने 17 साल पहले बीजेपी से अलग होने के बाद गठित अपनी राष्ट्रीय जनता पार्टी (आरजेपी) का विलय कांग्रेस में कर दिया था | पीएम नरेंद्र मोदी और बीजेपी अध्यक्ष अमित शाह से वाघेला के मधुर संबंध हैं | कुछ समय पहले गुजरात विधानसभा में शाह के साथ वाघेला की मुलाकात भी हुई थी | उस मुलाकात के आने वाले विधानसभा चुनावों के लिहाज से राजनीतिक निहितार्थ निकाले जा रहे थे | कयास यह भी लगाए जा रहे हैं कि वाघेला राजनीति से रिटायर होने की घोषणा कर सकते हैं. यह भी बीजेपी के लिए बेहद फायदेमंद होगा | बदले में बीजेपी उनके बेटे को राज्यसभा भेज सकती है |
कांग्रेस से अलग वाघेला की किसी भी योजना का सीधा फायदा बीजेपी को मिलेगा | ऐसा इसलिए क्योंकि बीजेपी राज्य में हाल में हुए पाटीदार आंदोलन, दलितों से संबंधित ऊना कांड के बाद थोड़ा बैकफुट पर रही है. माना जा रहा है कि इन वजहों से बीजेपी के वोटबैंक पर चुनावों में असर पड़ सकता है | ऐसे में वाघेला के अलग होने के बाद कांग्रेस उसका पूरी तरह से सियासी फायदा नहीं उठा सकेगी | ऐसे में बीजेपी के लिए चुनावी राह आसान हो जाएगी. वैसे भी 193 सदस्यीय विधानसभा में बीजेपी अबकी बार 150 सीट जीतने के लक्ष्य के साथ उतर रही है |
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