नई दिल्ली | राष्ट्रपति चुनाव जीतने के बाद रामनाथ कोविंद ने कहा, 'एपीजे अब्दुल कलाम जी और प्रणब मुखर्जी ने जिस परंपरा को आगे बढ़ाया है, उस पद पर मेरा चयन मेरी जिम्मेदारी और बढ़ा रहा है |' उन्होंने अपने बचपन के दिनों को याद करते हुए कहा कि फूस की छत से पानी टपकता था | हम भाई-बहन दीवार के सहारे खड़े होकर बारिश बंद होने का इंतजार करते थे | आज भी जब बारिश हो रही है तो न जाने हमारे देश में ऐसे कितने ही रामनाथ कोविंद होंगे जो बारिश में भीग रहे होंगे, खेती कर रहे होंगे और शाम को रोटी मिल जाए इसके लिए मेहनत में लगे होंगे |' उन्होंने कहा, 'इस पद पर चुना जाना न कभी मैंने सोचा था और न कभी मेरा लक्ष्य था लेकिन देश के लिए अथक सेवा भाव मुझे यहां तक ले आया | इस पद पर रहते हुए संविधान की रक्षा करना और उसकी मर्यादा बनाए रखना मेरा कर्तव्य है. राष्ट्रपति पद पर मेरा चयन भारतीय लोकतंत्र की महानता का प्रतीक है. मैं देश के लोगों को आश्वस्त करना चाहता हूं कि सर्वे भवंतु सुखिन: की तरह मैं भी बिना भेदभाव के देश की सेवा में लगा रहूंगा | आप सभी को धन्यवाद |'
क्या बोले रामनाथ कोविंद
विपक्ष की साझा उम्मीदवार मीरा कुमार ने कहा, 'मैं बताना चाहूंगी कि जिस विचारधारा की लड़ाई लड़ने के लिए मैं इस चुनाव में शामिल हुई थी वह आज समाप्त नहीं हुई है | यह लड़ाई जारी रहेगी. सिद्धांतों की इस लड़ाई में देश के लोग खुद को सुरक्षित और संबल पाते हैं | देश में जातपात के खिलाफ, पारदर्शिता के लिए, धर्मनिरपेक्षता के खिलाफ और प्रेस की आजादी के लिए उनकी लड़ाई जारी रहेगी | मैं कोविंद जी को उनकी जीत के लिए बधाई देती हूं और जिन्होंने मुझे वोट किया उनका भी धन्यवाद. सोनिया जी का खासतौर से धन्यवाद जिन्होंने मुझे उम्मीदवार बनाया |'
कोविंद कुल 522 सांसदों ने वोट किया और इस तरह उन्हें 702044 वोट मिले. वहीं उनकी प्रतिद्वंद्वी मीरा कुमार को 367314 वोट मिले. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रामनाथ कोविंद को राष्ट्रपति चुनाव जीतने पर बधाई दी है. पीएम ने मीरा कुमार को भी उनके चुनाव प्रचार और लोकतांत्रिक मूल्यों को बनाए रखने के लिए बधाई दी |
देश के 14वें राष्ट्रपति बनने जा रहे रामनाथ कोविंद का बचपन बेहद गरीबी में बीता. वह मूल रूप से कानपुर देहात की डेरापुर तहसील में स्थित परौख गांव से ताल्लुक रखते हैं | यहां के ग्रामीणों के मुताबिक घास-फूस की झोपड़ी में उनका परिवार रहता था | कोविंद के साथ कक्षा आठ तक पढ़े उनके सहपाठी जसवंत ने बताया कि जब उनकी उम्र 5-6 वर्ष की थी तो उनके घर में आग लग गई थी जिसमें उनकी मां की मौत हो गई थी | मां का साया छिनने के बाद उनके पिता ने ही उनका लालन-पालन किया |
गांव में अभी भी उनका दो कमरे का घर है जिसका इस्तेमाल सार्वजनिक काम के लिए होता है. ग्रामीणों के मुताबिक कोविंद 13 साल की उम्र में 13 किमी चलकर कानपुर पढ़ने जाते थे. कानपुर के कल्याणपुर स्थित महर्षि दयानन्द विहार कॉलोनी भी उनका घर है | जब उनकी उम्मीदवारी की घोषणा हुई थी तो यहां बड़ी संख्या में लोगों ने सड़कों पर ढोल-नगाड़े बजाकर और आतिशबाजी के जरिये जश्न मनाया था |
मिठाई से परहेज
वर्ष 1996 से 2008 तक कोविंद के जनसंपर्क अधिकारी रहे अशोक द्विवेदी ने बताया था कि बेहद सामान्य पृष्ठभूमि वाले कोविंद अपनी कड़ी मेहनत और समर्पण के बल पर इस बुलंदी तक पहुंचे हैं. कोविंद की पसंद-नापसंद के बारे में उन्होंने बताया कि वह अंतर्मुखी स्वभाव के हैं और सादा जीवन जीने में विश्वास करते हैं. उन्हें सादा भोजन पसंद है और मिठाई से परहेज करते हैं.
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