अजय सेतिया / सोमवार रात अनंतनाग में हुए आतंकी हमले में अमरनाथ यात्रा से लौट रहे सात तीर्थ यात्री मारे गए | आतंकी कामयाब हो जाते तो बस पर सवार सभी 61 यात्री मारे जाते | जैसे ही बस पर गोली चली बस के चालक शेख सलीम गफ्फूर ने बस को भगा कर आतंकियों की साजिश नाकाम कर दी | पाकिस्तान साम्प्रदायिक दंगे करवाने के विफल हो गया | अनंतनाग में 100-150 हिदू तीर्थ यात्रियों को मार कर मुसलमानों के खिलाफ दंगे फैलाने की साजिश थी | बिलकुल गोधरा ट्रेन के डिब्बे को जलाने जैसी साजिश | उस साल 2002 में जब केंद्र में भाजपा की वाजपेयी सरकार थी दो बार ऐसी ही साजिश रची गई थी , जिस में वह किसी हद तक कामयाब रहा था | एक साजिश गोधरा में रची गई थी और दूसरी अमरनाथ यात्रियों के कैम्प पर हमला कर के रची गई थी, जिस में 30 तीर्थ यात्री मारे गए थे | आतंकियों ने इस बार भी उसी इरादे से अमरनाथ यात्रियों पर हमला किया था | गुजरातियों को फिर से उकसाने के इरादे से ही गुजरात की बस को निशाना बनाया जाना भी शक पैदा करता है | बस का रास्ते में पंक्चर होना भी इसी साजिश का इशारा करता है | इंटेलिजेंस रिपोर्ट में इस साजिश का जिक्र है | हमले के बाद कश्मीर ज़ोन के आईजी ने एक चिट्ठी जारी की है जिसमें एसएसपी की इंटेलिजेंस रिपोर्ट का ज़िक्र है | रिपोर्ट में कहा गया है कि सांप्रदायिक तनाव फैलाने के मक़सद से यात्रियों पर हमला किया जा सकता है | आतंकियों का इरादा सौ - डेढ़ सौ श्रद्धालुओं को निशाना बनाना है, ताकि देशभर में हिन्दू मुसलमानों के खिलाफ प्रतिक्रिया करें , जिस से भारत में गृहयुद्ध की स्थिति पैदा हो जाए |
पाकिस्तान की हिन्दुओं को भड़काने की साजिश एक मुसलमान ने नाकाम कर दी | सोचो अगर शेख सलीम गफ्फूर बस रोक देता , तो बस पर सवार सभी 61 हिन्दू तीर्थ यात्री मारे जाते | भले ही गफ्फूर भी मारा जाता , पर आज जिस गफ्फूर की देश भर में तारीफ़ हो रही है, उस सूरत में गफ्फूर को आतंकियों से मिला हुआ आत्मघाती बताया जाता | सबूत के तौर पर बताया जाता कि उसने अपनी बस को श्राईन बोर्ड में रजिस्टर्ड नहीं करवाया था | शुरू में तो यहाँ तक कहा गया कि वह शाम पांच बजे के बाद चला | यह बयान किसी अन्य ने नहीं, बल्कि खुद उपमुख्यमंत्री निर्मल सिंह ने दिया था | बाद में पता चला कि बस चालक गफ्फूर ने वापसी चार बजे शुरू कर दी थी | बस का टायर रास्ते में पंक्चर हुआ , अब मुख्यमंत्री ने कहा है कि इस बात की जांच करवाई जाएगी कि पंक्चर हुआ था या पंक्चर किया गया था | यानि खुद मुख्यमंत्री को इस घटना में पाकिस्तानी आतंकवादियों की साजिश लगती हैं | जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती ने वक्त की नजाकत को समझा | इस लिए उन्होंने तुरंत बयान दिया कि अमरनाथ यात्रियों पर हमला सभी मुस्लिमों और कश्मीरियों पर धब्बा है और आतंकवादियों ने मुसलमानों का सिर शर्म से झुका दिया है, "मैं शर्मिंदा हूँ" | उन्हें पता है कि यह गोधरा ट्रेन के डिब्बे में सवार हिन्दू तीर्थ यात्रियों को जला कर मारने जैसा ही गंभीर मामला है | गोधरा में ट्रेन के डिब्बे को जलाने का गुस्सा गुजरात के मुसलमानों को झेलना पडा था और अमरनाथ यात्रियों पर हमले की भी वैसी ही प्रतिक्रिया देशभर में मुसलमानों के खिलाफ हो सकती थी | लेकिन बस के चालक गफ्फूर ने देश को दंगों से बचा लिया | गुजरात सरकार ने बस को बचाकर निकाल ले जाने पर उसे तीन लाख रुपये नकद इनाम देने की घोषणा की है |
इस आतंकवादी हमले की कश्मीर में भी चारों ओर से निंदा हो रही है, जिसमें मुख्यधारा और अलगाववादी समूहों के नेताओं से लेकर व्यापारी, अध्यापक, पेशेवर, बुद्धिजीवी और आम जनता भी शामिल है | सच्चाई यह है कि यह यात्रा जितनी पवित्र हिन्दुओं के लिए है, उतनी ही महत्वपूर्ण कश्मीरी मुसलमानों के लिए भी है | हर होटल वाले, घोड़े-खच्चर वाले और दुकान लगाने वाले के लिए यह यात्रा सालभर में कमाई का सबसे बड़ा ज़रिया है | पालकी वालों से लेकर अपनी पीठ पर यात्रियों को लादकर ले जाने वाले सभी मुसलमान ही होते हैं | इनमें से बहुत सारे लोगों के पास कमाई का कोई और ज़रिया नहीं है | कश्मीर में पशमीना शॉल व्यापारियों, बोट हाउस मालिको से लेकर काजू-बादाम और अखरोट बेचने वालों के लिए यह वक्त कमाई का होता है | यानी यह सिर्फ हिन्दू तीर्थ का नहीं, बल्कि पूरे कश्मीर की अर्थव्यवस्था को गुलज़ार करने का मौका है | वे इस यात्रा का पूरा साल इंतज़ार करते हैं... साल के इन दो महीने में जो कुछ कमाते हैं, वही उनके लिए पूरे साल की कमाई है | इस वक्त हिन्दू समुदाय में जो डर या गुस्सा इस यात्रा से पनपा होगा, उससे कहीं अधिक निराशा इन लोगों के लिए है, जिनके लिए इस यात्रा का चलना रोजी-रोटी का सवाल है | यात्री सिर्फ अमरनाथ की पवित्र गुफा ही नहीं जाते | इनमें से बहुत-से वैष्णो देवी और लद्दाख भी जाते हैं और पटनी टॉप, गुलमर्ग और कश्मीर के नज़ारों का मज़ा भी लेते हैं | जिस बस पर सोमवार रात को आतंकियों ने हमला किया, उस के यात्री भी अमरनाथ यात्रा से लौट कर वैष्णों देवी की ओर जा रहे थे |
अमरनाथ यात्रा का धार्मिक पहलू भी मुस्लिम समुदाय के साथ एक दिलचस्प रिश्ते से जुड़ा है | करीब 14,000 फुट की ऊंचाई पर बसी यह गुफा और शिवलिंग की खोज एक मुसलमान चरवाहे बूटा मलिक ने 19वीं शताब्दी में की थी | पुजारी भले ही हिन्दू हों, लेकिन आज भी गुफा के संरक्षकों में मलिक के परिवार के लोग हैं, इसलिए आतंकियों का यह हमला एक समुदाय के खिलाफ नहीं, बल्कि कश्मीर की साझा संस्कृति और अर्थव्यवस्था पर हमला है | इस लिए जख्मियों की सेवा में जुटे मुस्लिम नौजवानों ने न सिर्फ आतंकियों की जम कर आलोचना की , बल्कि उन्हें कश्मीर विरोधी भी बताया | यही वजह है कि मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती आतंकवादियों के हमले को मुस्लिमों और कश्मीरियों पर धब्बा बताने की हिम्मत कर सकी | दो दिन तक कश्मीर घाटी में आतंकवादियों के खिलाफ प्रदर्शन होते रहे | अमरनाथ यात्रा एक बार फिर हिन्दू-मुस्लिम साझा संस्कृति की प्रतीक बन कर उभरी है | भारत सरकार को इस साझा संस्कृति और आतंकवादियों के खिलाफ उभरे माहौल को मौके की तरह इस्तेमाल करना चाहिए | प्रधानमंत्री अभी हाल ही में इस्राईल गए थे, इस्राईल जा कर उन्होंने हिन्दुओं की खूब वाह-वाही लूटी है, क्योंकि इस से पहले कोई भी प्रधानमंत्री मुस्लिम वोट खिसकने के डर से इस्राईल जाने की हिम्मत नहीं कर पाया था | मोदी की भी भारत के मुसलमानों ने खूब आलोचना की है, लेकिन उन्होंने इस बात की कोई परवाह नहीं की |
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस्राईल गए हैं , तो बहुत कुछ सीख कर आए होंगे | ख़ासकर आतंकवादियों से निपटने की कला, जिस में वह बेहद माहिर है | अगर फलस्तीनी हमास के आतंकी एक यहूदी इस्राइली की ह्त्या करते हैं, तो बदले में इस्राईल 100 हमास आतंकियों को मारता है | सारा देश मोदी के साथ खडा होगा |अगर वह इस्राईल की रणनीति का भारत विरोधी आतंकियों के खिलाफ इस्तेमाल करें | जो सीख कर आए हैं , उस पर अमल करें | मंगलवार को जब लाशें मरने वालों के घरों में पहुँची तो हर जगह गुस्से की लहर थी , गुस्सा आतंकवादियों पर था , तो गुस्सा नरेंद्र मोदी के खिलाफ भी था | मोदी सरकार अगर अब भी चुप रही, तो उन का वोट बैंक हिन्दू बर्दाश्त नहीं करेगा | कायर तो हिन्दू है, जो अपनी सरकार की चुप्पी पर शांत हो कर बैठ जाता है | आतंकियों को कायर कहने से वे कायर नहीं बन जाते | आतंकवादियों के हिमायतियों के खिलाफ भी खडा होने की जरुरत है | जब सारा देश एकजुट हो कर आतंकवादियों के खिलाफ बड़े आपरेशन की उम्मींद लगा कर बैठा है, तब अमनेस्टी इंटरनेश्नल के निदेशक आकार पटेल का यह बयान चौंकाने वाला है कि अब कश्मीर में दमनकारी कार्रवाई न हो | सारा देश चाह रहा है आतंकियों के खिलाफ दमनचक्र शुरू किया जाए | सरकार कायर बन कर न बैठे | पर वामपंथी-जेएनयू-मानवाधिकारवादी टोला कह रहा है कि आतंकियों के खिलाफ दमनचक्र न चलाया जाए |
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