पटना | बिहार की राजनीतिक घड़ी की सुई फिर 20 साल पहले वाली स्थिति पर पहुंच गई है | लालू प्रसाद और उनके बेटे उपमुख्यमंत्री तेजस्वी यादव पर भ्रष्टाचार के मामले चारा घोटाले की तरह उजागर हो रहे हैं | नीतीश कुमार को अपनी छवि बचाने के लिए जल्द ही निर्णायक फैसला लेना होगा | राजद ने तो स्पष्ट कर दिया है कि तेजस्वी इस्तीफा नहीं देंगे | इससे पहले पांच मंत्रियों पर भ्रष्टाचार के मामले उजागर होने के बाद नीतीश कुमार ने उनसे इस्तीफा ले लिया था |
इस सियासी गहमागहमी के बीच जदयू की आज अहम बैठक होने जा रही है | यह बैठक इसलिए भी अहम है क्योंकि लालू प्रसाद के ठिकानों पर सीबीआई छापेमारी के बाद से अब तक मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सार्वजनिक रूप से कोई टिप्पणी नहीं की है | इसकी वजह यह है कि दरअसल नीतीश कुमार की छवि ही उनकी सबसे बड़ी पूंजी है | वह इस मोर्चे पर किसी भी कीमत पर समझौता नहीं कर सकते | संभवतया इसीलिए उन्होंने राजद की बैठक का इंतजार किया और अभी तक पत्ते नहीं खोले थे | अब मंगलवार को जदयू बैठक के बाद तस्वीर साफ होगी कि क्या मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव से इस्तीफा देने को कहेंगे या राजद के समर्थन की घोषणा करेंगे , लेकिन यदि उन्होंने ऐसा कोई कदम उठाया तो बिहार में सत्तारूढ़ महागठबंधन में भूचाल आना तय है |
जदयू के पूर्व अध्यक्ष शरद यादव ने जरुर यह कह कर लालू यादव का बचाव किया कि एनडीए सरकार सीबीआई का दुरूपयोग कर रही है | जदयूं में शरद यादव की राजनीतिक जमीन खिसक चुकी है और वह लालू यादव की ओर खिसक रहे हैं | अगर नीतीशकुमार अपनी राजनीतिक छवि को ध्यान में रखते हुए तेजस्वी को मंत्रिमंडल से हटाने के लिए कहते हैं तो महागठबंधन का टूटना तय है, ऐसी सूरत में शरद यादव समेत जदयू के कुछ लोग लालू यादव और कांग्रेस के साथ जा सकते हैं | कांग्रेस ने राजद का समर्थन किया है और एकजुटता की अपील की है |
इन सबके बीच बिहार की राजनीति का सबसे बड़ा सवाल इस वक्त यही है कि तेजस्वी यादव का सियासी भविष्य क्या होगा?
संभवतया इसी रस्साकशी के बीच विपक्षी पार्टी भाजपा के प्रदेश भाजपा अध्यक्ष नित्यानंद राय ने मीडिया में बयान दिया है कि अगर नीतीश कुमार राजद से अपना नाता तोड़ लेते हैं तो बीजेपी उन्हें बाहर से समर्थन देगी| हालाकि उन्होंने बाद में जोड़ दिया कि अंतिम फैसला केंद्रीय नेतृत्व का होगा |
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